पैगंबर मोहम्मद पर टिप्पणी को लेकर पश्चिम बंगाल में गत गुरुवार से ही हिंसक विरोध प्रदर्शन का सिलसिला जारी है। इस बीच व्यवसायियों ने प्रदर्शन के दौरान तोड़फोड़, लूटपाट व आगजनी में करोड़ों के नुकसान होने का दावा करते हुए आज से तीन दिनों तक तमाम व्यवसायिक गतिविधियां बंद रखने का एलान किया है। कारोबारियों का दावा है कि मुस्लिम समुदाय की ओर से किये गए उग्र प्रदर्शन के चलते व्यवसायियों की करीब 70 करोड़ की संपत्ति को नुकसान पहुंचा है।
सोमवार से पश्चिम बंगाल के हावड़ा, पूर्व मेदिनीपुर, बीरभूम, मुर्शिदाबाद और नदिया जिले में व्यवसायियों ने दुकानें बंद रखी हैं। बुधवार तक इसे बंद रखा जाएगा। व्यवसायी कल्याण समिति सहित पांच संगठनों ने मिलकर इस हड़ताल का आह्वान किया है। बथुआडिह व्यवसाय कल्याण समिति के सचिव परिमल घोष ने कहा कि हावड़ा जिले से शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन पूर्व मेदिनीपुर, बीरभूम, मुर्शिदाबाद और नदिया तक फैल चुका है। लोकतांत्रिक तरीके से विरोध प्रदर्शन का अधिकार सभी को है, लेकिन मुस्लिम समुदाय के लोगों ने विरोध प्रदर्शन करते हुए दुकानों में तोड़फोड़ एवं आगजनी की है। सामानों को नुकसान पहुंचाया है और इमारतों को भी क्षति पहुंचाई है। इन जिलों में करीब 70 करोड़ रुपये के व्यवसायियों की संपत्ति को क्षति पहुंचाई गई है। इसी के खिलाफ 72 घंटे की हड़ताल का आह्वान किया गया है। सरकार अगर तोड़फोड़ करने वालों के खिलाफ कार्रवाई और क्षतिपूर्ति के लिए कारगर कदम नहीं उठाती है तो आंदोलन और वृहद होगा।
उल्लेखनीय है कि गत गुरुवार से हावड़ा में विरोध प्रदर्शन की शुरुआत हुई थी। इसके जो वीडियो सामने आए हैं उसमें देखा जा सकता है कि अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों ने प्रदर्शन के दौरान सड़क के आसपास मौजूद दुकानों, घरों, मंदिरों में तोड़फोड़ की, गाड़ियों को तोड़ दिया, निजी संपत्ति को आग के हवाले कर दिया था। इसी तरह की घटना मुर्शिदाबाद और पूर्व मेदिनीपुर में भी हुई है। रविवार को नदिया जिले के बेथुआडिह में सड़कों पर उतरे अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों ने ट्रेनों और स्टेशनों में तोड़फोड़ की।
यहां स्थानीय बाजारों में भी विरोध प्रदर्शन करते हुए अल्पसंख्यकों ने व्यवसायियों की संपत्ति को भारी नुकसान पहुंचाया है। यहां धारा 144 लगानी पड़ी है। उग्र प्रदर्शन के खिलाफ व्यवसायियों ने सोमवार सुबह से हड़ताल कर दी है। सुबह छह बजे से पूरे क्षेत्र की बहुसंख्यक समुदाय की दुकानें बंद हैं, जबकि अल्पसंख्यकों ने अपने कारोबार चालू रखा है।
(सौजन्य सिंडिकेट फीड)
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