आल्ट न्यूज फैक्ट चेक का दावा करता है। पर इसके सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर का सच से 36 का आंकड़ा है। फैक्ट चेक के नाम पर झूठ, अफवाहें और नफरत फैलाना उनका काम है। पेश हैं उनके सच के दावे के मुकाबले पाञ्चजन्य द्वारा पकड़े गए उनके 36 झूठ
उदयपुर में एक हिंदू दर्जी कन्हैयालाल की दो जिहादियों द्वारा दिनदहाड़े हत्या और इसके बाद जिहादियों द्वारा हत्या और धमकी का वीडियो वारयल करने की घटना ने पूरे राष्ट्र को, संपूर्ण मानव समाज को झकझोर दिया है। परंतु इस हत्या के लिए इन जिहादियों को खाद-पानी देने वाले कौन हैं? टीवी पर चर्चा के दौरान नुपूर शर्मा के वक्तव्य के एक खास हिस्से को काट कर, नकारात्मक ढंग से वायरल कर मुस्लिम समाज में आक्रोश के बीज बोने वाले क्या इस हत्या में हिस्सेदार नहीं हैं? यह बीज बोने वालों में एक नाम है मोहम्मद जुबैर। वही जुबैर जिनका ट्विटर हैंडल है और जिन्होंने नुपूर का कटा-छंटा वीडियो वायरल किया। जुबैर फाल्ट लाइन पर चलने वाली आल्ट न्यूज के सह-संस्थापक हैं। मोहम्मद जुबैर को पिछले दिनों अफवाह फैलाने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया।
देश में पिछले कुछ वर्षों से फैक्ट चेक के नाम पर फेक न्यूज फैलाना और उसकी आड़ में राष्ट्रवाद की विचारधारा को बदनाम करना, भारत की छवि को विश्व पटल पर धूमिल करना, देश में हिन्दू और मुसलमानों के बीच वैमनस्य उत्पन्न करना और समाज को नफरत की आग में झोंकने का कुकृत्य चल रहा है। इतना ही नहीं, फैक्ट चेक के नाम पर फेक न्यूज फैलाकर विदेशों से लाखों रुपये का चंदा इकट्ठा करने का खेल भी चल रहा है। इस फैक्ट चेक के नाम पर फेक न्यूज फैलाने वाली गैंग की कमान है सच से 36 का आंकड़ा रखने वाले मोहम्मद जुबैर के हाथों में। पेश हैं मोहम्मद जुबैर के 36 झूठ –
1. जून 2021 में मोहम्मद जुबैर ने एक ट्वीट किया कि गाजियाबाद के लोनी में एक बुजुर्ग अब्दुल समद को कुछ गुंडों ने धमकाया, मारा-पीटा, उसकी दाढ़ी काट दी, और उससे जबरन जय श्रीराम बुलवाया। हमने जांच की तो पता चला कि अब्दुल टोना-टोटका करता था और उसने एक गर्भवती महिला से ताबीज देकर ठगा था जिसके बाद मुस्लिम समाज के ही आदिल, मुजाहिद, आरिफ सहित कुछ लोगों ने उसकी पिटाई की थी। पुलिस ने भी इसकी पुष्टि की।
2. फरवरी 2021 में जुबैर ने एक अखबारी कटिंग ट्वीट की, जिसका शीर्षक था, ‘गौसेवा के नाम पर 20 लाख का दान जुटा फरार हुए आरोपी’। जांच की गई तो पता चला कि घटना जुलाई 2017 की राजस्थान के एक गांव की थी न कि 2021 की। जुबैर इस 4 साल पुरानी खबर को जुबैर ने राम मंदिर निधि समर्पण से जोड़कर दिखा रहा था। खुलासा होने पर जुबैर ने ट्वीट डिलीट कर दिया।
3. 3 नवंबर 2020 को जुबैर ने द लल्लनटॉप का एक वीडियो ट्वीट किया। इसमें एक युवक खुद को हिन्दू बताते हुए नरेंद्र मोदी की नीतियों का विरोध कर रहा था। पूरा वीडियो देखने और लड़के का नाम पता कर उसका फेसबुक प्रोफाइल खंगालने पर खुलासा हुआ कि वह एक कम्युनिस्ट कार्यकर्ता था और खुद को भाकपा का भावी विधायक प्रत्याशी भी बता चुका था।
