कारगिल विजय दिवस की 23वीं वर्षगांठ : मोदी युग में सैन्य सुधारों ने पकड़ी रफ्तार
July 13, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

कारगिल विजय दिवस की 23वीं वर्षगांठ : मोदी युग में सैन्य सुधारों ने पकड़ी रफ्तार

1999 का कारगिल युद्ध नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पार पाकिस्तानी सैन्य बलों द्वारा की गई घुसपैठ के कारण 1998-99 की सर्दियों में शुरू हुआ था। यह षड्यंत्र अति महत्वाकांक्षी पाकिस्तानी सेनाप्रमुख जनरल परवेज मुशर्रफ द्वारा 'जनरलों के गुट' के साथ मिलकर रचा गया था।

by प्रो. रसाल सिंह
Jul 26, 2022, 08:28 am IST
in भारत
कारगिल विजय दिवस

कारगिल विजय दिवस

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

1999 का कारगिल युद्ध नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पार पाकिस्तानी सैन्य बलों द्वारा की गई घुसपैठ के कारण 1998-99 की सर्दियों में शुरू हुआ था। यह षड्यंत्र अति महत्वाकांक्षी पाकिस्तानी सेनाप्रमुख जनरल परवेज मुशर्रफ द्वारा ‘जनरलों के गुट’ के साथ मिलकर रचा गया था। इस षड्यंत्र का उद्देश्य श्रीनगर-जोजिला-कारगिल रोड को बाधित करने के लिए कारगिल सेक्टर को कब्जाना था, ताकि लद्दाख पर भारतीय नियंत्रण और सियाचिन ग्लेशियर में भारतीय सेना की तैनाती मुश्किल हो जाए। घुसपैठ से पाकिस्तान का नियंत्रण रेखा के पार सामरिक महत्व के काफी बड़े हिस्से पर नियंत्रण हो जाता। इससे न केवल इस्लामाबाद की स्थिति मजबूत होती, बल्कि वह भारत पर अपनी शर्तें भी थोप पाता। यह घुसपैठ एलओसी की स्थिति को अपरिवर्तनीय रूप से बदल डालती।

हमारे राष्ट्र की क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन करने वाले दुष्ट पड़ोसी (पाकिस्तान) की निंदनीय साजिश का एक पूर्ण संयुक्त सैन्य कार्रवाई द्वारा मुंहतोड़ जवाब दिया गया था। “ऑपरेशन विजय” के रूप में प्रसिद्ध कारगिल युद्ध लगभग 130 किमी की सीमा पर नियंत्रण रेखा के पार पाकिस्तानी सेना की घुसपैठ को बेदखल करने के लिए 16,000-18,000 फीट की ऊंचाई पर लड़ा गया था। ऊंचाई पर बैठे दुश्मन की सामरिक बढ़त के बावजूद भारतीय सैनिकों ने अद्भुत पराक्रम, साहस और सूझबूझ का परिचय देते हुए उसे अपनी धरती से खदेड़ डाला।

‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान के तहत सरकार ने रक्षा उत्पादन को प्राथमिकता दी है। श्रमिक संघों के विरोध के बावजूद सरकार आयुध कारखानों के निजीकरण जैसे राजनीतिक रूप से जोखिमपूर्ण निर्णयों पर आगे बढ़ी है। सरकारी नीतियां राज्य के साथ-साथ निजी क्षेत्र के स्वामित्व वाले रक्षा उद्यमों/उद्योगों के पक्ष में हैं। इसके अलावा, इस क्षेत्र में भागीदारी के लिए विदेशी फर्मों को भी प्रोत्साहित करने के लिए सरकार भरसक प्रयास कर रही है।

26 जुलाई, 1999 (कारगिल विजय दिवस) से अबतक 23 साल बीत चुके हैं। देशवासी एकबार फिर मई-जुलाई 1999 में पाकिस्तान के साथ लगभग तीन महीने के लंबे संघर्ष में कारगिल की ऊंचाई पर शहीद हुए 527 और घायल हुए 1100 से अधिक सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे। इस दिन भारतीय सेना के जांबाज सैनिकों ने दुर्गम पहाड़ियों पर चढ़ते हुए और असंख्य बाधाओं से जूझते हुए विजयश्री का वरण किया था।

