गैंगस्टर अबू सलेम को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली है। कोर्ट ने कहा कि 25 साल की सजा पूरी होने के बाद ही अबू सलेम की रिहाई हो सकेगी। कोर्ट ने उसकी हिरासत 2005 से शुरू होना माना है। इस हिसाब से 2030 में 25 साल पूरे होने के बाद रिहाई पर विचार किया जाएगा। जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली बेंच ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि इसके बाद ही केंद्र सरकार राष्ट्रपति को सलेम की रिहाई के लिए सलाह देने को बाध्य है।
कोर्ट ने कहा कि आश्वासन के मुताबिक सलेम को 25 साल से अधिक समय तक हिरासत में नहीं रखा जा सकता है। सलेम की इस दलील को खारिज कर दिया कि उसको पुर्तगाल में जब हिरासत में लिया गया तब से 25 साल गिना जाए। कोर्ट ने कहा कि सलेम को 12 अक्टूबर, 2005 को भारत लाया गया था। 25 साल की सजा भी 12 अक्टूबर, 2005 से ही मानी जाएगी।
कोर्ट ने 5 मई को फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुनवाई के दौरान केंद्र के जवाब पर असंतोष जताया था। कोर्ट ने कहा था कि गृह सचिव के हलफनामे की सराहना नहीं की जा सकती है। केंद्र सरकार ने कहा था कि उसने पुर्तगाल सरकार से वादा किया है कि सलेम को 25 साल से ज्यादा की सजा नहीं दी जाएगी। ये दो देशों के बीच का मामला है, कोर्ट कानून के मुताबिक फैसला करे। कोर्ट ने कहा था कि कोर्ट को जो फैसला करना है वो तो कोर्ट करेगा ही। केंद्र सरकार का ये कहना सही नहीं है कि सलेम की याचिका प्री-मैच्योर है।
केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल जवाब में कहा है कि भारत सरकार की तरफ से पुर्तगाल को दिए गए आश्वासन से देश के अदालतें बंधी नहीं हैं। वह कानून के हिसाब से अपना निर्णय देती हैं।
अबू सलेम ने याचिका दायर करके कहा था कि पुर्तगाल से प्रत्यर्पण के समय भारत ने वहां की सरकार को आश्वासन दिया था कि किसी मामले में 25 साल से अधिक सज़ा नहीं दी जाएगी लेकिन मुंबई की टाडा कोर्ट ने उम्रकैद की सजा दी है।
(सौजन्य सिंडिकेट फीड)
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