लखनऊ हाई कोर्ट में एक अर्जी दाखिल की गई है कि आगरा किले की सीढ़ियों में ठाकुर केशव देव और चार अन्य विग्रह (मूर्तियों) को दबाया गया था उन्हें निकाला जाए। इस बारे में कोर्ट को अर्जी पर सुनवाई करते हुए फैसला लेना है। लखनऊ उच्च न्यायालय में अधिवक्ता वरुण कुमार मिश्र ने एक प्रार्थना पत्र देकर कोर्ट से ये अनुरोध किया है कि वो आगरा किले की सीढ़ियों के नीचे दबाए गए ठाकुर केशव और उनके साथ चार अन्य विग्रह को निकालने की अनुमति प्रदान करे।
वकील वरुण मिश्र द्वारा दायर प्रार्थना पत्र में कई साक्ष्यों का हवाला देते हुए ये अर्जी दाखिल की है। वकील मिश्र के अनुसार अब इस अर्जी के बारे में माननीय न्यायालय को निर्णय लेना है। हमने जो दावा किया है वो सबूतों पर आधारित है। वरुण मिश्र ने मथुरा के अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह की अर्जी को यहां दाखिल किया है। वकील महेंद्र प्रताप सिंह सिंह ने मुगल कालीन पुस्तकों में दर्ज जानकारी के आधार पर कोर्ट से एएसआई सर्वे किए जाने की मांग की है।
उनका कहना है कि मुगल शासक औरंगजेब ने मथुरा के केशवदेव मंदिर को तुड़वाकर वहां की रत्नजड़ित प्रतिमाओं, भगवान श्रीकृष्ण व अन्य विग्रहों को आगरा किला के दीवान-ए-खास की छोटी मस्जिद की सीढ़ियों में दबवा दिया था। उनका कहना है कि कोर्ट इसका संज्ञान ले और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) या अन्य सक्षम संस्था से वैज्ञानिक ढंग से अन्वेषण कराकर मूर्तियों को निकलवा कर श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर के किसी भाग में सुरक्षित रखवाया जाए।
अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह ने अपने दावे में इतिहासकार आशीर्वादी लाल श्रीवास्तव की पुस्तक ‘मुगलकालीन भारत’ का जिक्र किया है जिसमे कहा गया है कि औरंगजेब के काल में काशी का विश्वनाथ और मथुरा का केशवदेव मंदिर ढहा दिए गए थे, औरंगजेब ने ऐसी जगहों पर अपने दारोगा तैनात किए, जहां मंदिरों व मूर्तियों को तोड़ा जा रहा था। देश के सभी प्रांतों से मूर्तियाें को तोड़कर गाड़ियों में भरकर दिल्ली और आगरा लाया गया। उन्हें दिल्ली, आगरा व अन्य शहरों की जामा मस्जिदों और अन्य मस्जिदों की सीढ़ियों के नीचे दबा दिया गया था।
मथुरा ईदगाह को लेकर भी अर्जी
श्रीकृष्ण जन्मभूमि परिसर से जुड़ी ईदगाह मस्जिद परिसर का भी भूमि खुदाई कर सर्वे किए जाने संबंधी एक प्रार्थना पत्र हाई कोर्ट में दाखिल किया गया है। अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह जो कि श्रीकृष्ण जन्मभूमि ईदगाह विवाद में मथुरा सिविल जज के यहां इस मामले के पक्षकार हैं, उनके द्वारा ये अर्जी दी गई है। श्री सिंह की इस मांग संबंधी अर्जी को,जो कि सिविल जज मथुरा की अदालत में 14 अप्रैल 2021 को दायर की थी, कोर्ट ने खारिज कर दिया था।
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