4. वर्ष 2020 में आभूषण ब्रांड तनिष्क के एक विज्ञापन को लेकर विवाद हुआ था। जुबैर ने इंदौर के तनिष्क स्टोर का एक वीडियो ट्वीट किया। इसमें जुबैर ने यह दिखाने की कोशिश की कि लोग जय श्रीराम का नारा लगाते हुए तनिष्क स्टोर पर हमला करने वाले हैं। हमने पूरा वीडियो देखा तो पता चला कि हिन्दू संगठन के कार्यकर्ता तनिष्क स्टोर के बाहर शांतिपूर्ण धरना दे रहे थे।
5. हाथरस घटना के समय राहुल और प्रियंका गांधी पीड़िता के परिवार से मिलने गाड़ी से उसके गांव जा रहे थे। गाड़ी के भीतर का एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें राहुल और प्रियंका ठहाके लगा रहे थे। लोगों ने सवाल उठाया कि वे पीड़िता के परिवार से मिलने जा रहे हैं या जश्न मनाने। इसके बाद जुबैर ने इसका फैक्ट चेक किया। उन्होंने बड़ी चालाकी से 2019 के चुनाव की राहुल-प्रियंका की हंसते हुए फोटो निकाली और पीड़िता के यहां जाते समय इनके हंसने की बात को खारिज कर दिया। फैक्ट चेक वीडियो का करना था जबकि दूसरी फोटो निकालकर राहुल-प्रियंका को क्लीन चिट दे दी।
6. फरवरी 2019 को उत्तर प्रदेश के गोंडा में विहिप ने पुलवामा हमले के खिलाफ रैली निकाली। जुबैर ने एक वीडियो ट्वीट कर आरोप लगाया कि रैली में देशविरोधी नारे लगाए गए। गोंडा पुलिस ने उस वीडियो को गलत बताते हुए लिखा कि रैली में ऐसा कोई देशविरोधी नारा नहीं लगाया गया।
7. सीएए विरोधी प्रदर्शन के दौरान जामिया लाइब्रेरी में दंगाइयों द्वारा दिल्ली पुलिस पर पथराव के वायरल वीडियो का फैक्ट चेक करते हुए जुबैर ने यह बताया कि उनके हाथों में पत्थर नहीं, वॉलेट है। बाद में सामने आए पूरे वीडियो में साफ दिख रहा था कि हमलावरों के हाथों में पत्थर ही थे।
8. अप्रैल 2020 में गुजरात के सूरत में कुछ जैन मुनि आपदा के समय लोगों में राहत सामग्री बांट रहे थे। जुबैर ने वीडियो ट्वीट करते हुए बताया कि जैन मुनि कोरोना नियमों और लॉकडाउन का उल्लंघन कर रहे थे। पूरा वीडियो देखने पर पता चला कि वहां राहत सामग्री रखी थी जिसे जैन मुनि बांट रहे थे।
9. जम्मू और कश्मीर के उप मुख्य मुफ़्ती ने मुसलमानों के लिए अलग देश बनाने और पूरे भारत में शरिया कोर्ट स्थापित करने की मांग की थी। पोर्टल आप इंडिया ने इस पर एक लेख छापा। जुबैर ने अपने फेसबुक पेज ‘अनआफिशियल सुब्रमण्यम स्वामी’ पर उस लेख को झूठा बताया और कहा कि उप मुख्य मुफ़्ती ने ऐसा कोई बयान नहीं दिया। हालांकि जांच में पता चला कि कई मीडिया पोर्टल्स ने उस उप मुख्य मुफ़्ती के उक्त बयान को छापा।
10. आल्ट न्यूज ने स्पष्ट तौर पर यह साबित करने का प्रयास किया कि अमरोहा में एक दलित को मंदिर में जाने के कारण गोली मार दी गई। जुबैर ने खुद इसे ट्वीट किया। अमरोहा पुलिस ने छानबीन के बाद वीडियो जारी कर स्पष्ट किया कि इस घटना में युवक की जाति और मंदिर में प्रवेश का कोई प्रसंग था ही नहीं।
11. एक वायरल वीडियो वायरल में अल्लामा कौकब नूरानी नामक मौलवी, कोरोना वायरस की वैक्सीन पर बेहद भ्रामक जानकारी और अफवाह फैलाते देखा गया। जुबैर ने मौलाना का बचाव करते हुए लिखा, वो आदमी पाकिस्तान से है, भारत से नहीं। वैसे वीडियो देख के, नैनो चिप वाली नोट का वीडियो याद आ गया।
12) जुबैर ने आरोप लगाया कि मेक्सिको में टीवी पढ़ाई करा रहे हैं, जबकि भारत में दूरदर्शन पीएम मोदी के मन की बात के प्रसारण में लगा है। यह बताने पर कि भारत में 3 दर्जन से अधिक चैनल पठन-पाठन के काम में जुटे हैं, उन्होंने अपनी ट्वीट्स डिलीट कर दीं।
13) जुबैर ने अप्रैल में सोलापुर में आग लगने की खबर शेयर की जो जांच में फरवरी का निकला। बाद में उन्होंने भी माना कि उसने जिस वीडियो को रीट्वीट किया था, वो 2 महीने पुराना है।
14) जुबैर ने दावा किया कि मन की बात के वीडियो पर छात्रों के विरोध के डर से टिप्पणी पर रोक लगाई गई है। जांच में व्यवस्था पता लगी कि मन की बात के वीडियो पर नहीं बल्कि पीएमओ इंडिया के पेज पर सारे वीडियो पर टिप्पणियां वर्षों से बंद हैं जबकि नरेंद्र मोदी और भाजपा के यूट्यूब चैनल पर इसी वीडियो पर कोई भी जाकर टिप्पणी कर सकता है।
15) महंत गोपालदास के कोरोना पॉजिटिव होने पर जुबैर ने एडिटेड फोटो शेयर कर दावा किया कि सरसंघचालक श्री मोहन भागवत उनके बगल में ही बैठे थे। हमारी जांच में पता चला कि ऐसा कुछ नहीं था।
16. खबर थी कि अमेरिका के टाइम्स स्क्वायर पर राम मंदिर का बिलबोर्ड दिखाया जाएगा। जुबैर ने कार्यक्रम रद्द होने का दावा किया। जबकि तय समय पर राम मंदिर के डिजिटल बिलबोर्ड का प्रदर्शन हुआ।
17. जुबैर ने अपने पेज ‘अनआफिशियल – सुब्रमण्यम स्वामी’ पर दावा किया कि दिल्ली विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा स्ट्रांग रूम से ईवीएम चुरा रही है। जब फैक्टहंट ने फैक्ट चेक के बाद पाया गया कि वह वीडियो फर्जी है तो जुबैर ने पेज के दूसरे एडमिन पर इसकी जिम्मेदारी डाल दी।
18. मोहम्मद जुबैर ने किसानों पर पुलिस लाठीचार्ज की तस्वीर शेयर कर दावा किया कि किसानों के साथ पुलिस आतंकियों जैसा व्यवहार कर रही है। बाद में खुलासा हुआ कि ये वीडियो यूपीए सरकार के काल की 2013 की है। जुबैर ने कविता कृष्णन ने ट्वीट को आगे बढ़ाया था।
19. श्रीलंका में हुए हमले के बाद वहां के एक मंत्री ने पत्र लिखा कि खुफिया अधिकारियों को पहले से इसकी भनक थी। अभिजीत मजूमदार और आनंद रंगनाथन जैसे लोगों ने जब ट्विटर पर इस पत्र को आगे बढ़ाया तो जुबैर ने आतंकियों के बचाव के लिए उसे फेक करार दिया। जबकि मंत्री ने खुद अपने हैंडल से उसे डाल रखा था।
20. जुबैर ने एक विरोध प्रदर्शन का वीडियो शेयर करके लिखा कि दिल्ली में हुए इतने बड़े विरोध को मीडिया नहीं दिखा रहा। जांच में सामने आया कि वीडियो दिल्ली नहीं, मुम्बई का है।
कौन कर रहे हैं जुबैर का समर्थन?
