नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद कुछ लोग बेकार हो गए। ये वही लोग हैं, जो पहले सत्ता से करीबी का नाजायज फायदा उठाते थे, लेकिन नई सरकार के सत्ता में आने के बाद इनकी हनक खत्म हो गई तो इन्होंने फर्जी खबरों का सहारा लेना शुरू कर दिया
वर्ष 2014 में नरेंद्र मोदी की अगुआई में जब केंद्र भाजपा की सरकार बनी, तो कुछ लोग छटपटाने लगे। इसका कारण यह था कि सत्ता में उनकी हनक खत्म हो गई थी। पहले यही लोग छद्म उपायों से सत्ता की मलाई काट रहे थे। इनके लिए निजी स्वार्थ सर्वोपरि था। इसलिए देश के प्रधानमंत्री और प्रतिष्ठानों की प्रतिष्ठा को धूमिल करने के कुचक्रों और षड्यंत्रों का सिलसिला शुरू हुआ। इसमें औजार बने समाचार। एक पार्टी और राजनीतिक परिवार के प्रति निष्ठावान पत्रकारों की जमात ने नैरेटिव गढ़ना शुरू किया। इस कार्य के लिए पूरे विधि-विधान से नए संस्थान बने। इनका दावा था कि ये झूठ को उजागर करेंगे और सच सामने लाएंगे। आड़ बनाया गया तथ्यान्वेषण को।
इनका असल काम घटना पर भारत की अस्मिता के विरुद्ध और देश विरोधी ताकतों के पक्ष में नैरेटिव स्थापित करना है। इसी उद्देश्य के तहत कभी सेना पर उंगली उठाई गई तो कभी न्यायपालिका पर चोट की गई। भारत की परंपराओं से मानो इनका पुराना बैर है। भारत की परंपराओं को बार-बार कठघरे में खड़ा करना और बड़ी सफाई से खबरों में मिलावट कर देश के हितों पर चोट करना इनका शगल बन गया है। इस कड़ी में एक कुख्यात नाम है आल्ट न्यूज और इसके संस्थापक मोहम्मद जुबेर का, जो धड़ल्ले से फर्जी खबरें चलाता है। दरअसल, आल्ट न्यूज का काम ही परदे के पीछे से फॉल्ट न्यूज गढ़ना और इसके जरिए समाज में विद्वेष फैलाना और इसे बांटना है।
फैक्ट चेक बनाम फेक फैक्ट
फैक्ट चेक के नाम पर प्रतीक सिन्हा और जुबेर ने 9 फरवरी, 2017 में आॅल्ट न्यूज शुरू किया। लेकिन वास्तव में फेक फैक्ट फैलाने वाली संस्था है। शुरुआत से ही जुबेर कई बार झूठी खबरें फैलाते पकड़ा गया है। ट्विटर पर इसके लगभग सवा तीन लाख फॉलोअर्स हैं, जहां यह अक्सर फर्जी खबरें फैलाता है। साल-डेढ़ साल पहले गाजियाबाद के लोनी कस्बे में एक बुजुर्ग मुस्लिम की कुछ लड़कों ने पिटाई कर दी थी। जुबेर ने पिटाई का वीडियो ट्वीट करने से पहले इसे म्यूट कर दिया और आरोप लगाया कि मुस्लिम बुजुर्ग को जय वश्रीराम न बोलने पर हिंदू युवकों ने पीटा। देखते-देखते यह खबर फैल गई। वामपंथियों को मुद्दा मिल गया। जांच में पता चला कि बुजुर्ग एक मौलवी था, जिसने कुछ मुस्लिम युवकों को ताबीज देकर घरेलू समस्या से छुटकारा पाने का झांसा दिया था। फायदा नहीं हुआ तो युवकों ने उसे पीट दिया।
इन लोगों को अक्सर चीन और पाकिस्तान की वकालत करते देखा गया है। लेकिन अब धीरे-धीरे इनकी सच्चाई लोगों के सामने आ रही है। दिल्ली विश्वविद्यालय से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले छात्र कायम मेहंदी ने जुबेर के गाजियाबाद की खबर को तोड़-मरोड़ कर सांप्रदायिक रंग देने को लेकर चिंता जताई। बकौल कायम, गाजियाबाद की घटना देश का ताना-बाना बिगाड़ने की एक साजिश थी। तथाकथित पत्रकार देश की एकता और अखंडता के खिलाफ षड्यंत्र रच रहे हैं। भाजपा सरकार में अब तक न तो कोई बड़ा दंगा हुआ, न ही कोई आतंकवादी घटना। बस इन्हीं कारणों से बौखलाए ये लोग देश के सामाजिक सौहार्द को बिगाड़ने की कोशिश में लगे हुए हैं। यह पहला मौका नहीं है, जब जुबेर को झूठी खबरें फैलाते पकड़ा गया।
जुबेर के झूठ की पड़ताल
झूठ-1 : प्रधानमंत्री मोदी ने कोरोना की पहली लहर के दौरान जिस दिन देशवासियों से दीया जलाने की अपील की थी, उसी दिन जुबेर ने सोलापुर हवाईअड्डे पर आग लगने की झूठी खबर फैलाई। यह दीया जलाने की भावना को तोड़ने के लिए थी। बाद में जुबेर ने माफी मांगी।
झूठ-2 : जुबेर ने ट्वीट कर कहा कि मन की बात कार्यक्रम के दौरान पीएमओ इंडिया यूट्यूब चैनल पर कमेंट सेक्शन को बंद कर दिया गया था, ताकि छात्र कमेंट ना कर पाएं। सच यह है कि पीएमओ इंडिया यूट्यूब चैनल पर पिछले कई वर्षों से कमेंट सेक्शन को बंद रखा गया है। मन की बात कार्यक्रम नमो एप और भाजपा के यूट्यूब चैनल पर भी चल रहा था, जहां आसानी से कमेंट किए जा सकते थे।
