सब कुछ सामान्य रहा तो देश के अगले उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ होंगे। वे राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की ओर से उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार हैं। चूंकि संसद में राजग का बहुमत है। इसलिए उनकी जीत सुनिश्चित मानी जा रही है। वहीं विपक्ष ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता मारग्रेट अल्वा को धनखड़ के सामने उतारा है। विपक्ष को भी पता है कि मारग्रेट नहीं जीतेंगी। इसके बावजूद उन्होंने अल्वा को अपना प्रत्याशी बनाकर उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव की स्थिति पैदा की है।
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि उपराष्ट्रपति के चुनाव में मारग्रेट अल्वा को उतार कर विपक्ष केवल इतना संदेश देना चाहता है कि वह सरकार, विशेषकर भाजपा के हर निर्णय का विरोध करेगा। इसमें किसी को आपत्ति भी नहीं है, क्योंकि विपक्ष का काम ही है विरोध करना। इसलिए लोग मारग्रेट की कम जगदीप धनखड़ की चर्चा अधिक कर रहे हैं।
धनखड़ इस समय पश्चिम बंगाल के राज्यपाल हैं। एक राज्यपाल के नाते उन्होंने अपनी अलग पहचान बनाई है। उल्लेखनीय है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोर विरोधी हैं। इसलिए वे केंद्र के प्रतिनिधि राज्यपाल को लेकर कुछ ज्यादा ही तल्ख रहती हैं। इस तल्खी के बावजूद धनखड़ प्रयास करते हैं कि सब कुछ सामान्य रहे और राज्य के कामकाज में किसी प्रकार की बाधा उत्पन्न न हो। लेकिन जब भी राज्य की जनता के हित में उन्हें कुछ कहना होता है, तो वे पीछे नहीं रहते हैं।
गत वर्ष विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा के समर्थकों और कार्यकर्ताओं पर तृणमूल कांग्रेस के गुंडों ने कई दिनों तक हमला किया। इसमें कई लोगों की जान गई, सैकड़ों लोगों के घरों को जला दिया गया। बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं को पड़ोसी राज्यों में पलायन करना पड़ा। राज्य की इस स्थिति पर राज्यपाल के नाते धनखड़ ने बहुत ही गंभीर टिप्पणी की। उन्होंने वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को बुलाकर पूरी जानकारी ली और हिंसा रोकने को कहा। हालांकि उनकी यह सक्रियता ममता को पसंद नहीं आई थी। धनखड़ यह भी कहते रहे हैं कि पश्चिम बंगाल में लोकतंत्र की हत्या हो रही है, यहां हिंदू सुरक्षित नहीं हैं। ऐसी बेबाक टिप्पणियों के कारण ही उनकी छवि एक मुखर राज्यपाल की बनी है।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोर विरोधी हैं। इसलिए वे केंद्र के प्रतिनिधि राज्यपाल को लेकर कुछ ज्यादा ही तल्ख रहती हैं। इस तल्खी के बावजूद धनखड़ प्रयास करते हैं कि सब कुछ सामान्य रहे और राज्य के कामकाज में किसी प्रकार की बाधा उत्पन्न न हो। लेकिन जब भी राज्य की जनता के हित में उन्हें कुछ कहना होता है, तो वे पीछे नहीं रहते हैं
कौन हैं धनखड़
जगदीप धनखड़ का जन्म 18 मई, 1951 को गांव किठाना, जिला झुंझुनू (राजस्थान) में हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा गांव के ही प्राथमिक विद्यालय में हुई। जब वे कक्षा छठी में गए तो गांव से करीब पांच किलोमीटर दूर धरधाना के एक मध्य विद्यालय में उनका दाखिला करा दिया गया। गांव के अन्य छात्रों के साथ वे पैदल ही स्कूल जाते थे।
1962 में उन्होंने सैनिक स्कूल से मैट्रिक की शिक्षा पूरी की। उसके बाद अपनी आगे की पढ़ाई पूरी करने के लिए उन्होंने राजस्थान विश्वविद्यालय से संबद्ध प्रतिष्ठित महाराजा कॉलेज, जयपुर से भौतिकी में स्नातक किया। उसके बाद उन्होंने राजस्थान विश्वविद्यालय में कानून की पढ़ाई करने के लिए दाखिला लिया और 1978-1979 में उन्हें एलएलबी की उपाधि मिली।
कुछ वर्ष उन्होंने वकालत की। इसके बाद उन्होंने राजनीति में प्रवेश किया। 1989 में उन्होंने जनता दल के टिकट पर झुंझुनू लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा और विजयी भी हुए। उसके बाद 1993 से लेकर 1998 तक धनखड़ किशनगढ़ से विधायक भी रहे। श्री जगदीप कई वर्ष तक राजस्थान उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन, जयपुर के अध्यक्ष भी रहे।
अब वे उपराष्ट्रपति के नाते राज्यसभा के सभापति की जिम्मेदारी भी संभालेंगे। उम्मीद है कि श्री धनखड़ उपराष्ट्रपति के रूप में भी अपनी एक अलग छवि गढ़ने में सफल रहेंगे।
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