जुबैर की गिरफ्तारी के बाद से ही राहुल गांधी और अखिलेश यादव जैसे विपक्षी नेता लगातार उसके समर्थन में ट्वीट कर रहे हैं। विपक्षी नेता इसे अभिव्यक्ति की आजादी और प्रेस की स्वतंत्रता पर मोदी सरकार का हमला बता रहे हैं। यहां उल्लेखनीय है कि अखिलेश यादव वही नेता हैं जिन्होंने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के बाद खुद ट्विटर पर फेक न्यूज फैलाकर माहौल खराब करने की कोशिश की थी। अखिलेश ने एक वीडियो ट्वीट करते हुए लिखा था कि “कुंडा में जिस तरह बूथ पर उपस्थित किसी दल के अवांछित व्यक्ति द्वारा सरेआम महिलाओं के वोटों का बटन दबाया जा रहा है, उसके वीडियो का संज्ञान लेते हुए चुनाव पर्यवेक्षक चुनाव आयोग से कुंडा का चुनाव रद्द करने की अपील करें। साथ ही दोषी को तत्काल गिरफ्तार करें।
दरअसल जिस वीडियो को अखिलेश यादव ने कुंडा का बताया था वह वीडियो 2019 के हरियाणा चुनाव का था। अखिलेश यादव के इस झूठे ट्वीट के बाद कुंडा के विधायक राजा भैया ने भी ट्वीट कर उसका खंडन किया था।
21. मॉब लिंचिंग का मुद्दा गरमाने पर जुबैर ने मॉब लिंचिंग का एक वीडियो शेयर कर लोगों को भड़काने की कोशिश की और मोदी सरकार को इसका कारण बताया। जांच से पता चला कि वीडियो कांग्रेस के शासनकाल के था।
22. जुबैर ने फेसबुक पेज पर पोस्ट किया कि कश्मीरी छात्र रक्तदान कर रहे हैं। जांच करने पर हमें पता चला कि वो तस्वीर एक घायल व्यक्ति की थी, जो विरोध प्रदर्शन के दौरान जख्मी हो कर अस्पताल में था। जुबैर ने झूठी पोस्ट कर कश्मीरी छात्रों के लिए सहानुभूति जुटाने की कोशिश की।
23. जुबैर ने झूठ फैलाया कि भाजपा नेत्री अंजू घोष बांग्लादेश की हैं जिन्हें भाजपा ने पार्टी में शामिल किया है। भाजपा नेता दिलीप घोष ने उनका जन्म प्रमाणपत्र शेयर करके जुबैर के झूठ का खुलासा किया।
24. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बताया था कि प्रधानमंत्री बनने से पहले वे अपने कपड़े खुद धोते थे। तब जुबैर ने एक खबर शेयर की जिसमें हृदयाघात से मरे एक व्यक्ति को जुबैर ने प्रधानमंत्री मोदी का धोबी बता कर प्रधानमंत्री को झूठा साबित करने की चेष्टा की। जबकि उसी खबर में लिखा था कि वह व्यक्ति मोदी के कपड़े प्रेस करता था, धोता नहीं था।
25. कठुआ बलात्कार मामले में जुबैर ने ट्विटर पर कई ऐसी रिपोर्ट साझा कीं जिनसे वह विशाल जंगोत्रा को बलात्कारी साबित करने की चेष्टा कर रहे थे। लेकिन न्यायालय में भी विशाल निर्दोष साबित हुआ, तब जुबैर की बोलती बंद हो गई।
26. ग्रेटर नोएडा में एक हत्याकांड के एक आरोपित सोनू पाठक के भाजपा नेता होने की खबर जुबैर ने फैलाई। बाद में पुलिस ने जुबैर के झूठ का खुलासा किया जिसमें ये बताया गया कि सोनू पाठक भाजपा का कार्यकर्ता नहीं है।
27) कोविड के समय मौलाना साद का आॅडियो वायरल हुआ, जिसमें उसने मुस्लिम समुदाय को कोरोना से न डरते हुए सारी इस्लामी गतिविधियां जारी रखने की सलाह दी। तब जुबैर ने इस आॅडियो को फेक बताया और मौलाना साद का बचाव किया। दिल्ली पुलिस ने जांच कर बताया कि आॅडियो मौलाना साद का ही है।
28. जुबैर ने एक ट्वीट किया कि एक दलित लड़के को मंदिर में घुसने पर मार डाला गया। सच्चाई ये थी कि 5000 रुपये के कर्ज को लेकर ये वारदात हुई थी। उस मंदिर का इतिहास रहा है कि उसमें दशकों से दलित जाकर पूजा-पाठ करते आ रहे हैं।
29. जुबैर ने दावा किया था कि कर्नाटक के तत्कालीन मुख्यमंत्री येदियुरप्पा कभी टीपू जयंती समारोह में हिस्सा लेते थे और अब इसका विरोध करते हैं। साथ ही उसने समारोह की तस्वीर भी शेयर की। पता चला कि वह तस्वीर कर्नाटक जनता पक्ष अल्पसंख्यक समारोह की थी, टीपू जयंती
की नहीं।
फैक्ट चेकिंग नहीं, ‘नफरत’ फैलाने के लिए चंदा
जुबैर अक्सर अपने ट्विटर एकाउंट पर क्राउडफंडिंग के जरिये लोगों से चंदा लेता है। लेकिन मई के महीने में एक अलग ही चीज उसके क्राउडफंडिंग लिंक पर देखने को मिली। जुबैर ने मई में जब अपने प्रोपेगंडा वेबसाइट आॅल्ट न्यूज के लिए लोगों से चंदा लेने के लिए क्राउडफंडिंग लिंक ट्वीट किया तो मई में 1 से लेकर 28 तारीख तक उसे बस 3,78,846 रुपये बस प्राप्त हुए। लेकिन जैसे ही उसने नूपुर शर्मा के उस वीडियो को साझा कर ट्विटर पर भड़काऊ और नफरती एजेंडा चलाना शुरू किया तो 24 घंटे से भी कम समय में उसे 4 लाख से भी ज्यादा रुपये मिल गए। इससे हम समझ सकते हैं कि मोहम्मद जुबैर सोशल मीडिया पर भड़काऊ एजेंडा चलाकर लोगों से पैसे ऐंठने में भी माहिर है।
30. जुबैर ने झूठ फैलाया कि नीतीश कुमार द्वारा उद्घाटित 263 करोड़ रुपये का सत्तर घाट पुल बाढ़ से ढह गया है। सच्चाई ये है कि सत्तर घाट पुल से 2 किमी दूर एक छोटी पुलिया का पहुंच पथ टूटा था।
31. जुबैर ने एक तस्वीर साझा कर दावा किया कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विवेक तिवारी के परिजनों से बातचीत के समय उन्हें अपने से दूर रखा। जबकि एक अन्य तस्वीर में मुख्यमंत्री उस परिवार के बच्चों को पास बुला कर उनकी पीठ थपथपाते दिख रहे हैं।
32. अर्बन नक्सलियों के पास से आपत्तिजनक पुस्तक ‘वॉर एंड पीस’ जब्त हुई। तब जुबैर ने प्रधानमंत्री मोदी की भी ‘वॉर एंड पीस’ पढ़ते हुए तस्वीर वायरल की। उन्हें नहीं पता था कि मोदी लिओ टॉलस्टॉय की पुस्तक पढ़ रहे थे जबकि नक्सलियों के पास से जब्त पुस्तक विश्वजीत रॉय की
लिखी थी।
33. वंदे भारत ट्रेन के उद्घाटन पर पीयूष गोयल के बयान पर भी जुबैर ने झूठी खबर फैलाई। पीयूष गोयल ने कहा था हमारी सरकार ने अपने वादे के अनुसार तय समय पर वंदे भारत एक्सप्रेस राष्ट्र को समर्पित कर दी। लेकिन एनडीटीवी ने गोयल का बयान कुछ इस प्रकार छापा “Biggest answer to terrorist , Piyush goyal said”। बाद में एनडीटीवी ने अपना शीर्षक ठीक कर लिया पर जुबैर ने अपने झूठे ट्वीट डिलीट नहीं किए।
34. जुबैर ने युवराज नामक व्यक्ति का प्रोफाइल ट्विटर पर प्रोफाइल साझा करते हुए आरोप लगाया कि युवराज संघ कार्यकर्ता है जिसने मुफ्त में बिरयानी न देने पर एक कैशियर की हत्या की। जांच से पता चला कि युवराज डीएमके कार्यकर्ता है और डीएमके ने भी उसे पार्टी से निकाल दिया है।
35. फरवरी 2021 में जुबैर ने आदित्य तिवारी के ट्वीट को रिट्वीट करते हुए यह झूठ फैलाया कि उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में एक गांव में तेरहवीं के दौरान भाजपा समर्थकों और किसानों में झड़प हो गई। वहां भाजपा नेता संजीव बाल्यान भी थे। घटना की जांच पर पता चला कि मुजफ्फरनगर के सोरम गांव में असल में किसानों-भाजपा में नहीं बल्कि रालोद और भाजपा के कार्यकतार्ओं में झड़प हुई थी। रालोद कार्यकर्ता संजीव बाल्यान का विरोध कर रहे थे।
36. 9 जून 2020 को जुबैर ने टाइम्स आफ इंडिया के एक ट्वीट को उद्धृत कर यह झूठ फैलाया कि ‘मध्य प्रदेश के किशनपुर गांव में एक कार्यक्रम के दौरान आयोजक ने दलित व्यक्ति देवराज अनुरागी को साफ-सफाई के लिए बुलाया। जब एक आयोजक ने देवराज को खाना परोसते देखा तो उसने देवराज की पीट-पीटकर हत्या कर दी।’ मामले की जांच करने पर पता चला कि देवराज को उस कार्यक्रम में एक लड़की से छेड़छाड़ करते हुए देखा गया जिसके बाद लोगों ने उसकी पिटाई कर दी।
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