राजमार्गों के महाराज योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश को एक और एक्सप्रेसवे-300 किलोमीटर लंबा बुन्देलखण्ड एक्सप्रेसवे- दिया है जो चित्रकूट, बांदा, हमीरपुर, महोबा, जालौन, औरैया एवं इटावा जनपदों से होकर गुजरता है। यह प्रशंसनीय है कि निर्माण कार्य पूर्ण करने हेतु 36 माह की अवधि निर्धारित की गई थी, और देश में दो बार कोविड लहर एवं परियोजना निर्माण क्षेत्र में भारी वर्षा के उपरान्त भी शिलान्यास के पश्चात मात्र 28 माह में इस एक्सप्रेसवे का निर्माण कार्य पूर्ण कर उत्तर प्रदेश सरकार ने एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है।
विगत कई सरकारों के कार्यकाल में बुन्देलखंड ने बहुत से पैकेजों की घोषणा सुनी लेकिन जमीन पर पहुंचा कुछ नहीं और इसीलिए बुंदेलखंड के जिले भारत के सबसे गरीब जिलों में गिने जाने लगे। 2017 से यह तस्वीर बदली है और अब बुन्देलखंड में केंद्रीय योजनाओं से लेकर रक्षा गलियारा व एक्सप्रेसवे तक, सब पहुंच रहे हैं। बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे से बुन्देलखंड क्षेत्र के सर्वांगीण विकास का मार्ग प्रशस्त होगा। बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे से बुन्देलखंड क्षेत्र आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे एवं यमुना एक्सप्रेसवे के माध्यम से त्वरित एवं सुगम यातायात के गलियारे से जुड़ जाएगा। इस एक्सप्रेस-वे से जुड़े क्षेत्रों के सामाजिक एवं आर्थिक विकास के साथ ही कृषि, वाणिज्य, पर्यटन तथा उद्योगों की आय को बढ़ावा मिलेगा।
एक्सप्रेसवे की व्यवस्था
बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे 4 लेन (6 लेन विस्तारणीय) चौड़ा है। इसकी लंबाई-296.07 किलोमीटर है एवं राइट आफ वे 110 मीटर लिया गया है। एक्सप्रेसवे पर प्रवेश एवं निकासी हेतु कुल 13 स्थानों पर इण्टरचेंज द्वारा सुविधा प्रदान की जा रही है। परियोजना के आस-पास के गांवों के निवासियों को सुगम आवागमन की सुविधा हेतु स्टैगर्ड रूप में सर्विस रोड का निर्माण किया जा रहा है। एक्सप्रेसवे निर्माण के अंतर्गत 4 रेलवे ओवरब्रिज, 14 दीर्घ सेतु, 6 टोल प्लाजा, 7 रैम्प प्लाजा, 293 लघु सेतु, 19 फ्लाई ओवर तथा 224 अंडरपास का निर्माण किया गया है। एक्सप्रेसवे के सभी इंटरचेंज, फ्लाईओवर, दीर्घ सेतु, लघु सेतु एवं अण्डरपास पर विद्युत संयोजन के द्वारा समुचित प्रकाश व्यवस्था का प्रावधान है। इस एक्सप्रेसवे परियोजना के 6 पैकेजों के बिल्डरों का चयन ई-टेंडरिंग के जरिए किया गया है। इस परियोजना में न्यूनतम निविदा अनुमानित लागत से लगभग 12.72 प्रतिशत कम हो गई है, जिससे यूपीडा को लगभग 1132 करोड़ रुपये का लाभ हुआ है। एक्सप्रेसवे उपयोगकतार्ओं की सुविधा हेतु 4 जनसुविधा परिसरों का निर्माण भविष्य में किया जायेगा। वाहनों में ईंधन भरने हेतु एक्सप्रेसवे पर 4 स्थानों पर ईंधन पंप की स्थापना प्रक्रियाधीन है। एक्सप्रेसवे उपयोगकतार्ओं की सुरक्षा हेतु पुलिस पेट्रोलिंग, कैटल कैचर वाहन एवं एंबुलेंस वाहनों की व्यवस्था की जा रही है। ट्रैफिक सुरक्षा हेतु एडवांस ‘ट्रैफिक मैनेजमेन्ट सिस्टम’ का कार्य करने हेतु कार्रवाई प्रक्रियाधीन है।
औद्योगिक एवं रक्षा गलियारा
बुन्देलखंड एक्सप्रेसवे के किनारे जनपद बांदा एवं जालौन में औद्योगिक गलियारा बनाए जाने हेतु कार्रवाई प्रारम्भ कर दी गई है। इस कार्य हेतु सलाहकार एजेंसी का चयन हो चुका है। परियोजना का शिलान्यास प्रधानमंत्री के कर-कमलों द्वारा 29 फरवरी, 2020 को जनपद चित्रकूट में किया गया था।
बुंदेलखंड में ही अगस्त 2021 में यूपीडा ने प्रणोदन प्रणाली के निर्माण के लिए झांसी में 183 हेक्टेयर भूमि पर रक्षा गलियारे की पहली एंकर यूनिट (पहले चरण में 400 करोड़ रुपये का निवेश) की स्थापना के लिए भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (बीडीएल) के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। नवंबर, 2021 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने झांसी नोड में भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (बीडीएल) की आधारशिला भी रखी थी। रक्षा गलियारे के लिए ही जनपद चित्रकूट में लगभग 103 हेक्टेअर भूमि को चिन्हित कर लिया गया है जिसमें से लगभग 102 हेक्टेयर भूमि क्रय/पुनग्रहीत/अंतरित की जा चुकी है।
एक्सप्रेसवे के किनारे सृजित होंगे अवसर
यह एक्सप्रेस-वे से जुड़े क्षेत्रों में स्थित विभिन्न उत्पादन इकाइयों, विकास केन्द्रों तथा कृषि उत्पादन क्षेत्रों को राष्ट्रीय राजधानी से जोड़ने हेतु एक औद्योगिक गलियारे के रूप में सहायक होगा। इसके निकट औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान, शिक्षण एवं प्रशिक्षण संस्थान, चिकित्सा संस्थान आदि की स्थापना हेतु भी अवसर सुलभ होंगे। एक्सप्रेसवे हैंडलूम उद्योग, खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों, भंडारण गृह, मंडी तथा दुग्ध आधारित उद्योगों की स्थापना हेतु एक उत्प्रेरक के रूप में काम करेगा। इससे निश्चित ही बुंदेलखंड क्षेत्र की आर्थिक प्रगति बुलंद होगी।
भू-गर्भ जल विभाग की अनुशंसा के अनुसार एक्सप्रेस-वे के प्रत्येक 500 मीटर पर आरओडब्लू (अधिग्रहीत भूमि) के अंतर्गत भू-गर्भ जल संचयन हेतु रेनवाटर हार्वेस्टिंग पिट का निर्माण कराया जा रहा है। एक्सप्रेसवे की अधिग्रहीत भूमि के अंतर्गत लगभग 7 लाख वृक्षों का रोपण किया जा रहा है। इस तरह एक्सप्रेसवे निर्माण के साथ ही उससे जुड़े क्षेत्र को जलसंकट से निजात दिलाने और पर्यावरण संरक्षण का प्रावधान भी किया गया है।
(लेखक योगी आदित्यनाथ की जीवनी ‘द मंक हू बीकेम चीफ मिनिस्टर’ के लेखक हैं)
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