कहा जाता है कि कानून के हाथ बहुत लंबे होते हैं और उससे कोई बच नहीं सकता है। आज दिल्ली से लेकर पटना तक इस बात को लोग प्रत्यक्ष रूप से देख भी रहे हैं। कांग्रेसी नेता राहुल गांधी को ईडी ने पांच दिन तक हेराल्ड केस मामले में पूछताछ की। अब इसी मामले में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से भी पूछताछ होने वाली है। ये लोग अपने को किसी कानून से परे मानते थे, लेकिन कानून ने ठीक से काम करना शुरू किया तो इनकी सारी अकड़ ढीली पड़ गई है। अब ईडी के कार्यालय में जाकर जवाब और सफाई दे रहे हैं।
इसी तरह की अकड़ बिहार के मोकामा से राजद विधायक अनंत सिंह की थी। लगभग 20 वर्ष से विधायक बन रहे अनंत सिंह बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव के चहेते रहे हैं। इसलिए वे कानून को कुछ समझते ही नहीं थे और हर वह काम करते थे, जिसे कानून की नजर में अपराध माना जाता है। उन पर अपहरण, हत्या, लूटपाट, अवैध हथियार रखने जैसे अनेक मामले चल रहे हैं। एक समय तो वे खुलेआम प्रतिबंधित हथियार ए.के.47 लेकर घूमा करते थे। पुलिस—प्रशासन उन पर हाथ डालने की हिम्मत भी नहीं जुटा पाता था, क्योंकि सबको पता था कि उन पर ‘सरकार’ का वरदहस्त है। लेकिन जैसे ही ‘सरकार’ ने उनसे नजर हटा ली वे भागे—भागे फिरने लगे। परिणाम यह हुआ कि उनके विरुद्ध अनेक मामले दर्ज होने लगे और इनकी जांच की जाने लगी। इसी जांच में उनके घर से ए.के.47 रायफल मिली थी। इस प्रतिबंधित हथियार की बरामदगी के बाद पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। अब इसी मामले के कारण उन्हें पटना की एमपी-एमएलए कोर्ट ने 21 जून को 10 साल कैद में रहने की सजा सुना दी। अदालत ने 14 जून को उन्हें दोषी करार दिया था। यदि उच्च न्यायालय से उन्हें कोई राहत नहीं मिलेगी तो उनकी विधायकी भी चली जाएगी।
उल्लेखनीय है कि पटना पुलिस ने गुप्त सूचना के आधार पर अनंत सिंह के गांव लदवां में 16 अगस्त, 2019 को छापा मारा था। उनके घर से प्रतिबंधित हथियार ए.के.-47, 33 जिंदा कारतूस और दो ग्रेनेड बरामद हुए थे।
जब उनके घर पर छापा मारा गया तब अनंत सिंह भागकर दिल्ली आ गए थे। यहां उन्होंने साकेत न्यायालय में आत्मसमर्पण कर दिया। इसके बाद बिहार पुलिस ने रिमांड पर लेकर उनसे गहन पूछताछ की और बाद में 24 अगस्त, 2019 को उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। इसके बाद से ही वे जेल में बंद हैं। अब शायद वे कई वर्ष तक जेल में ही रहेंगे।
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