पूजा स्थल अधिनियम को चुनौती देने वाली याचिकाओं के खिलाफ जमीयत पहुंची सुप्रीम कोर्ट
July 14, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

पूजा स्थल अधिनियम को चुनौती देने वाली याचिकाओं के खिलाफ जमीयत पहुंची सुप्रीम कोर्ट

by WEB DESK
Jun 7, 2022, 06:42 pm IST
in भारत, दिल्ली
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

ज्ञानवापी मस्जिद मामला और पूजास्थल अधिनियम के खिलाफ दायर याचिकाओं पर जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। इस मामले पर गर्मी के अवकाश के बाद सुनवाई की उम्मीद है।

गौरतलब है कि ज्ञानवापी मस्जिद का मामला वाराणसी जिला न्यायालय में लंबित है, जबकि सुप्रीम कोर्ट में एक से अधिक ऐसी याचिकाएं दायर की गई हैं, जिनमें न्यायालय को पूजा स्थल अधिनियम (प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट) को असंवैधानिक घोषित करने के लिए कहा गया है। वर्ष 2020 में पूजा स्थल अधिनियम को रद्द करने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में दो याचिकाएं दायर की गईं थीं, जिसमें से एक याचिका को न्यायालय ने क़ुबूल करते हुए केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था। यह याचिका भारतीय जनता पार्टी के अश्विनी कुमार उपाध्याय एडवोकेट ने दायर की थी, जिसका नंबर सिविल रिट याचिका 1246/2020 है।

उक्त याचिका का विरोध करने के लिए जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड एजाज मकबूल के जरिए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है जिस पर गर्मी के अवकाश के बाद सुनवाई होने की उम्मीद है। जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी के निर्देश पर इस हस्तक्षेप याचिका में लिखा गया है कि जमीयत उलेमा-ए-हिंद बाबरी मस्जिद राम जन्मभूमि विवाद मामले में एक प्रमुख पक्षकार थी। इसमें प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट की धारा 4 को स्वीकार कर लिया गया है और इस कानून की संवैधानिक स्थिति को सर्वोच्च न्यायालय ने भी मान्यता दी है। इसलिए अब इस क़ानून को चुनौती देकर एक बार फिर देश की शांति भंग करने का प्रयास किया जा रहा है।

याचिका में आगे कहा गया है कि पूजा स्थल अधिनियम 1991 को लागू करने के दो उद्देश्य थे। पहला उद्देश्य था किसी भी धार्मिक स्थल के परिवर्तन को रोकना और दूसरा उद्देश्य पूजा स्थलों को उसी हालत में रखना था, जिस स्थिति या रूप में वे 1947 में थे। इन दोनों उद्देश्यों को बाबरी मस्जिद राम जन्मभूमि विवाद मामले के फैसले में अदालत ने बरकरार रखा गया था। याचिका में कहा गया है कि प्लेसेज आफ वर्शिप एक्ट भारत के संविधान की मूल संरचना को मजबूत करता है। इसका उल्लेख बाबरी मस्जिद मामले के फैसले में किया गया है। (पैराग्राफ 99, पृष्ठ 250) और इस क़ानून की रक्षा करना धर्मनिरपेक्ष देश की जिम्मेदारी है।

बाबरी मस्जिद मामले के फैसले में पांच न्यायाधीशों की संवैधानिक पीठ ने पूजा स्थल अधिनियम का विस्तृत विश्लेषण किया है, जिसके अनुसार यह कानून भारत के संविधान की नींव को मजबूत करने के साथ-साथ इसकी रक्षा भी करता है और इसकी धारा 4 पूजा स्थलों के रूपांतरण पर रोक लगाती है। यह कानून बनाकर सरकार ने सभी धर्मों के लोगों के पूजा स्थलों की रक्षा करने की संवैधानिक जिम्मेदारी ली है।

इस सम्बंध में जमीयत उलेमा-ए-हिंद की कानूनी सहायता समिति के प्रमुख गुलजार आजमी ने कहा कि 18 सितंबर, 1991 को पूजा स्थल अधिनियम पारित किया गया था, जिसके अनुसार 15 अगस्त, 1947 को मिली स्वतंत्रता के समय धार्मिक स्थलों की जो स्थिति थी, उनको बदला नहीं जा सकता। केवल बाबरी मस्जिद विवाद को इस कानून से बाहर रखा गया, क्योंकि मामला पहले से ही विभिन्न अदालतों में लंबित था।

Topics: National Newsराष्ट्रीय समाचारPlace of Worship Actपूजा स्थल अधिनियमजमीयत पहुंची सुप्रीम कोर्टJamiat reached Supreme Court
ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

“एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य” के संकल्प के साथ सशस्त्र बलों ने मनाया 11वां अंतरराष्ट्रीय योग दिवस

नई दिल्ली : SSB ने 27 उग्रवादी किए ढेर, 184 घुसपैठिए भी गिरफ्तार

Dr. Jayant Narlikar का निधन, पीएम मोदी और राष्ट्रपति ने जताया दुःख

तुर्की के खिलाफ भरी हुंकार : स्वदेशी जागरण मंच ने Türkiye दूतावास के बाहर किया प्रदर्शन

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग   (फाइल चित्र)

भारत के खिलाफ चीन की नई चाल! : अरुणाचल प्रदेश में बदले 27 जगहों के नाम, जानिए ड्रैगन की शरारत?

‘ऑपरेशन केलर’ बना आतंकियों का काल : पुलवामा-शोपियां में 6 खूंखार आतंकी ढेर, जानिए इनकी आतंक कुंडली

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

बेटे को कन्वर्जन गैंग का मुखिया बनाना चाहता था छांगुर

सावन के पवित्र महीने में करें इन 6 प्राचीन शिव मंदिरों के दर्शन

शार्प शूटर शाहरुख पठान

मुजफ्फरनगर: मुठभेड़ में ढेर हुआ कुख्यात शार्प शूटर शाहरुख पठान, हत्या और रंगदारी समेत दर्ज थे दर्जनों केस

चतुर्थ सरसंघचालक श्री रज्जू भैया

रज्जू भैया ने मुख्यमंत्री से कहा, ‘दुगुनी गति से जीवन जी रहा हूं’

क्या है ब्लू आधार कार्ड? जानिए इसे बनवाने की पूरी प्रक्रिया

छांगुर का काला सच: हिंदू लड़कियों को प्रेमजाल में फंसाने और कन्वर्जन के लिए तैयार की थी 1000 मुस्लिम युवकों की फौज

कराची आर्ट्स काउंसिल जैसे प्रतिष्ठित मंच पर रामायण का मंचन होना एक साहसिक और सकारात्मक कदम है

कराची की रामलीला, राम बने अश्मल तो वक्कास अख्तर बने लक्ष्मण, आमिर बने दशरथ तो जिबरान ने निभाई हनुमान की भूमिका

रील की सनक: वायरल होने की होड़ में जान से खेलते बच्चे और बड़े

Exclusive Video Interview: कन्वर्जन देश के लिए सबसे बड़ा खतरा, रोकने में संघ कर सकता है मदद

शुभांशु शुक्ला

अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला का भावुक संदेश: भारत आज भी ‘सारे जहां से अच्छा’ दिखता है

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies