स्क्रीन पर बिताया जाने वाला समय खतरनाक ढंग से बढ़ रहा है और इसके साथ ही यह सवाल भी कि आखिर स्मार्टफोन के प्रयोग की सीमा क्या हो। इस सवाल का गोलमोल जवाब इस तरह से दिया जा सकता है कि अलग-अलग लोगों के लिए यह समय भी अलग-अलग होगा। हो सकता है कि किसी के लिए स्मार्टफोन का ज्यादा इस्तेमाल करना निजी कारणों, शिक्षा, रोजगार या कारोबार के लिहाज से जरूरी हो और ऐसे शख्स अगर आठ-दस घंटे भी इसका इस्तेमाल करते हैं तो चलता है। क्यों?
मुझे लगता है कि भले ही आपके कामकाज में स्मार्टफोन की भूमिका हो, तब भी आपको निजी स्तर पर (व्यवसाय से इतर) बिताए जाने वाले समय की सीमा तो तय करनी ही चाहिए, क्योंकि सेहत तो आपकी अपनी ही है। सैकड़ों अध्ययनों में कहा गया है कि स्मार्टफोन से भौतिक और मानसिक स्वास्थ्य, मस्तिष्क की क्षमताओं, सामाजिक संबंधों, उत्पादकता आदि पर असर पड़ रहा है। अगर कामकाज के दिनों में फोन का ज्यादा इस्तेमाल करना हमारी मजबूरी है तो छुट्टी के दिन उसे छुट्टी देकर हम अपना औसत समय ठीक कर सकते हैं।
औसत समयसीमा पर गौर करना इसलिए भी जरूरी है कि ऐसे लोगों की संख्या बहुत कम है, जिनके लिए इसके अधिक प्रयोग की मजबूरी है। दुनिया की ज्यादातर आबादी की ऐसी कोई मजबूरी नहीं है कि वह दिन में पांच से दस घंटे स्मार्टफोन का इस्तेमाल करे। अध्ययन बताते हैं कि हममें से ज्यादातर लोग सिर्फ समय काटने के लिए मोबाइल की शरण लेते हैं और धीरे-धीरे वह आदत और मजबूरी बन जाती है। वे ऐसी कई गतिविधियों में उलझे रहते हैं, जिनके बिना भी आसानी से काम चल सकता है, जैसे कि व्हाट्सएप के दर्जनों समूह जिनमें हम संदेशों को इधर से उधर करते रहते हैं। उनकी व्यर्थता जानते हुए भी उन्हें छोड़ नहीं पाते।
बच्चों और किशोरों की अपनी जरूरतें होती हैं। मोबाइल गैजेट उनके मनोरंजन, खेल-कूद और मेल-जोल के प्रधान उपकरण बन गए हैं। फिर शिक्षा से जुड़ी जरूरतें भी हैं। तो वे तीन घंटे की इसी अवधि में समायोजन कर सकते हैं और टेलीफोन पर बातचीत, व्हाट्सएप आदि की अवधि घटाकर मनोरंजन, मोबाइल गेम आदि पर एक घंटे की बजाए डेढ़ घंटा खर्च कर सकते हैं। लेकिन तीन घंटे की अधिकतम सीमा अच्छी है, बशर्ते इसे बढ़ाने की कोई बड़ी मजबूरी न हो।
अगर एक औसत इनसान के तौर पर बात की जाए तो स्मार्टफोन पर कितना समय बिताना उचित होगा? स्वास्थ्य विशेषज्ञों की राय में यह सीमा दो घंटे है। अगर शिक्षा, रोजगार और कामकाज से जुड़ी कोई मजबूरी न हो तो एक आम आदमी के लिए आज के समय की जरूरतों के लिहाज से यह एक आदर्श अवधि होगी। लेकिन मोबाइल फोन की बढ़ती उपयोगिता को ध्यान में रखते हुए अगर थोड़ी उदारता बरतें तो औसतन तीन घंटे की अवधि पर्याप्त होनी चाहिए। याद रखिए कि हम औसत की बात कर रहे हैं। संभव है, किसी दिन आपको मजबूरी में पांच घंटे मोबाइल का प्रयोग करना पड़े, लेकिन फिर किसी दिन इसे एक घंटा तक सीमित रखकर आप अपना औसत बनाए रख सकते हैं। सप्ताह के पांच दिन चार घंटे की जरूरत पड़े तो बाकी दो दिन समायोजन कर सकते हैं। यहां मुद्दे
की बात है ‘जरूरत’ के लिहाज से प्रयोग करना। यदि आप यह निश्चित कर लें कि बेवजह मोबाइल का प्रयोग नहीं करना है और बार-बार प्रयोग नहीं करना है तो आपके लिए यह लक्ष्य असंभव नहीं है।
मोबाइल के बारे में एक औसत वयस्क व्यक्ति की जरूरतें कैसी हैं? सबसे प्रधान है संचार। टेलीफोन कॉल करने, सुनने और व्हाट्सएप के लिए डेढ़ घंटे का औसत समय ठीक होगा। याद रखिए, हम आम आदमी की बात कर रहे हैं, ऐसे लोगों की नहीं जिनकी नौकरी और कारोबार में मोबाइल की भूमिका बहुत ज्यादा है। आप अपने पसंदीदा एप्स का प्रयोग करते हुए भी समय घटा सकते हैं। जैसे व्हाट्सएप को बार-बार देखने में तीन घंटे का समय लगाने की बजाए, उसे दिन में सिर्फ तीन या चार बार देखने की आदत डालना। आप एक साथ सारे संदेशों के उत्तर दे सकते हैं और इस अवधि को 30-40 मिनट पर ला सकते हैं। फेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्विटर और खबरों के लिए आधा घंटा पर्याप्त है। बाकी बचा एक घंटे का समय पढ़ने-लिखने, कुछ नया जानने-समझने, मनोरंजन और बाकी बचे कामों पर लगाया जा सकता है। जैसे- यूट्यूब, ईबुक, संगीत आदि। व्यवसाय से संबंधित जरूरतें इसके बाद आ सकती हैं। हालांकि उन्हें दो घंटे के भीतर सीमित रखा जा सके तो बहुत अच्छा है। सामान्य नागरिक के लिए तीन घंटे और कारोबारी विवशता वाले व्यक्ति के लिए पांच घंटे।
बच्चों और किशोरों की अपनी जरूरतें होती हैं। मोबाइल गैजेट उनके मनोरंजन, खेल-कूद और मेल-जोल के प्रधान उपकरण बन गए हैं। फिर शिक्षा से जुड़ी जरूरतें भी हैं। तो वे तीन घंटे की इसी अवधि में समायोजन कर सकते हैं और टेलीफोन पर बातचीत, व्हाट्सएप आदि की अवधि घटाकर मनोरंजन, मोबाइल गेम आदि पर एक घंटे की बजाए डेढ़ घंटा खर्च कर सकते हैं। लेकिन तीन घंटे की अधिकतम सीमा अच्छी है, बशर्ते इसे बढ़ाने की कोई बड़ी मजबूरी न हो।
(लेखक माइक्रोसॉफ्ट में ‘निदेशक- भारतीय भाषाएं और सुगम्यता’ के पद पर कार्यरत हैं)
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