आस्था और संकल्प का एक उदाहरण गाजियाबाद के रहने वाले युवक विकास ने कांवड़ यात्रा के दौरान पेश किया। विकास अपने बूढ़े माता-पिता को कांवड़ में बैठा कर गंगा स्नान कराने के लिए लाए। गंगा स्नान के बाद अब उन्हें वापस लेकर जा रहे हैं। युगों पहले श्रवण कुमार अपने अंधे माता-पिता को ऊना हिमाचल से कांवड़ में बैठाकर हरिद्वार गंगा स्नान कराने लाए थे। माना जाता है कि वो कांवड़ शुरू करने वाले पहले कांवड़िए थे।
श्रवण कुमार की प्रेरणा से गाजियाबाद के विकास नाम के युवक ने अपने वृद्ध माता-पिता को कांवड़ में बैठा कर हरिद्वार लाए और अब उन्हें गंगा स्नान कराकर वापस घर लेकर जा रहे हैं। विकास के माता-पिता के आंख में पट्टी बंधी है, ताकि उन्हें अपने पुत्र के जख्म या कष्ट दिखाई नहीं दे। विकास के साथ उनके दो मित्र भी इस सेवा में मदद कर रहे हैं। राह में कोई भी कांवड़ियां मिलता है वो भी विकास को सहारा देकर हौंसला बढ़ाता चलता है।
हरिद्वार से गाजियाबाद के बीच ये अद्भुत नजारा देखते ही बनता है। आस्था और संकल्प के इस सेवा को सनातन परंपरा से जोड़ कर देखने वाले लोगों में विकास की कांवड़ सबसे ज्यादा लोकप्रिय मानी जा रही है।
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