अब दूसरे राज्यों में जाने से भी बच्चे अपने पोषण आहार से वंचित नहीं होंगे। आंगनवाड़ी केन्द्रों पर पंजीकृत बच्चों को पोषण ट्रैकर के माध्यम से उन्हें दूसरे राज्यों में जाने के बाद भी टेक होम राशन दिया जा सकेगा। केन्द्र सरकार ने आंगनवाड़ी केन्द्रों के लिए आधार किट उपलब्ध कराए हैं। इसके तहत बच्चों का आधार कार्ड आंगनवाड़ी केन्द्रों पर आसानी से बनाया जा सकेगा, जिसके बाद उन्हें पोषण ट्रैकर पर पंजीकृत किया जा सकेगा। इससे हर एक बच्चों के स्वास्थ्य की निगरानी सुनिश्चित हो सकेगी जो पोषण ट्रैकर पर पंजीकृत है।
गुजरात के केवड़िया में केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा आयोजित दो दिवसीय जोनल बैठक में मंत्रालय के आठ साल की उपलब्धियों के साथ गुजरात के विभिन्न जिलों की आंगनवाड़ी केन्द्रों में किए जा रहे कारगर उपायों पर चर्चा की गई। इस बैठक में महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी, सचिव इंदीवर पांडे, गुजरात के महिला एवं बाल विकास विभाग की संयुक्त निदेशक अवंतिका दर्जी सहित कई अधिकारी मौजूद थे।
बैठक में अधिकारियों ने राज्य के आंगनवाड़ी केन्द्रों में उठाए जा रहे कारगर एवं सफल उपायों के बारे में बताया। राज्य की छह जनजातीय क्षेत्रों में बच्चों और महिलाओं के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने की दिशा में आयुष टीएचआर की भी शुरुआत की गई है।
राज्य के महिला एवं बाल विकास विभाग में संयुक्त निदेशक अवंतिका दर्जी ने बताया कि बच्चों में कुपोषण को खत्म करने की दिशा में आंगनवाड़ी केन्द्रों पर आने वाले सभी बच्चों का आधार कार्ड बनाने की योजना की शुरुआत की गई है। इसके साथ बच्चों को पौष्टिक आहार देने के लिए आयुष की सहायता ली जा रही है। आयुष टेक होम राशन (टीएचआर) से सुनिश्चित किया जा रहा है कि बच्चों में पोषण तत्वों की कमी न हो। इसलिए, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को टीएचआर से लगभग 70 तरह के व्यंजन बनाना सिखाया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि नर्मदा जनजातीय क्षेत्र के आंगनवाडी केन्द्रों पर आधार किट उपलब्ध कराया गया है। इसमें जिले के सभी छह माह से छह साल तक के बच्चों के स्वास्थ्य की निगरानी सुनिश्चित की जा रही है।
सोशल मीडिया की मदद से अभिभावकों को किया जा रहा है जागरूक
नर्मदा जिले की सीडीपीओ हिमानी ने बताया कि बच्चों के स्वास्थ्य के प्रति सचेत करने के लिए अभिभावकों को सोशल मीडिया के माध्यम से भी जागरूक करने की पहल की जा रही है। आंगनवाड़ी में काम करने वाली महिलाओं को कुपोषित बच्चों को ट्रैक करने की ट्रेनिंग दी गई है। वे घर-घर जाकर बच्चों के माता-पिता को जागरूक कर रही हैं। आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को बच्चों को दिए जाने वाले राशन से 70 तरह के स्वादिष्ट पकवान बनाना भी सिखाया जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने पोषण 2.0 के माध्यम से बच्चों में कुपोषण की समस्या को दूर करने के प्रयास किए जा रहे हैं। राशन सही लाभार्थी के हाथों में पहुंचे और उससे स्वास्थ्य का लाभ मिल सके इन सभी की निगरानी के लिए पोषण ट्रैकर कारगर साबित हो रही है। शुरुआती आंकड़े के अनुसार देश में बच्चों में कुपोषण की समस्या 19 प्रतिशत से घटकर 7 प्रतिशत पर आ गई है। हालांकि अभी इस आंकड़े का थर्ड पार्टी जांच होनी है। एनएफएचएस-5 के मुताबिक 2019-21 में पांच साल से कम उम्र के 35.5 फीसदी बच्चे बौने और 32.1 फीसदी कम वजन के थे। कुपोषण से निपटने के लिए, सरकार ने पोषण अभियान शुरू किया जिसके तहत पोषण ट्रैकर के उपयोग जैसी पहल को जोड़ा गया है।
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