सुयश सिंह
उदयपुर में कन्हैया के हत्यारों ने सर तन से जुदा कहकर वीडियो अपलोड किया था। जो लोग नूपुर शर्मा का समर्थन कर रहे हैं, उन्हें सर तन से जुदा की धमकी दी जा रही है। शर्मनाक ये है कि इसका गाना भी म्यूजिक एप GaanaApp पर अपलोड हो गया है। इस बात का पता चलते ही लोग इसका खुलकर विरोध कर रहे हैं।
मजहबी कट्टरपंथियों द्वारा सिर काटने का महिमामंडन करने वाले इस गाने को बढ़ावा दिया जा रहा है। हिंसा को एप पर क्यों बढ़ावा दिया जा रहा है, ये बड़ा सवाल है। सवाल ये भी है कि भारत में ये कैसे रिलीज हो गया ? ऐसा गाना जो कट्टरपंथ को बढ़ावा देता है, जो करोड़ों लोगों के अंदर हिंसा को बढ़ावा दे रहा है। ये एप एक कौम को कट्टरपंथ के लिए क्यों उकसा रहा है? इस एप के खिलाफ हिंदुओं का गुस्सा सोशल मीडिया पर फूटा और सोशल मीडिया पर ट्रेंड करने लगा #Boycott_GaanaApp, हालांकि गाना एप की तरफ से अभी तक कोई बयान नहीं आया है।
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— Suyash Singh (@Brand_Suyash) July 11, 2022
बता दें कि सर तन से जुदा करने वाला यह गाना केवल गाना एप के प्लेटफॉर्म पर नहीं है, बल्कि अन्य प्लेटफॉर्म पर भी है। यूजर्स ने इन सभी मंचों से इस गाने को हटाने की मांग की है। इससे पहले उदयपुर में कन्हैयालाल की हत्या करने वाले गौस मोहम्मद और रियाज अख्तरी ने हत्या करने के बाद ये नारे लगाए थे। “गुस्ताख ए रसूल की एक ही सजा, सर तन से जुदा, सर तन से जुदा।” सोशल मीडिया पर इस नारे को बैन करने की मांग भी उठ रही है, क्योंकि इसी नारे के सहारे मुसलमानों को भड़काया जा रहा है।
कहां से आया और किसने इजाद किया
पाकिस्तान में 2011 में पंजाब के गवर्नर सलमान तासीर की उनके ही गार्ड मुमताज कादरी ने हत्या कर दी थी। सलमान तासीर पर आरोप था कि उन्होंने पाकिस्तान के कुख्यात ब्लासफेमी कानून की आलोचना कर दी थी।
सलमान की हत्या के बाद पाकिस्तान में एकदम से राजनीतिक भूचाल आ गया। इसी समय में एक मौलाना काफी चर्चा में आया जिसका नाम था खादिम हुसैन रिजवी था। इस मौलाना ने मुमताज कादरी को “गाजी” घोषित किया और पूरे पाकिस्तान में उसके समर्थन में लोगों को इकट्ठा किया। उसी दौरान उसके जलसों में नारे लगने शुरू हुए। “गुस्ताख ए रसूल की एक ही सजा, सर तन से जुदा, सर तन से जुदा”। इस नारे ने मानों पूरे पाकिस्तान को अपने प्रभाव में ले लिया था।
हालांकि 2016 में मुमताज कादरी को सलमान तासीर की हत्या के अपराध में फांसी दे दी गयी लेकिन इस सजा का भी इस्तेमाल मौलाना खादिम हुसैन रिजवी ने अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए किया। मुमताज कादरी के नमाज ए जनाजा में एक लाख से अधिक लोग आये थे। इस समर्थन से खादिम हुसैन रिजवी और अधिक उत्साहित हुआ और उसने तहरीक ए लब्बैक का गठन किया। उसने पाकिस्तान को सच्चा इस्लामिक मुल्क बनाने का वादा किया। 2018 के चुनाव में उसे नेशनल एसेम्बली में सीट तो कोई नहीं मिली लेकिन कुल वोटों का 4.9 प्रतिशत खादिम हुसैन रिजवी को मिला था। पंजाब और सिन्ध के एसेम्बली इलेक्शन में भी उसे लगभग इतने ही वोट मिले। पहली ही बार में मिली इस राजनीतिक सफलता से पूरे पाकिस्तान में खादिम हुसैन रिजवी चर्चा में आ गया। “सर तन से जुदा” वाला जो नारा वह न केवल पाकिस्तान में बल्कि भारत में भी सभ्य समाज के लिए एक बड़ा संकट बन गया है।
(लेखक सोशल मीडिया विशेषज्ञ हैं)
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