पाकिस्तान में पहले इमरान की हुकूमत के पसीने छूट रहे थे तो अब शाहबाज की सरकार कंपकंपा रही है। कारण है टीटीपी आतंकियों की एक अलग इस्लामी देश बनाने की खुली धमकी। टीटीपी यानी तहरीके तालिबान पाकिस्तान। वह आतंकी गुट जो जितना कट्टर है उतना ही खूंखार भी है। उसी ने काफी समय पहले तालिबान की तर्ज पर पाकिस्तान से काटकर एक अलग इस्लामिक अमीरात बनाने की अपनी मंशाएं जाहिर कर रखी हैं।
पहले इमरान सरकार और अब शाहबाज सरकार लगातार टीटीपी से संघर्षविराम करके विस्फोट को दबाए रखने में सफल रहती आ रही हैं। यह और बार है कि इसके बावजूद जब दाव पड़ता है टीटीपी के हत्यारे कांड करने में देरी नहीं लगाते। शायद सतत चले आ रहे इसी ‘सिरदर्द’ का इलाज करने के लिए अब शाहबाज सरकार को नई तरकीब सूझी है। वह चाहती है कि अफगानिस्तान में जमे आतंकी सरगना सिराजुद्दीन हक्कानी को बीच में लाकर टीटीपी से कोई सुलह—सफाई जैसी कर ली जाए।
पाकिस्तान की हुकूमत की इसी इच्छा की पूर्ति के लिए शायद 13 मौलवियों का एक दल काबुल पहुंच रहा है। ये मौलवी हक्कानी को बीच में लाकर टीटीटी के आतंकियों को मनाने की कोशिश करेंगे। दरअसल ये मौलवी फिलहाल तालिबान सरकार में गृहमंत्री की कुर्सी पर जमे लड़ाका सरगना सिराजुद्दीन हक्कानी के नजदीकी माने जाते हैं।
टीटीपी आतंकियों की मांग रही है कि पाकिस्तान के अंदर ही शरिया कानून से चलने वाला एक स्वायत्त क्षेत्र बनाया जाए। वहां की सरकार इसे देश के दोफाड़ करने की कोशिश जैसा मान रही है। शाहबाज शरीफ की इस आशंका को दूर करने के लिए ये मौलाना आतंकी टीटीपी से मिलने से पहले हक्कानी से चर्चा करेंगे।
टीटीपी या तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान आतंकियों की उक्त मांग पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा सूबे के कबायली इलाके को लेकर है। यहां वे शरिया कानून से चलने वाले इलाके की मांग कर रहे हैं। नहीं तो उनके अनुसार, वे पाकिस्तान के विरुद्ध जिहाद छेड़ने में देर नहीं लगाएंगे। इस धमकी से शाहबाज सरकार का घबराना स्वाभाविक ही था। पाकिस्तानी सैनिकों के सैकड़ों बच्चों की जान ले चुके टीटीपी आतंकियों को मनाने के लिए ही मौलवियों की यह कवायद रखी गई है।
पाकिस्तान सरकार का मकसद है, टीटीपी वाले शरिया कानून वाले इलाके अथवा जिहाद की बात छोड़ दें, लेकिन आतंकी भी तो कट्टर मजहबी उन्मादी हैंं, वे अपनी बात से पलटने को तैयार नहीं हैं। पाकिस्तान के अंग्रेजी दैनिक द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान से काबुल जाने वाले 13 मौलानाओं की अगुआई मुफ्ती ताकी उस्मानी कर रहे हैं। इस मौलवी टोली में खैबर पख्तूनख्वा के उलेमा भी शामिल किए जाने की बात है। बताते हैं इन उलेमाओं की हक्कानी नेटवर्क के साथ नजदीकी है।
बताया गया है कि ये पाकिस्तानी उलेमा टीटीपी सरगनाओं के साथ काबुल में सीधी बातचीत करेंगे। वे टीटीपी के साथ संघर्षविराम को और असरदार बनाने की कोशिश करेंगे। ये मौलवी टीटीपी से उस जिद को छोड़ने को भी कहेंगे कि शरीयत कानून वाले स्वायत्त इलाके की मांग छोड़ दें, जिसे पाकिस्तानी संसद ने एक प्रस्ताव पारित करके खैबर पख्तूनख्वा सूबे का हिस्सा बनाया हुआ है। यही इलाका है जहां टीटीपी आतंकी ‘इस्लामिक सरकार’ बनाने को बेचैन हैं।
टीटीपी ने पाकिस्तान सरकार के विरुद्ध जिहाद छेड़ा हुआ है। मौलाना ये कोशिश भी करेंगे कि टीटीपी इस जिहाद से बाज आए। पाकिस्तान की सूचना मंत्री ने कहा है कि टीटीपी के साथ इस ताजा बातचीत में सरकार तथा पाकिस्तान की सेना, दोनों ही शामिल हैं। लेकिन पाकिस्तान में अंदरखाने इस कथित सौदे को लेकर खासा गुस्सा भी दिखाई दे रहा है।
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