इन दिनों दिल्ली में लोगों को पानी का ‘कनेक्शन’ नहीं मिल रहा है। जो भी इस कारण को जानता है वही दिल्ली सरकार और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को कोसने लगता है। पानी के ‘कनेक्शन’ के लिए आवेदन कर चुके उपभोक्ताओं के साथ जो हो रहा है, वह यह बताने के लिए काफी है कि दिल्ली सरकार ने ‘दिल्ली जल बोर्ड’ को बर्बाद कर दिया है। अब जल बोर्ड के पास इतना भी पैसा नहीं बचा है कि वह उपभोक्ताओं को पानी का ‘कनेक्शन’ दे पाए। इसकी एक भुक्तभोगी हैं गीता पांडे।
बता दें कि इस वर्ष होली के समय गीता ने कर्ज लेकर नजफगढ़ इलाके के श्याम विहार,फेज—1 में एक सुन्दर मकान बनवाया है। जैसे—तैसे मकान तो बन गया, लेकिन दिल्ली जल बोर्ड से पानी का ‘कनेक्शन’ नहीं मिलने से उन्हें बड़ी परेशानी हो रही है। भला बिना पानी कोई गुजारा कैसे करे! हालांकि अभी पड़ोसी से पानी मांगकर काम चलाया जा रहा है।
गीता ने बताया कि फरवरी महीने में ही पानी के ‘कनेक्शन’ के लिए आवेदन किया था। इसके बाद जल बोर्ड के एक कर्मचारी ने सर्वेक्षण भी कर लिया। फिर मार्च महीने में दिल्ली जल बोर्ड से एक लिंक भेजा गया और कहा गया कि इस पर आनलाइन 1,000 रु शुल्क जमा कर दें। यह भी कहा गया कि शुल्क जमा होने के 15 दिन के अंदर ‘कनेक्शन’ मिल जाएगा। इसलिए गीता ने 16 मार्च, 2022 को आनलाइन 1,000 रु जमा कर दिए। नियमानुसार उन्हें मार्च के अंत तक या फिर अप्रैल के प्रथम सप्ताह तक ‘कनेक्शन’ मिल जाना चाहिए था, लेकिन अभी तक ‘कनेक्शन’ नहीं मिला है।
जब तय समय के अंदर ‘कनेक्शन’ नहीं मिला गीता के पति गणेश पांडे अपने इलाके के दिल्ली जल बोर्ड के कार्यालय में गए। पूछताछ करने पर वहां के एक अधिकारी ने बताया कि जल्दी ही ‘कनेक्शन’ मिल जाएगा। उनकी यह बात सुनकर वे खुशी—खुशी घर लौट आए, लेकिन उनकी खुशी ज्यादा दिन तक नहीं टिकी। उन्हें जो समय बताया गया था उसमें भी ‘कनेक्शन’ नहीं मिला। वे फिर से एक बार जल बोर्ड के कार्यालय में गए। इस बार भी वही पुरानी बात कि जल्दी ही ‘कनेक्शन’ मिल जाएगा। फिर वे निराश होकर घर लौट आए।
इसके बाद तो एक दिन हद ही हो गई। जल बोर्ड का एक कर्मचारी उनके घर आया और बोला कि पानी के मीटर की रीडिंग लेनी है। उसकी बात सुनकर गीता ने कहा कि अभी तक तो ‘कनेक्शन’ ही नहीं लगा है, फिर मीटर की बात कहां से आ गई! इस पर उस कर्मचारी ने कहा कि कागज में दिख रहा है कि आपके यहां तो पानी का ‘कनेक्शन’ लग चुका है। दूसरे दिन गणेश पांडे एक बार फिर से दिल्ली जल बोर्ड के कार्यालय में गए। वहां उन्होंने बताया कि अभी तक तो पानी का ‘कनेक्शन’ ही नहीं मिला है, पर मीटर रीडर मेरे घर पहुंच रहा है। उनकी इस बात को सुनकर एक बाबू ने कहा, ”एक तो मुफ्त में पानी चाहते हो और तिस पर बार—बार शिकायत करते हो।” गणेश ने कहा, ”मैंने मुफ्त में पानी नहीं मांगा है। यह तो सरकार की नीति है। सरकारी नियम के अनुसार ही मैंने शुल्क जमा किया है। इसलिए मुझे ‘कनेक्शन’ चाहिए।” गणेश की इस बात से वह बाबू चिढ़ गया और बोला,”अभी जाओ, सरकार के पास सामान खरीदने के लिए पैसे नहीं हैं। जब पैसा आएगा तब सामान खरीदा जाएगा और आपको पानी का ‘कनेक्शन’ मिल जाएगा।” उस बाबू की बात सुनकर गणेश पांडे दंग रह गए। वे कहते हैं, ”ऐसा कभी नहीं सोचा था कि दिल्ली जल बोर्ड के पास पैसे नहीं होंगे। यह तो बहुत ही बुरा संकेत है।”
एक अन्य उपभोक्ता ने बताया कि पहले पानी के ‘कनेक्शन’ के लिए लगभग 5,000 रु शुल्क के रूप में लिया जाता था। लेकिन दिल्ली नगर निगम के चुनाव को देखते हुए दिल्ली सरकार ने इस वर्ष पानी के ‘कनेक्शन’ के लिए केवल 1,000 रु शुल्क निर्धारित कर दिया। इस कारण पहले से ही लगभग 57,00,000 करोड़ रु. के घाटे में चल रहा दिल्ली जल बोर्ड हांफने लगा है, वह जिंदा रहने के लिए खुद पानी मांग रहा है।
दिल्ली सरकार की मु्फ्त की नीति से जिल्ली जल बोर्ड और दिल्ली परिवहन निगम की हालत दिनोंदिन खराब होती जा रही है। ये दोनों संस्थान जबर्दस्त घाटे में जा रहे हैं। दिल्ली जल बोर्ड 57,00,000 करोड़ रु. के घाटे में जा चुका है, वहीं दिल्ली परिवहन निगम 2015 से हर वर्ष लगभग 1,000 करोड़ रु के घाटे में जा रहा है।
इस कारण दिल्ली जल बोर्ड अपने नए ग्राहकों को पानी का ‘कनेक्शन’ और कर्मचारियों को वेतन तक नहीं दे पा रहा है। दिल्ली परिवहन निगम भी कर्मचारियों को समय पर वेतन नहीं दे रहा है और न ही बुढ़ाती बसों की जगह नई बसें आ रही हैं।
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