पंजाब सरकार द्वारा कॉलेजों को अनुसूचित जाति छात्रवृत्ति का भुगतान नहीं किए जाने से इस वर्ग के 2 लाख छात्र पढ़ाई से दूर हो गए हैं। राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (एनसीएससी) ने इस मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए पंजाब सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है। राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने कहा है कि पंजाब सरकार द्वारा लगभग 2000 करोड़ रुपए की छात्रवृत्ति योजना के तहत बकाया राशि का कॉलेजों को भुगतान नहीं किया है। इस कारण से राज्य के अनुसूचित जाति वर्ग के लगभग दो लाख छात्रों ने कॉलेज छोड़ दिया है।
एनसीएससी के अध्यक्ष विजय सांपला ने कहा कि आयोग ने राज्य सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है कि केंद्र द्वारा बकाया भुगतान के बावजूद कॉलेजों को पैसे का भुगतान क्यों नहीं किया गया है। उन्होंने बताया कि हमने मामले में स्वत: संज्ञान लिया है। अनुसूचित जाति के छात्रों की कई शिकायतें हैं कि उन्हें कॉलेजों में अनुमति नहीं दी जा रही है क्योंकि सरकार ने उनकी फीस का भुगतान नहीं किया है। उन्होंने कहा कि 2017 में योजना से लाभान्वित होने वाले लगभग तीन लाख एससी छात्र थे और 2020 में यह संख्या घटकर 1-1.25 लाख हो गई। जब हमने राज्य सरकार से पूछा, तो उन्होंने कहा कि ये बच्चे पढ़ाई छोड़ चुके हैं। विजय सांपला के मुताबिक बैठक में अधिकारियों ने बताया कि केंद्र की ओर से राज्य को छात्रवृत्ति का बकाया भुगतान नहीं किया गया है। इसके बाद केंद्र की ओर से जारी आंकड़ों में कोई बकाया नहीं होने की बात सामने आई, जबकि राज्य सरकार को कॉलेजों को 2000 करोड़ रुपए का भुगतान नहीं किया गया। अब यह सवाल उठता है कि छात्रवृत्ति का पैसा कहां गया। सांपला ने कहा कि पंजाब सरकार को अगले बुधवार तक स्पष्टीकरण देने को कहा गया है।
पंजाब के अनुसूचित जातियों के छात्रों के भविष्य के साथ हुए खिलवाड़ का मामला राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष विजय सांपला अनुसार उस समय उजागर हुआ जब सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय और पंजाब सरकार के बीच गत सोमवार को उपरोक्त मामले को लेकर बैठक हुई थी। बैठक में यह बात भी सामने आई थी कि केंद्र सरकार ने अपने हिस्से की सारी राशि पंजाब सरकार को दे दी थी और केंद्र सरकार की तरफ कोई बकाया राशि नहीं है।
गौतरलब है कि कांग्रेस पार्टी ने जब कै. अमरेन्द्र सिंह को मुख्यमंत्री पद से हटाकर एक दलित नेता चरणजीत सिंह चन्नी को पंजाब का मुख्यमंत्री बनाया था तो यही दावा किया था कि कांग्रेस पिछड़ों और दलित वर्ग को विशेष महत्व देती है। लेकिन जिस तरह चन्नी सरकार तथा उससे पहले कांग्रेस की कै. अमरेन्द्र सिंह सरकार ने अनुसूचित जाति के छात्रों की छात्रवृत्ति संबंधित राशि कॉलेजों को नहीं दी उससे स्पष्ट है कि कांग्रेस दलितों व पिछड़ों के नाम पर राजनीति ही करती है। वरना क्या कारण था अनुसूचित जाति के छात्रों की छात्रवृत्ति का भुगतान न कर उनके भविष्य से खेलने का?
वर्तमान आम आदमी पार्टी की मान सरकार को मामले की गंभीरता को समझते हुए छात्रवृत्ति के न भुगतान के पीछे के कारणों की जांच करा जनता के सामने सच लाना चाहिए।
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