महाराष्ट्र में 20 जून को होने वाले विधान परिषद चुनाव में अपने प्रत्याशी का जीत का कोटा पूरा करने के लिए महाविकास आघाड़ी के घटक दल एक-दूसरे के विधायक तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। अंतर्विरोध चरम पर पहुंच गया है। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने आनन-फानन में शिवसेना और समर्थन देने वाले निर्दलीय विधायक को केवल शिवसेना प्रत्याशी को वोट देने की बात कही है। इससे कांग्रेस और एनसीपी के किसी एक प्रत्याशी को हार का सामना करना पड़ सकता है। इससे महाविकास आघाड़ी में खलबली मची है।
महाविकास आघाड़ी में राज्यसभा चुनाव में भाजपा का तीसरा सांसद चुने जाने के पश्चात बेचैनी का महौल है। विधान परिषद के लिए शिवसेना ने आघाड़ी में हर एक दल अपना-अपना देखे, ऐसा सूचित किया था। विधान परिषद को जीतने का कोटा 26 विधायक का है। शिवसेना के पास 55 विधायक हैं और दस निर्दलीय तथा छोटे दल के विधायकों का शिवसेना को समर्थन है। शिवसेना के दो प्रत्याशी मैदान में हैं। उन्हें जीतने के लिए 52 वोट चाहिए। लेकिन राज्यसभा जैसा धोखा न हो, इसलिए शिवसेना ने अपने और समर्थक निर्दलीय विधायकों के वोट केवल शिवसेना के प्रत्याशी को देने का एलान किया था। लेकिन कांग्रेस और एनसीपी की ओर से शिवसेना को समर्थन देने वाले निर्दलीय विधायकों को फोन पर समर्थन के लिए संपर्क किया गया। चंद्रपुर जिले के निर्दलीय विधायक नरेंद्र भोंडेकर ने यह बात मीडिया को बता दी। इस बात से नाराज मुख्यमंत्री ने शिवसेना और समर्थक विधायकों की बैठक तुरंत बुलायी है। विधायकों को बैठक को आते समय साथ में चुनाव होने तक मुंबई में रहने की तैयारी से आने को कहा गया है।
एनसीपी के पास 53 विधायक हैं, जो दो विधायक चुनने के लिए पर्याप्त हैं। इसमें कुछ वोट अगर अवैध करार दिए जाते हैं तो समस्या खड़ी न हो इसलिए अतिरिक्त वोट के लिए एनसीपी के नेता प्रयास कर रहे हैं। कांग्रेस के पास केवल 44 विधायक हैं और कांग्रेस ने दो प्रत्याशी चुनाव में उतारे हैं। दो प्रत्याशी चुनने के लिए कांग्रेस को 8 विधायक की जरूरत है। इसी प्रयास में कांग्रेस और एनसीपी की ओर से शिवसेना को समर्थन देने वाले निर्दलीय विधायकों को संपर्क किया गया। शिवसेना अपने और समर्थक विधायकों के वोट केवल शिवसेना प्रत्याशी को देना चाहती है। कांग्रेस, एनसीपी के उसमें सेंधमारी करने का प्रयास करने से मुख्यमंत्री नाराजगी जता रहे हैं। उधर इसकी प्रतिक्रिया स्वरूप अजित पवार के घर एनसीपी और कांग्रेस नेता की बैठक बुलायी गयी थी। उसमें कांग्रेस और एनसीपी के लिए विधायकों से विधान परिषद चुनाव में समर्थन के लिए संपर्क करने का विचार किया गया। चुनाव परिणाम के पहले जो संघर्ष महविकास आघाड़ी में चल रहा है उसे देखते हुए अगर राज्यसभा चुनाव जैसे विपरीत परिणाम निकले तो ठाकरे सरकार का भविष्य खतरे में पड़ सकता है।
शिवसेना प्रवक्ता संजय राऊत ने एनसीपी को समर्थन देने वाले निर्दलीय विधायक और बहुजन विकास आघाड़ी के विधायक के नाम लेकर दगाबाजी का आरोप लगाया था। इससे नाराज विधायक विधान परिषद में अपनी नाराजगी वोट देते समय निकाल सकते हैं। एक विधायक ने संजय राऊत को चुनौती देकर मतदान के समक्ष उपस्थित रहें और मेरा वोट किसे पड़ता है, देखने को कहा है। विधान परिषद चुनाव में विपक्ष से संघर्ष से ज्यादा सत्तापक्ष के महाविकास आघाड़ी में सहभागी दल और निर्दलीय विधायक में संघर्ष देखने को मिल रहा है। इस बिगाड़ी से सरकार का भविष्य संकट में पड़ता दिखाई दे रहा है।
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