कंगाल पाकिस्तान में इन दिनों सियासी उठापटक भी अपने चरम पर है। पंजाब सूबा सियासती दासवपेंच का अखाड़ा बना हुआ है। कल तक प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ का बेटा हमजा शाहबाज वहां का मुख्यमंत्री था तो आज परवेज इलाही कुर्सी पर बैठे हैं। अदालत ने कानूनी मामले में हमजा को कुर्सी से चलता कर दिया है।
इस नौटंकी का आखिरी अंक तक पूरा हुआ जब पंजाब के राज्यपाल बाली उर रहमान ने सर्वोच्च अदालत के इलाही को शपथ दिलाने के आदेश को ताक पर रख दिया और कोपभवन में जा बैठे। आखिरकार हार कर इलाही को राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने पद की शपथ दिलाई।
पीएमएल-क्यू नेता चौधरी परवेज इलाही आखिरकार पाकिस्तान के पंजाब सूबे के नए मुख्यमंत्री बन ही गए। कई दिनों की रस्साकशी में उनका पलड़ा बार—बार दिख भी रहा था। इसका पटाक्षेप उनकी शपथ के साथ आज सुबह—सुबह ही हुआ। इससे पूर्व पाकिस्तान की सर्वोच्च अदालत ने फैसला दिया था कि पीएम शाहबाज के बेटे हमजा शाहबाज को मुख्यमंत्री पद से हटा दिया जाए। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ के लिए ये एक बड़ा सियासी झटका माना गया है।
पाकिस्तान के मीडिया चैनल जियो न्यूज की खबर है कि पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब विधानसभा के उपाध्यक्ष के 10 वोटों को अमान्य करने के फैसले को असंवैधानिक करार दे दिया। इस तरह पीएमएल-क्यू के नेता चौधरी परवेज इलाही के लिए पंजाब का मुख्यमंत्री बनने का रास्ता साफ हो गया।
पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पाकिस्तान तहरीके-इंसाफ पार्टी के समर्थन के साथ परवेज इलाही पंजाब विधानसभा के उपाध्यक्ष दोस्त मोहम्मद मजारी के फैसले के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट चले गए थे। तब सुप्रीम कोर्ट ने तीन सदस्यीय पीठ गठित की, जिसमें पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश उमर अता बंदियाल, न्यायमूर्ति इजाजुल अहसन तथा न्यायमूर्ति मुनीब अख्तर शामिल थे। उस दौरान बड़ा विवाद खड़ा हुआ था कि बंदियाल इसमें कैसा रुख रखेंगे। बाकी पाकिस्तान की अदालतों और जजों की निष्पक्षता को लेकर वहां के नेता भी कुनमुनाते रहे हैं।
बहरहाल, अदालत की तीन सदस्यीय पीठ ने पंजाब के मुख्यमंत्री चुनाव में उपाध्यक्ष दोस्त मुहम्मद मजारी के फैसले को अवैध ठहरा दिया। अदालत ने कहा कि मजारी के फैसले कानूनी तौर पर गलत था। दरअसल बहुमत पाने के बावजूद चुनाव में हारने वाले परवेज इलाही ने मजारी के फैसले को चुनौती दी थी, जिन्होंने प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ के बेटे हमजा को जिताया था।
खैर, इलाही के पक्ष में फैसला सुनाने के बाद अदालत ने पंजाब के राज्यपाल बाली उर रहमान को इलाही को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाने का फरमान दिया था। लेकिन बारी ने अपनी ये जिम्मेदारी निभाने से मना कर दिया। नतीजा यह हुआ कि राष्ट्रपति आरिफ अल्वी को आकर इलाही को पद की शपथ दिलानी पड़ी।
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