हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने आज पंचकूला से 100 फुट से ज्यादा गहरे भूमिगत जल वाले गांवों के लिए सूक्ष्म सिंचाई की 7500 प्रदर्शन परियोजना के उद्घाटन समारोह में हरियाणा के प्रगतिशील किसानों से बात करते हुए कहा कि सूक्ष्म सिंचाई से धान लगाने का कार्य शुरू हो चुका है जो यह बहुत बड़ा उदाहरण है।
सूक्ष्म सिंचाई से होती है 50 से 60 प्रतिशत पानी की बचत प्रगतिशील किसान मनोज कुमार, तरावड़ी, जिला करनाल ने मुख्यमंत्री से बातचीत करते हुए बताया कि मैंने इस वर्ष मिकाड़ा के तहत सूक्ष्म सिंचाई का इस्तेमाल एक एकड़ भूमि पर किया। जिसमें धान की फसल लगाई हुई है, जिससे 50 से 60 प्रतिशत पानी की बचत के साथ-साथ खेत के मजदूरी का पैसा भी बचा है। उन्होंने बताया कि मैंने सिर्फ जीएसटी का 18 हजार रूपये ही भरा था बाकी का सारा खर्च 82 से 83 प्रतिशत सरकार द्वारा वहन किया गया है। डीएसआर विधि से 50 से 30 प्रतिशत पानी की बचत होती है। इसी प्रकार प्रगतिशील किसान अशोक रत्ताखेड़ा जिला फतेहाबाद ने बताया कि उन्होंने सूक्ष्म सिंचाई एक एकड़ में लगवाया है जिससे 50 प्रतिशत से अधिक पानी की बचत होती है और इस बार अपनी सारी जमीन पर सूक्ष्म सिंचाई लगवाने की सोच रहा हूँ। सूक्ष्म सिंचाई से फसल की अधिक पैदावार प्रगतिशील किसान बलबीर सिंह जिला अंबाला ने अपने खेत से मुख्यमंत्री से सीधी बात करते हुए बताया कि 2019-20 में सिंचाई विभाग की टीम आई थी जिन्होंने मुझे यह प्रोजेक्ट लगाने की सलाह दी। तो मैने दो एकड़ गन्ने की फसल में यह प्रोजेक्ट लगवाया और पिछले वर्ष धान की खेती में भी इसका उपयोग किया। सूक्ष्म सिंचाई से किसान को पानी व बिजली की बचत के साथ-साथ फसल की अधिक पैदावार भी होती है। सूक्ष्म सिंचाई से एक घंटे में पांच एकड़ फसल में फिरता है पानी प्रगतिशील किसान हक्कम सिंह जिला यमुनानगर ने बताया कि वह 21 एकड़ भूमि पर सूक्ष्म सिंचाई से खेती कर रहा है। जिसमें गन्ना और धान की फसल कर रहा है। उन्होंने बताया कि पहले एक ट्यूबवेल से 8 घंटे में एक एकड़ में पानी फिरता था लेकिन अब सूक्ष्म सिंचाई के कारण एक घंटे में पांच एकड़ फसल में पानी फिरता है। इससे पानी के साथ बिजली की भी बचत हो रही है।
सूक्ष्म सिंचाई से भविष्य की आने वाली पीढ़ियों को मिलेगा पानी
प्रगतिशील किसान लखविंदर सिंह जिला कुरुक्षेत्र ने बताया कि सूक्ष्म सिंचाई पानी बचाने के लिए बहुत अच्छी योजना है क्योंकि इससे भविष्य में आने वाली पीढ़ियों को पानी मिल सकेगा। यह एक यूनिक आईडिया है जो हमारी पुस्तो को बचाने के लिए काम कर रहा है। उन्होंने बताया कि वह घर का पानी व छत के पानी को पाइप के माध्यम से खेत में ले जाकर उसका भी सिंचाई के लिए इस्तेमाल करता है।
भावी पीढ़ी के लिए पानी बचाना बहुत जरूरी- मनोहर लाल
हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल द्वारा कोविड-19 के दौरान 2 साल पहले आरम्भ की गई मेरा पानी मेरी विरासत योजना के परिणाम जमीनी स्तर पर आने आरंभ हो गये है । आज मुख्यमंत्री ने पंचकूला से 7500 सूक्ष्म सिंचाई प्रदर्शनी योजनाओं का लोकार्पण किया।
सूक्ष्म सिंचाई और नहरी विकास प्राधिकरण द्वारा आयोजित कार्यक्रम में सूक्ष्म सिंचाई के पांच मोबाईल वैनो को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया और इसके साथ साथ सभी जिलों से दो-दो वाहनों को आज रवानगी भी की ताकि आम जनता को जल संरक्षण व जल सर्वद्धन का संदेश दिया जा सके। मुख्यमंत्री ने कहा कि जल ही जीवन है और हमें भावी पीढ़ी के लिये जल बचाकर रखना होगा । यह आज चुनौती बन गया है । उन्होंने कहा कि तीसरा विश्वयुद्ध शायद जलयुद्ध ही होगा। इसलिये हमें पानी के हर बूंद का उपयोग करना होगा। कहा भी गया है कि बंूद से बंूद से घड़ा भरे और बंूद बंूद से सागर भरता। इसी को ध्यान रखते हुये प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने वन ड्रोप मोर क्रोप का आह्वान किया था और मुझे खुशी है कि हरियाणा ने प्रधानमंत्री के इस विजन को आगे बढ़ाया है।