झूठ-3 : राम मंदिर भूमि पूजन से पहले न्यूयॉर्क के टाइम स्क्वायर पर प्रभु श्रीराम का बिलबोर्ड लगाने को लेकर भी जुबेर ने फर्जी ट्वीट किया और कहा कि विरोध के बाद टाइम्स स्क्वायर पर नहीं लगेंगे राम के बिलबोर्ड, जबकि बिलबोर्ड लगाया गया था।
झूठ-4 : जुबेर द्वारा संचालित फेसबुक पेज अनआॅफिशियल सुब्रमण्यम स्वामी पर दिल्ली चुनाव के दौरान फेक न्यूज फैलाया गया कि भाजपा कार्यकर्ता स्ट्रांग रूम से ईवीएम चुराकर भागते पकड़ा गया। बाद में खुद ही खबर को फर्जी बताते हुए जुबेर ने माफी मांग ली, लेकिन तब तक उद्देश्य पूरा हो गया था।
झूठ-5 : जुबेर ने कविता कृष्णन के एक फर्जी ट्वीट को रिट्वीट किया, जिसमें एक पुरानी तस्वीर को डालते हुए हुए कविता कृष्णन ने कहा था कि मोदी की पुलिस किसानों से आतंकवादी की तरह बर्ताव कर रही है। सच यह है कि तस्वीर 2013 की और उस समय कांग्रेस की सरकार थी।
झूठ-6 : लिन्चिंग के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान भी जुबेर ने झूठी खबर फैलाकर जहर घोलने की कोशिश की। अनआफिशियल सुब्रमण्यम स्वामी पेज पर लिंचिंग का एक वीडियो पोस्टर किया गया। बताया गया कि वीडियो 2016 का है, जबकि वीडियो 2012 का था। वह भी यूपीए शासन के समय का निकला।
झूठ-7 : जुबेर ने 20 फरवरी, 2019 को एक वीडियो ट्वीट करते हुए विश्व हिंदू परिषद पर हिंदुस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाने के आरोप लगाए, जिसे बाद में गोंडा पुलिस ने फर्जी बताते हुए खारिज कर दिया।
झूठ-8 : 6 जून, 2019 को ट्वीट कर भाजपा पर हमला करते हुए अंजू घोष को बांग्लादेशी बताने की कोशिश की, जबकि बाद में पश्चिम बंगाल के भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने अंजु घोष का जन्म प्रमाणपत्र भी जारी किया जिससे साफ पता चलता है कि अंजू घोष बांग्लादेशी नहीं हैं।
झूठ-9 : वर्ष 2018 में कठुआ रेप केस में भी फर्जी खबर फैलाई। विशाल जंगोत्रा नाम के युवक पर कई गंभीर आरोप लगाए। बाद में अदालत ने विशाल जंगोत्रा को निर्दोष पाया।
झूठ-10 : नोएडा में हत्या के आरोपी सोनू यादव को लेकर जुबेर ने अपने फेसबुक पेज अनआॅफिशियल सुब्रमण्यम स्वामी से विनोद कापड़ी की एक फर्जी खबर को ट्वीट किया। इसमें कापड़ी ने दावा किया था कि सोनू यादव का संबंध भाजपा नेताओं से है, जबकि सोनू यादव कोई और था। आरोपी सोनू यादव का भाजपा से कोई लेना-देना नहीं था, जो बाद में जांच में स्पष्ट हो गया।
झूठ-11 : कन्हैया कुमार के एक झूठे ट्वीट को रीट्वीट कर जुबेर ने बेगूसराय की घटना को लेकर झूठी खबर फैलाई। कन्हैया ने आरोप लगाया था कि बेगूसराय में एक मुस्लिम फेरीवाले को पाकिस्तान जाने की बात कहते हुए गोली मार दी गई, जबकि बेगूसराय के डीएसपी ने साफ किया कि लड़ाई पैसे के कारण हुई थी। मजहब का कोई एंगल नहीं था।
झूठ-12 : मोहम्मद जुबेर ने तब्लीगी जमात के मौलाना साद का बचाव करते हुए उसके विवादित वायरल आॅडियो को फेक बताया था, जबकि जांच में दिल्ली पुलिस ने उसे सही पाया।
झूठ-13 : 9 जून, 2020 को जुबेर ने एक और फर्जी ट्वीट कर नफरत फैलाने की कोशिश की। उसने कहा कि मंदिर में प्रवेश करने पर दलित लड़के की हत्या कर दी गई। जांच में पता चला कि उस मंदिर में दलित दशकों से आते रहे हैं। लड़के की हत्या 5000 रुपये का कर्ज नहीं लौटाने के कारण हुई थी।
झूठ-14 : जुबेर ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यानाथ के साथ विवेक तिवारी के परिजनों की तस्वीर को लेकर भी झूठी खबर फैलाने की कोशिश की। एक तस्वीर ट्वीट करते हुए उसने मुख्यमंत्री और विवेक के परिजनों के बीच की दूरी को दर्शाया, जबकि दूसरी तस्वीर में उसी परिवार की एक बच्ची से मुख्यमंत्री आत्मीयता के साथ मिल रहे थे, जिसे जुबेर ने ट्वीट नहीं किया।
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