राज्यसभा चुनाव में शिवसेना के प्रत्याशी की हार के बाद महाविकास आघाड़ी में अन-बन शुरू हो गई है। सरकार को समर्थन देने वाले निर्दलीय विधायक और छोटी पार्टियों पर बिक जाने का आरोप लगाने पर शिवसेना के प्रवक्ता संजय राउत ने तीखा जवाब दिया है। शिवसेना ने कांग्रेस को आने वाले विधान परिषद चुनाव में ‘अपना-अपना देखो’ ऐसा सूचित कर खलबली मचा दी है।
शिवसेना के प्रवक्ता और राज्यसभा में चुने गए संजय राउत ने आरोप लगाया कि चुनाव में हॉर्स ट्रेडिंग हुई है। महाविकास आघाड़ी को समर्थन देने वाले कुछ निर्दलीय तथा कुछ छोटी पार्टियों के बिकने से शिवसेना प्रत्याशी की हार हुई। संजय राउत यहीं नहीं रुके, उन्होंने शिवसेना को वोट न देने वाले विधायकों के नाम तक गिना डाले। निर्दलीय विधायक संजय मामा शिंदे, देवेन्द्र भुयार, श्यामसुंदर शिंदे इनके नाम बताए। बहुजन विकास आघाड़ी के हितेंद्र ठाकुर समेत उनके पार्टी के तीन विधायकों पर भी शिवसेना को वोट नहीं देने का आरोप राउत ने लगाया।
संजय राउत के इस बयान की तीखी प्रतिक्रिया निर्दलीय विधायकों में से आना शुरू हुई। हितेंद्र ठाकुर ने कहा कि हम बिकने वाले नहीं हैं। मुझे खरीदने वाला कौन व्यक्ति या दल है, मुझे उसे देखना है। निर्दलीय संजय मामा शिंदे ने कहा कि अच्छा होता अगर संजय राउत आरोप लगाने से पहले मुख्यमंत्री से बात करते। सरकार जब बन रही थी तो मुझे स्वयं मुख्यमंत्री ने मंत्री के लिए ऑफर दिया था, जिसे मैंने ठुकराया था। संजय भुयार ने शरद पवार से मुलाकात कर शिकायत की। भुयार ने कहा कि संजय राउत क्या खुद को ब्रह्मदेव समझते हैं ? हमने इस चुनाव में अजित पवार के निर्देश के अनुसार मतदान किया है। शरद पवार से हमने मुलाकात की तो उन्होंने गलतफहमी की आशंका जताई है। हमारी भूमिका पर अगर सवालिया निशान लगता है तो हम सरकार को समर्थन देने पर पुनर्विचार करेंगे।
यह विवाद चल ही रहा था कि विधान परिषद के चुनाव को लेकर और विवाद बढ़ गया। विधान परिषद के चुनाव में शिवसेना के पास दो विधायक चुनने के लिए पर्याप्त संख्या है। महाविकास आघाड़ी के दलों ने मिलकर चुनाव लड़ने का निर्णय लिया और अब अन्य दलों को अपना-अपना देखो ऐसा निर्देश देने से खलबली मची हुई है। कांग्रेस ने दो प्रत्याशी उतारे हैं, जबकि उनके पास पर्याप्त विधायक नहीं है।
विधान परिषद चुनाव में गुप्त मतदान होने से सत्ता पक्ष के विधायकों के क्रॉस वोटिंग करने की संभावना अधिक बताई जा रही है। भाजपा ने अपनी संख्या के अनुपात में एक ज्यादा उम्मीदवार उतारे हैं। निर्दलीय विधायकों ने राज्यसभा चुनाव के बाद चर्चा में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए हैं। मुख्यमंत्री विधायकों को मिलते नहीं और फोन भी नहीं उठाते, इस कारण चुनाव क्षेत्र की समस्याएं सुलझाने में कठिनाई आ रही है, यह मुख्य शिकायत है।
सत्ता पक्ष में इतना अंतर्विरोध खुलकर सामने आने से विधान परिषद का चुनाव रोचक बन गया है। विधान परिषद चुनाव में चौंकाने वाले परिणाम आने की संभावना है। अगर चुनाव में बड़ी संख्या में विधायक विपक्ष के लिए मतदान करेंगे तो सरकार के भविष्य पर सवालिया निशान लग सकता है।
टिप्पणियाँ