‘कारगिल विजय दिवस’ के अवसर पर भारत मां के शहीद बेटों को सही श्रद्धांजलि तभी मिलेगी, जबकि हम भविष्य में ऐसी घटना की पुनरावृत्ति को रोक पाने में पूर्ण सक्षम हो जाएं। इसलिए हमारी सुरक्षा प्रणाली की खामियों को शीघ्रातिशीघ्र दूर करने की आवश्यकता है। भारत को दो-दो शैतान और शातिर पड़ोसियों से लगातार सावधान रहना पड़ता है। ये ईर्ष्यालु पड़ोसी हर पल घात लगाकर हमले की ताक में रहते हैं। कोई भी युद्ध केवल सशस्त्र बलों द्वारा नहीं लड़ा जाता है, बल्कि पूरे देश-सरकार और उसके सभी अंगों, राजनीतिक नेतृत्व, मीडिया और देशवासियों द्वारा संगठित होकर लड़ा जाता है। कारगिल युद्ध एक ऐसा ही अवसर और अनुभव था। उस विषम परिस्थिति में सम्पूर्ण राष्ट्र को एकजुट था।

 

भारतीय सेना को नई जरूरतों के अनुसार तैयार किया जाना आवश्यक है। ये रक्षा सुधार लंबे समय से लंबित थे और नई चुनौतियों और खतरों का सामना करने के लिए अपरिहार्य हैं। ये 21वीं सदी में एक प्रमुख शक्ति के रूप में स्वयं को स्थापित करने की भारत की महत्वाकांक्षा के भी अनुरूप हैं।

 

हालांकि, संघर्ष के दौरान प्राप्त राजनीतिक, राजनयिक और सैन्य अंतर्दृष्टि ने हमारे देश के राजनीतिक-सैन्य संबंधों, संरचनाओं और प्रक्रियाओं में बदलावों की आवश्यकता को भी रेखांकित किया था। पिछले एक दशक में भारतीय सेना ने लगातार “दो-मोर्चे पर युद्ध” लड़ने की आवश्यकता को महसूस किया है। पिछले दिनों भारतीय सेना को 50 वर्षों में चीन के साथ सबसे गंभीर सैन्य टकराव का सामना करना पड़ा है। महामारी के बीच 2020-21 में चीनी सेना की भारतीय क्षेत्र में अवैध घुसपैठ ने भारतीय सेना को चौंका दिया और भारत को चौकन्ना कर दिया है। सीमा पर हुई झड़पों में भारतीय और चीनी सैनिक हताहत हुए। हाल-फिलहाल चीनी रवैये में कुछ नरमी दिख रही है, लेकिन संकट अभी खत्म नहीं हुआ है। यूं भी चीन कभी विश्वसनीय पड़ोसी नहीं रहा। विस्तारवाद और विश्वासघात ही उसकी विदेश नीति है। जिस प्रकार 1999 में हुए कारगिल युद्ध के बाद भारत ने अपने रक्षा बलों, कमान और नियंत्रण संरचनाओं में सुधार और आधुनिकीकरण के बारे में गंभीरता से सोचना शुरू कर दिया था। उसी प्रकार 2020-21 के गलवान संकट ने भारतीय सेना के लिए नए युग की प्रौद्योगिकियों, मुख्य रूप से ड्रोन और साइबर युद्ध के महत्व को रेखांकित करते हुए आवश्यक बदलावों की अपरिहार्यता स्पष्ट कर दी है।

स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट के आंकड़ों के अनुसार, भारत पिछले चार दशकों में दुनिया का सबसे बड़ा हथियार आयातक देश है। यह स्थिति युद्धकाल में हमें बाहरी प्रभाव और दबाव के प्रति बेहद संवेदनशील बनाती है। इसलिए रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल करना आवश्यक है। अपनी गलतियों से सबक सीखने और हमारे उच्चस्तरीय रक्षा तंत्र को त्वरित, गतिशील और सशक्त बनाने के उद्देश्य से 1999 के कारगिल युद्ध के बाद कारगिल समीक्षा समिति का गठन किया गया था। चिंताजनक बात यह है कि पिछली सरकारों ने इस समस्या को स्वीकारते हुए भी उल्लेखनीय नीतिगत परिवर्तन नहीं किए।

