देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत के निधन होने के बाद से रिक्त चल रहे सीडीएस पद को भरने की प्रक्रिया में तेजी आ गई है। अगले सीडीएस का चयन करने के लिए मेडिकल फिटनेस को महत्वपूर्ण मानदंड रखा गया है। इसलिए केंद्र सरकार अगले सीडीएस की नियुक्ति से पहले करीब 30 सेवारत और सेवानिवृत्त अधिकारियों के स्वास्थ्य रिकॉर्ड की जांच कर रहा है।
देश के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत का 08 दिसंबर, 2021 को नीलगिरी जिले के कूनोर में एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में निधन हो गया था। लगभग छह माह से खाली पड़ी सीडीएस की कुर्सी को भरने की प्रक्रिया तेज होने से इस समय भारतीय सेना में हलचल बढ़ गई है। सरकार जल्द से जल्द नए सीडीएस का चयन करना चाहती है ताकि सेनाओं के आधुनिकीकरण एवं थिएटर कमांड के गठन की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा सके। सरकार अगले सीडीएस के रूप में उसी सैन्य अधिकारी को जनरल बिपिन रावत का उत्तराधिकारी बनाना चाहती है, जो तीनों सेनाओं में सक्रिय रूप से तालमेल बिठाने और थिएटर कमांड की निर्माण प्रक्रिया पर तेजी से ध्यान केन्द्रित कर सके।
सरकार ने नए सीडीएस का चयन करने के लिए 30 अधिकारियों का चयन किया है, जिनमें सेवारत और सेवानिवृत्त अधिकारी हैं। इस बार सीडीएस के चयन में मेडिकल फिटनेस को महत्वपूर्ण मानदंड बनाया गया है। हालांकि, सेवारत सैन्य अधिकारियों के मेडिकल रिकॉर्ड सरकार के पास उपलब्ध हैं लेकिन विशेष रूप से सेवानिवृत्त अधिकारियों के चिकित्सा इतिहास का बारीकी से अध्ययन किया जाएगा। सरकार ने तीनों सेनाओं के मौजूदा प्रमुखों समेत पांच वरिष्ठतम अधिकारियों के विवरण मांगे हैं। इसके अलावा तीनों सेनाओं के सेवारत 12 कमांडर-इन-चीफ रैंक के अधिकारियों के बारे में जानकारी मांगी गई है।
नए सीडीएस के चयन की प्रक्रिया तेज करते हुए सरकार ने जनवरी, 2020 से सेवानिवृत्त हुए सेना प्रमुखों और कमांडर-इन-चीफ के रैंक के सभी अधिकारियों के रिकॉर्ड भी मांगे हैं। हाल ही में सेवानिवृत्त हुए नौसेना प्रमुख एडमिरल केबी सिंह, वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया और सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे भी विचाराधीन सूची में हैं। एक सैन्य कमान का नेतृत्व करने के बाद थ्री-स्टार रैंक पर सेवानिवृत्त हुए कमांडर-इन-चीफ स्तर के अधिकारी भी इस सूची का प्रमुख हिस्सा हैं। इनमें उत्तरी सेना के पूर्व कमांडर रणबीर सिंह, पश्चिमी वायु कमान के प्रमुख अमित देव, पूर्व उप थल सेनाध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल सीपी मोहंती और दक्षिणी नौसेना कमान के पूर्व प्रमुख एडमिरल एके चावला शामिल हैं।
एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि फिलहाल सचिव (सैन्य मामलों के विभाग) अनुभाग को अलग करने और सरकार के प्रमुख सैन्य सलाहकार के पद की भूमिका कम करके सीडीएस पद को विभाजित करने की कोई योजना नहीं है। यह संभावना है कि अगला सीडीएस भारतीय सेना से ही हो, जो सेनाओं के आधुनिकीकरण में जनरल रावत के सपने को पूरा कर सके। दरअसल, सेनाओं के भीतर समस्या यह है कि कोई भी मौजूदा प्रमुख नहीं चाहता है कि प्रस्तावित थिएटर कमांडरों के गठन से अपनी शक्तियों को कम किया जाए और विभिन्न थिएटर कमांडों के बीच अपनी सैन्य संपत्ति का विभाजन किया जाए। अगर जनरल रावत जीवित होते, तो उनकी योजना आजादी के 75वें वर्ष में थिएटर कमांड की घोषणा और संचालन की थीं।
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