उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे को बेहतर करते हुए पिछले पांच सालों में सरकार ने तेजी से कदम बढ़ाए हैं। युवाओं के कौशल को निखारने के लिए चिकित्सा क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलाव हुए हैं। पिछले दिनों मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पीडियाट्रिक एडवांस सेंटर शुरू करने की बात कही, जिसमें बच्चों की जन्मजात सहित अन्य बीमारियों के उपचार तो हो सके। इसके साथ ही उन पर अध्ययन किया जा सके। उन्होंने निर्देश देते हुए कहा कि ये सेंटर ऐसे होने चाहिए, जो देश-दुनिया के लिए मॉडल बनें।
इसकी कार्ययोजना तैयार करने की जिम्मेदारी एसजीपीजीआई को दी गई। एसजीपीजीआई की टीम ने विभिन्न देशों में चल रहे ऐसे सेंटरों की सुविधाओं का अध्ययन कर कार्ययोजना तैयार की। प्रदेश में बच्चों के उपचार की विश्व स्तरीय चिकित्सा सुविधा मुहैया करने के लिए एसजीपीजीआई में पीडियाट्रिक एडवांस सेंटर खोला जाएगा। इसका निर्माण करीब 500 करोड़ रुपये की लागत से किया जाएगा। सेंटर में संबंधित सुपर स्पेशियलिटी विभाग की पढ़ाई शुरू हो सकेगी। डिग्री व डिप्लोमा कोर्स शुरू होने से संबंधित क्षेत्र में विशेषज्ञों की संख्या बढ़ेगी।
एसजीपीजीआई के निदेशक प्रो. आरके धीमान ने कहा कि पीडियाट्रिक एडवांस सेंटर को विश्वस्तरीय बनाने का प्रयास किया जा रहा है। कोशिश है कि विकसित देशों में जैसी उपचार की सुविधा प्रदेश के बच्चों को भी मिल सके। परियोजना तैयार है। अगले माह शिलान्यास की तैयारी है। इसे दिसंबर तक तैयार करने का लक्ष्य है।
हर साल बच्चों के उपचार के लिए 48 विशेषज्ञ तैयार होंगे। इससे इन विधाओं से जुड़ी क्लीनिक भविष्य में मेडिकल कॉलेजों में भी शुरू हो सकेंगी। प्रोजेक्ट के दूसरे फेज में 12 से 18 साल की उम्र वाले किशोर-किशोरियों से जुड़ी बीमारियों के उपचार के लिए केंद्र बनेगा। यह पूरी तरह से मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ा होगा। उम्र बढ़ने के साथ किशोरों में होने वाले विभिन्न हार्मोनल बदलाव की समस्या का निस्तारण किया जाएगा।
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