योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश को गुणवत्तापूर्ण नर्सिंग शिक्षा के केंद्र के रूप में विकसित करने की दिशा में एक बार फिर बड़ा कदम उठाया है। प्रशिक्षण केंद्रों में शिक्षा की गुणवत्ता के पड़ताल के लिए तकनीकी का इस्तेमाल किया गया और टेलीफोनिक सत्यापन में पहले दौर की जांच में 161 नर्सिंग प्रशिक्षण केंद्रों (डिप्लोमा स्तर पर) में अनिवार्य संकाय छात्र अनुपात का 50 फीसदी से कम मिला।
यूपी राज्य चिकित्सा संकाय (यूपीएसएमएफ) की ओर से इन प्रशिक्षण केंद्रों को नोटिस भेजे गए। इसके बाद 32 ऐसे केंद्रों की पहचान की गई, जिन्होंने यूपीएसएमएफ के नोटिस का कोई जवाब नहीं दिया था और अनिवार्य बायोमेट्रिक उपस्थिति भेजना भी शुरू नहीं किया था। इसके बाद ई सत्यापन किया गया, जहां इन 32 केंद्रों पर वीडियो कॉल के माध्यम से हर ट्यूटर की उनके पंजीकरण दस्तावेजों के साथ उनके आधार कार्ड का उपयोग करके पहचान की गई। ई सत्यापन में ही पांच केंद्रों ने हिस्सा नहीं लिया। छह के खिलाफ धोखाधड़ी के मामले सामने आए और नौ सत्यापित संकाय के 40 फीसदी बेंचमार्क को भी पूरा करने में असमर्थ थे। सबसे ज्यादा कमियां जेपी नगर और मथुरा केंद्र में मिलीं। दोनों जिलों में ही 3-3 केंद्र नियमों का पालन नहीं कर रहे थे।
इस बारे में प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा आलोक कुमार ने कहा कि प्रदेश को गुणवत्तापूर्ण नर्सिंग शिक्षा के हब बनाने के प्रयास में किसी भी तरह की लापरवाही नहीं बर्दाश्त की जाएगी। सरकार निर्धारित मानदंडों के गैर अनुपालन में किसी भी संस्था के प्रति कोई रियायत नहीं दिखाएगी। आने वाले समय में भी ऐसी सख्त कार्रवाई होती रहेगी।
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