वर्ल्ड बैंक के साथ काम करते हुए उन्होंने भारत की स्वास्थ्य समस्याओं पर भी काम किया। इसी के तहत वे भारत में एड्स, कुष्ठ रोग और अंधेपन को कम करने की दिशा में काम कर चुकी हैं
फेसबुक से एक बड़ी अधिकारी शेरिल सैंडबर्ग की निकासी हो गई है। कल उन्होंने फेसबुक की मूल कंपनी मेटा के सीओओ पद से इस्तीफा दे दिया। शेरिल पिछले 14 साल से इस सोशल मीडिया कंपनी के लिए काम करती आ रही थीं। फेसबुक के संस्थापक मार्क ज़ुकरबर्ग के बाद कंपनी में उन्हीं का पद आता था।
शेरिल ने ऐसे वक्त पर फेसबुक का साथ छोड़ा है जब मेटा कंपनी की बढ़त थमी हुई है और इसमें लगातार गिरावट देखने में आ रही है। वैसे शेरिल ने बताया है कि वे कंपनी के निदेशक मंडल की सदस्य बनी रहेंगी। बताया गया है कि उनकी जगह अब जेवियर ओलिवन सीओओ का काम देखेंगी।
शेरिल ने ‘वुमन इन इकोनॉमिक्स एंड गवर्नमेंट’ नाम की एक संस्था शुरू की थी। वर्ल्ड बैंक के साथ काम करते हुए उन्होंने भारत की स्वास्थ्य समस्याओं पर भी काम किया था। इसी के तहत वे भारत में एड्स, कुष्ठ रोग और अंधेपन को कम करने की दिशा में काम कर चुकी हैं
उल्लेखनीय है कि शेरिल सैंडबर्ग ने 2008 में फेसबुक में कदम रखा था। उन्होंने बेशक इस कंपनी को ऊंचा ले जाने में खास भूमिका निभाई है। 2012 में शेरिल का नाम अमेरिका की प्रसिद्ध टाइम पत्रिका में 100 सबसे प्रभावशाली लोगों की सूची में जोड़ा गया था। 2021 में फोर्ब्स पत्रिका ने भी दुनिया के 100 अरबपतियों की सूची में शेरिल को 36वें स्थान पर रखा था। वे 1.7 अरब डॉलर की स्वामी हैं। शेरिल के अधिकांश शेयर फेसबुक और बाकी कंपनियों में हैं जिनकी बदौलत वे इतनी पैसे वाली बनी हैं।
इतना ही नहीं शेरिल एक मशहूर लेखक भी हैं। 2013 में शेरिल ने पहली किताब ‘लीन इन’ लिखी थी। इस किताब में उन्होंने अपने पति डेव को अपने करियर में महत्वपूर्ण साथी बताया था। इस किताब में उन्होंने दफ्तरों में महिलाओं के साथ होने वाले भेदभाव पर भी काफी लिखा था। यह किताब इतनी लोकप्रिय हुई कि अमेजन पर ये दूसरी ‘बेस्ट सेलर’ पुस्तक रही थी।
उनकी दूसरी किताब ‘ऑप्शन-बी’ 2017 में आई थी। यह किताब उन्होंने अपने पति डेव गोल्डबर्ग की 2015 में मृत्यु के बाद लिखी थी। किताब में उन्होंने मुश्किल हालातों से लड़ने की क्षमता के बारे में लिखा था। उन्होंने इसमें समाज के लिए कुछ करने के सूत्र भी बताए थे।
उन्होंने फेसबुक से इस्तीफा देने के पीछे सामाजिक कार्यों में लगने को वजह बताया है। शेरिल ने इस बारे में अपनी फेसबुक पोस्ट में लिखा है कि वह आगे चलकर सामाजिक काम करना चाहती हैं। उन्होंने इसके लिए एक योजना भी बना ली है।
1987 में हार्वर्ड कॉलेज में पढ़ते हुए ही शेरिल ने ‘वुमन इन इकोनॉमिक्स एंड गवर्नमेंट’ नाम की एक संस्था शुरू की थी। वर्ल्ड बैंक के साथ काम करते हुए उन्होंने भारत की स्वास्थ्य समस्याओं पर भी काम किया था। इसी के तहत वे भारत में एड्स, कुष्ठ रोग और अंधेपन को कम करने की दिशा में काम कर चुकी हैं।
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