मोदी सरकार ने भारत के घरेलू रक्षा उद्योग की स्थापना पर विशेष जोर दिया है। ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान के तहत सरकार ने रक्षा उत्पादन को प्राथमिकता दी है। श्रमिक संघों के विरोध के बावजूद सरकार आयुध कारखानों के निजीकरण जैसे राजनीतिक रूप से जोखिमपूर्ण निर्णयों पर आगे बढ़ी है। सरकारी नीतियां राज्य के साथ-साथ निजी क्षेत्र के स्वामित्व वाले रक्षा उद्यमों/उद्योगों के पक्ष में हैं। इसके अलावा, इस क्षेत्र में भागीदारी के लिए विदेशी फर्मों को भी प्रोत्साहित करने के लिए सरकार भरसक प्रयास कर रही है। निश्चित रूप से सबसे पहला काम सेना के तीनों अंगों और रक्षा उद्योग का एक साथ काम करने की दिशा में समंजन है। पहले आपसी अविश्वास, अकर्मण्यता, अक्षमता और भ्रष्टाचार का बोलबाला था। अब सभी हितधारकों को एक साथ काम करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। सरकार ने रक्षा उद्योग को निर्यात पर ध्यान केंद्रित करने के लिए भी प्रेरित किया है। एक अनुमान के अनुसार यह 2016 से 2020 के बीच 700 प्रतिशत से अधिक बढ़ा है।

एल एंड टी कंपनी ने कोरिया की कम्पनी सैमसंग के साथ साझेदारी में 100 आर्टिलरी गन (155/52 मिमी के-9 वज्र ट्रैक एसपी) के निर्माण के लिए 5400 करोड़ रुपये का ऑर्डर प्राप्त किया है, और वह डीआरडीओ के साथ मिलकर लक्ष्य-1 और लक्ष्य-2 पायलटरहित लक्ष्यविमानों का निर्माण भी कर रही है। डीआरडीओ ने एफआईसीवी के निर्माण के लिए भारत फोर्ज और जनरल डायनामिक्स के साथ करार किया है। टाटा सामरिक प्रभाग ने मध्यम परिवहन विमान के निर्माण के लिए एयरबस इंडस्ट्रीज के साथ हाथ मिलाया है। रिलायंस इंडस्ट्रीज, महिंद्रा डिफेंस सिस्टम्स, डायनामिक टेक्नोलॉजीज, टीवीएस लॉजिस्टिक्स, एमकेयू और अन्य ने भी रक्षा उपकरणों के निर्माण क्षेत्र और निर्यात बाजार में प्रवेश किया है। इस काम को गति देने के लिए दो रक्षा औद्योगिक परिक्षेत्र (कॉरिडोर) भी बनाये जा रहे हैं। यह ‘मेक इन इंडिया’ पहल के लिए शुभ संकेत है। इसके अलावा, वर्षों से लंबित कई प्रमुख रक्षा उपकरणों की खरीद भी गई है। सरकार ने उपकरणों की गुणवत्ता पर विशेष जोर दिया है। थल सेना के लिए अमेरिका से नई SiG 716 राइफलें, वायु सेना के लिए फ्रांस से राफेल जेट, चिनूक हैवी लिफ्ट, अपाचे अटैक हेलीकॉप्टर और रूस से S 400 वायु रक्षा प्रणाली खरीदी गई हैं।

कारगिल समीक्षा समिति (केआरसी) ने जिन सुधारों की सिफारिश की थी, उनमें से एक सशस्त्र बलों की भर्ती प्रक्रिया से संबंधित भी था। इसमें कहा गया है कि “सेना युवा और हमेशा फिट होनी चाहिए। इसलिए 17 साल की रक्षा सेवा (जैसी कि 1976 से ही नीति रही है) की वर्तमान व्यवस्था के बजाय सलाह दी गई कि रक्षा सेवा को सात से दस साल की अवधि तक सीमित कर दिया जाए।’ सिर्फ कारगिल समिति ही नहीं, भारतीय सेना ने भी अग्निपथ जैसी ही भर्ती योजना का प्रस्ताव रखा था। 2020 में सेना ने 3 साल के लिए युवाओं की भर्ती हेतु “टुअर ऑफ ड्यूटी” योजना का प्रस्ताव रखा था। हाल में शुरू की गयी अग्निवीर योजना पर उपरोक्त प्रस्तावों का प्रभाव दिखायी देता है।
वर्तमान सरकार द्वारा रक्षा प्रणाली में किए गए प्रमुख सुधार अग्निवीर भर्ती योजना, तीनों सेनाओं की संयुक्तता और तालमेल को बढ़ावा देने के लिए सशस्त्र बलों के थिएटर कमांड का पुनर्गठन, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) की नियुक्ति, सैन्य मामलों के विभाग (डीएमए) की स्थापना, 40 साल बाद वन रैंक वन पेंशन का कार्यान्वयन, डिफेंस स्पेस और साइबर एजेंसियों की स्थापना, स्पेशल ऑपरेशंस डिवीजन और सात डीपीएसयू में आयुध कारखानों (ओएफ) का निगमीकरण आदि हैं।

ये सुधार सशस्त्र बलों को उपयुक्त आकार, कौशल, तकनीक और उपकरणों से लैस करके उन्हें अधिक सक्षम, पेशेवर और मारक (संहारक) बनाएंगे। इससे उनकी क्षमता और मनोबल दोनों बढ़ेंगे। रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार अग्निपथ योजना चीन को जवाब देने में मास्टरस्ट्रोक साबित हो सकती है। भारत के युवा और तकनीकक्षम उत्साही अग्निवीर सीमा पर अजगर का फन कुचल सकेंगे। 1999 के और आज के समय में बहुत फर्क है। भविष्य के युद्धों में सैनिकों की संख्या से ज्यादा महत्वपूर्ण उनकी दक्षता, अत्याधुनिक हथियार और उपकरण, सूचना-तकनीक ढांचा आदि होंगे। इसलिए भारतीय सेना को नई जरूरतों के अनुसार तैयार किया जाना आवश्यक है। ये रक्षा सुधार लंबे समय से लंबित थे और नई चुनौतियों और खतरों का सामना करने के लिए अपरिहार्य हैं। ये 21वीं सदी में एक प्रमुख शक्ति के रूप में स्वयं को स्थापित करने की भारत की महत्वाकांक्षा के भी अनुरूप हैं।

(लेखक जम्मू केंद्रीय विश्वविद्यालय में अधिष्ठाता, छात्र कल्याण है।) 

Topics: Kargil Vijay Diwas Anniversary23rd AnniversaryModi EraMilitary Reformsकारगिल विजय दिवसArticles on Kargil Vijayकारगिल विजय दिवस की वर्षगांठ23वीं वर्षगांठमोदी युगसैन्य सुधारकारगिल विजय पर लेखKargil Vijay Diwas
ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

विजय गाथा : कारगिल के वीर सपूतों को देश का सलाम

बलिदानियों को श्रद्धांजलि अर्पित करते सीएम पुष्कर सिंह धामी

बलिदानी सैनिकों के परिजनों के लिए सीएम धामी की बड़ी घोषणा, अब 50 लाख रुपये की अनुग्रह राशि देगी उत्तराखंड सरकार

कारगिल युद्ध में भारतीय जांबाजों ने अप्रतिम शौर्य दिखाया था।

कारगिल विजय दिवस : जरा याद उन्हें भी कर लो जो लौट के घर न आए

PM Narendra Modi addressed kargil Vijay Diwas

कारगिल विजय दिवस: अग्निपथ योजना का लक्ष्य सेना को युवा बनाना है..लोगों ने इसे राजनीति का विषय बना दिया: PM नरेंद्र मोदी

कारगिल विजय दिवस पर विशेष प्रस्तुति

भारत के सामर्थ्य की याद दिलाता है कारगिल विजय दिवस

उत्तराखंड : कारगिल विजय दिवस पर सिम्फनी बैंड का प्रदर्शन

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

four appointed for Rajyasabha

उज्ज्वल निकम, हर्षवर्धन श्रृंगला समेत चार हस्तियां राज्यसभा के लिए मनोनीत

Kerala BJP

केरल में भाजपा की दो स्तरीय रणनीति

Sawan 2025: भगवान शिव जी का आशीर्वाद पाने के लिए शिवलिंग पर जरूर चढ़ाएं ये 7 चीजें

CM Yogi Adityanath

उत्तर प्रदेश में जबरन कन्वर्जन पर सख्त योगी सरकार, दोषियों पर होगी कठोर कार्यवाही

Dhaka lal chand murder case

Bangladesh: ढाका में हिंदू व्यापारी की बेरहमी से हत्या, बांग्लादेश में 330 दिनों में 2442 सांप्रदायिक हमले

प्रदर्शनकारियों को ले जाती हुई पुलिस

ब्रिटेन में ‘पैलेस्टाइन एक्शन’ के समर्थन में विरोध प्रदर्शन, 42 प्रदर्शनकारी गिरफ्तार

Trump Tariff on EU And maxico

Trump Tariff: ईयू, मैक्सिको पर 30% टैरिफ: व्यापार युद्ध गहराया

fenugreek water benefits

सुबह खाली पेट मेथी का पानी पीने से दूर रहती हैं ये बीमारियां

Pakistan UNSC Open debate

पाकिस्तान की UNSC में खुली बहस: कश्मीर से दूरी, भारत की कूटनीतिक जीत

Karnataka Sanatan Dharma Russian women

रूसी महिला कर्नाटक की गुफा में कर रही भगवान रुद्र की आराधना, सनातन धर्म से प्रभावित

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies