5 जुलाई को पाञ्चजन्य में झारखंड के गढ़वा जिले की एक खबर प्रकाशित हुई थी। खबर थी कि कोरवाडीह स्थित सरकारी विद्यालय में मुसलमानों ने यह कहते हुए प्रार्थना बदलवा दी थी कि यहां 75 प्रतिशत आबादी मुसलमानों की है, इसलिए प्रार्थना हाथ जोड़कर नहीं, बल्कि हाथ मोड़कर होगी। इस खबर का असर हुआ और सरकार ने हस्तक्षेप किया। अब वहां पहले की तरह ही प्रार्थना होने लगी है।
गढ़वा जिले के कोरवाडीह स्थित सरकारी मध्य विद्यालय में मजहबी कट्टरपंथियों द्वारा जबरन स्कूल की प्रार्थना में बदलाव किया गया और बच्चों को हाथ जोड़ने के बजाए हाथ मोड़कर प्रार्थना करने को विवश किया। 5 जुलाई को पाञ्चजन्य ने इस खबर को प्रमुखता से उठाया। इसके साथ ही वहां के प्रधानाचार्य का वह वीडियो भी दिखाया गया, जिसमें प्रधानाचार्य युगेश राम खुद बता रहे हैं कि स्कूल प्रबंधन को 75% मुस्लिम आबादी की वजह से विवश होना पड़ा और उन्हीं के अनुसार स्कूल के नियमों को बदलना पड़ा। पाञ्चजन्य में खबर छपने के बाद पूरे देश में सोशल मीडिया पर भी अनेक प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं। झारखंड के नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने भी इस खबर पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सरकारी विद्यालयों में ऐसा करने की छूट दी गई तो जहां जिस मजहब के लोग अधिक संख्या में होंगे वे अपने हिसाब से सब कुछ तय करने लगेंगे।
राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग ने लिया संज्ञान
पाञ्चजन्य में प्रकाशित खबर का असर भी देखने को मिला। राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग ने मामले को गंभीरता से लेते हुए गढ़वा के उपायुक्त रमेश घोलप को पत्र जारी करते हुए जांच के आदेश दिए हैं। राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग को इस संदर्भ में 5 जून को गढ़वा के उसी विद्यालय से सम्बंधित एक शिकायत पत्र प्राप्त हुआ था, जिसमें लिखा गया था कि कुछ इस्लामिक कट्टरपंथियों द्वारा गढ़वा जिले के एक स्कूल में शरिया कानून लागू करने की कोशिश की जा रही है। इसके साथ ही उस पत्र में यह बताया गया था कि इन्हीं कट्टरपंथियों द्वारा उसी स्कूल में पूर्व से की जा रही प्रार्थना “दया कर दान विद्या का…” को हटा कर “तू ही राम है तू ही रहीम है.. ” कर दिया गया है। पत्र में बताया गया था कि बच्चों को हाथ जोड़कर प्रार्थना करने से रोका जा रहा है। आयोग ने शिकायत पत्र को ही आधार बनाते हुए गढ़वा के उपायुक्त को लिखा कि प्रथम दृष्टया यह भारतीय संविधान की धारा 25 का उल्लंघन दिखाई दे रहा है। आयोग ने इस मामले पर उपयुक्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही 7 दिन के भीतर जांच रिपोर्ट सौंपने की बात कही गई है।
शिक्षा मंत्री से मिले भाजपा विधायक भानु प्रताप शाही
मामला बढ़ता देख भाजपा के भवनाथपुर विधायक भानु प्रताप शाही ने भी झारखंड के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो से मिलकर इन असामाजिक तत्वों पर कार्रवाई करने का आग्रह किया। जगरनाथ महतो ने भी मामले को गंभीरता से लेते हुए गढ़वा के उपायुक्त और पुलिस अधीक्षक को फोन पर त्वरित कार्रवाई करने को कहा। शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो के अनुसार सरकारी स्कूलों में बाहरी हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि स्कूल में प्रार्थना को लेकर स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग की जो नियमावली है उसी का अनुपालन होना चाहिए। मंत्री के अनुसार अगर कोई गांव मुस्लिम—बहुल है तो वहां उस मजहब के अनुसार प्रार्थना की अनुमति नहीं दी जा सकती है। अंत में शिक्षा मंत्री ने उपायुक्त द्वारा की जाने वाली कार्रवाई की भी जानकारी मांगी है।
गढ़वा के उपायुक्त रमेश घोलप ने इस संवाददाता को बताया कि जैसे ही मामला उनके संज्ञान में आया जिला शिक्षा पदाधिकारी और प्रखंड पदाधिकारी को जांच के आदेश दे दिए गए। जांच के आधार पर ही आगे की कार्रवाई की जाएगी।
हालांकि अब प्रार्थना पहले की तरह ही होने लगी है। उम्मीद है कि आगे भी राज्य सरकार ऐसे मामलों को बिना भेदभाव गंभीरता से लेगी और निष्पक्ष कार्रवाई करेगी।
दस वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। राजनीति, सामाजिक और सम-सामायिक मुद्दों पर पैनी नजर। कर्मभूमि झारखंड।
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