उन्होंने कहा कि आज तकनीक के युग में सिंचाई विधि में नये नये उपयोग शुरू हो गये। सूक्ष्म सिंचाई में टपका, फव्वारा ऐसी व्यवस्था है, जिससे हम अधिक से अधिक पानी को बचा सकते है और साथ ही अच्छी पैदावार ले सकते हैं । पानी के दो पक्ष हैं एक पीने का पानी और दूसरा सिंचाई के लिये पानी। पीने के पानी की तो हम बचत नहीं कर सकते । कई बार डाॅक्टर भी हमें अधिक पानी पीने के लिये सलाह देते है परंतु सिंचाई में अधिक पानी लगता है इसलिये हमें इसका उपयोग सूक्ष्म सिंचाई जैसी योजना से करना होगा। धान, कपास व गन्ना में अधिक पानी लगता है। कृषि विज्ञानी कहते हैं कि एक किलो चावल तैयार होने में 3 हजार से अधिक लीटर पानी की जरूरत होती है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि 1960 के दशक में जब देश में खाद्यानों की कमी महसूस की गई थी तो उस समय हरित क्रांति का नारा दिया गया था और पंजाब व हरियाणा के किसानों ने हरित क्रंाति में सबसे बड़ा योगदान दिया और देश को खाद्यानों में आत्मनिर्भर बनाया। उन्होंने कहा कि रासायनिक खाद्यानों के अधिक उपयोग व भूजल के दोहन के कारण हम खाद्यानों के मामलों में आत्मनिर्भर बन गये परंतु आज हमें दूसरे विकल्प की ओर जाना होगा। सूक्ष्म सिंचाई भी उस दिशा में एक कदम है। उन्होंने कहा कि दो वर्ष पहले कोरोना के काल के दौरान आरंभ की गई मेरा पानी मेरी विरासत योजना के प्रति किसानो का रूझान बढ़ा है और प्रदेश के धान बाहुल जिलों में किसानों ने धान के स्थान पर अन्य वैकल्पिक फसले उगाना आरंभ किया है । उन्होंने कहा कि मुझे यह बताते हुये खुशी है कि पहले वर्ष में 98 हजार एकड़ में धान के स्थान पर अन्य फसले उगाई गई और इस बार 2 लाख एकड़ का लक्ष्य रखा गया है।
पानी से कीमती कोई चीज नहीं
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सर्वविदित है कि पानी से कीमती कोई चीज नहीं है। भावी पीढी को अगर हम जमीन के साथ साथ पानी की विरासत भी देकर जायें तो इससे बड़ा कोई पुण्य का काम नहीं है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में लगभग 200 जल शोधन संयंत्र संचालित हैं और 50 प्रतिशत से अधिक शोधित पानी का दुबारा प्रयोग सिंचाई व अन्य कार्यों में कर रहे हैं। प्राकृतिक जल स्त्रोतो को भी बचाना होगा, इसके लिये हमें वृक्षारोपण, बांध इत्यादि बनाने होंगे परंतु पानी को हम पैदा नहीं कर सकते है। जो पानी उपलब्ध है, उसी का प्रयोग हमें सावधानीपूर्वक करना होगा। मुख्यमंत्री ने इजाराईल का उदाहरण देते हुये कहा कि इजाराईल विश्व का ऐसा देश है, जहां पानी की बहुत किल्लत है और पूरी खेती टपका सिंचाई से की जाती है। हरियाणा सरकार ने भी इजराईल के साथ साथ जल संरक्षण एवं फल एवं सब्जी उत्कृष्ट केंद्र के कई समझौते किये हैं । उन्होंने कहा कि जल संरक्षण में हमें इजराईल देश का अनुसरण करना चाहिये।
प्रधानमंत्री के विजन को साकार किया हरियाणा ने
उल्लेखनीय है कि जल संरक्षण के लिये जल शक्ति अभियान से लेकर अन्य योजनाओं जैसे की हर घर नल से जल व अन्य जल संरक्षण की योजनाओं को हरियाणा ने समय से पहले शुरू किया है। सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग के अलावा सूक्ष्म सिंचाई और नहरी विकास प्राधिकरण, हरियाणा तालाब प्राधिकरण भी जल संरक्षण की विभिन्न योजनाओं पर कार्य कर रहे है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पानी के उत्कृष्ट प्रबंधन पर हमें चलाना होगा। हरियाणा देश का ऐसा राज्य है जहां पर नहरी पानी की उपलब्धता कम है हमारे यहां केवल यमुना ही एक नदी है, जिससे हमें पानी मिलता है ।
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