झारखंड में सरकारी कर्मचारियों को समय पर वेतन नहीं मिल रहा है, लेकिन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के लिए महंगी गाड़ियां खरीदी जा रही हैं। खबर है कि जल्दी ही मुख्यमंत्री के काफिले में 95,00,000 रु. की ऑडी कार शामिल हो जाएगी।
झारखंड में सरकारी कर्मचारियों को महीनों बाद वेतन मिल रहा है। एकाध दिन पहले ही झारखंड के सबसे बड़े अस्पताल राजेंद्र इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंस (रिम्स) के 700 से अधिक चिकित्सकों को दो महीने का वेतन एक साथ मिला है। यानी राज्य सरकार अपने डाक्टरों को हर महीने वेतन भी नहीं दे पा रही है। यही नहीं, कोरोना काल में स्वास्थ्यकर्मियों और चिकित्सकों के लिए राज्य सरकार ने प्रोत्साहन राशि देने का वायदा किया था, लेकिन उस वायदे को अभी तक नहीं निभाया गया है।
स्वास्थ्य विभाग पर लगातार निशाना साधने वाले निर्दलीय विधायक सरयू राय ने कहा है कि झारखंड का स्वास्थ्य विभाग अभी खुद ही बीमार हो चुका है। जो विभाग अपने चिकित्सकों की चिंता नहीं कर सकता उसे राज्य की जनता का कितना ख्याल होगा, यह खुद ही विचारणीय है। आपको यह भी बता दें कि कुछ समय पहले जमशेदपुर के निर्दलीय विधायक सरयू राय ने स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता पर आरोप लगाए थे कि उन्होंने खुद के लिए और अपने परिचितों के लिए प्रोत्साहन राशि आवंटित करवा लिए हैं।
इतना ही नहीं, इस वर्ष जनवरी महीने में आयुष के जो चिकित्सक नियुक्त हुए हैं, उन्हें भी अभी तक वेतन नहीं मिला है। एक तो इनकी नियुक्ति संविदा के आधार पर केवल छह महीने के लिए हुई है, वह भी बहुत ही कम वेतन पर। जून महीने में उनकी संविदा की अवधि भी पूरी होने वाली है। इसके बावजूद इन चिकित्सकों को वेतन नहीं मिल रहा है। दूसरी ओर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के लिए नई—नई गाड़ियां खरीदी जा रही हैं। बता दें कि मुख्यमंत्री के काफिले में पहले से ही बीएमडब्ल्यू, मर्सिडीज जैसी गाड़ियां शामिल हैं। अब खबर है कि उनके लिए 95,00,000 रु में ऑडी कार खरीदी जाएगी।
इस पर भाजपा विधायक भानुप्रताप शाही ने कहा नए झारखंड में यही चलेगा क्या? 2020 में बीएमडब्लू कार, चार महीने पहले मर्सिडीज कार और अब मुख्यमंत्री के लिए 95,00,000 की ऑडी क्यू 7 खरीदी जाएगी। जनता लाठी खा रही है, चिकित्सकों को वेतन और बुनियादी सुविधाएं नहीं मिल रही हैं, लेकिन ‘सरकार’ गाड़ियों का शौक पूरा करने में व्यस्त हैं।
रिम्स के डॉक्टरों को वेतन के अलावा और कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। जूनियर डाक्टर्स एसोसिएशन (जेडीए) के अध्यक्ष डॉ विकास कुमार ने बताया कि रिम्स के अंदर चिकित्सकों के रहने के लिए हॉस्टल है, लेकिन इसमें बुनियादी सुविधाओं का भारी अभाव है। उदाहरण के तौर पर उन्होंने बताया कि पिछले कई महीनों से हॉस्टल के अंदर वाटर फिल्टर खराब पड़ा है और वहां के चिकित्सकों को बाहर से पानी मंगा कर पीना पड़ रहा है। यही स्थिति हॉस्टल के अंदर के शौचालय की है। हॉस्टल के कई कमरों के दरवाजे भी टूटे हुए हैं। विकास सिंह और उनके साथियों ने कई बार प्रबंधन को इस मामले की जानकारी भी दी है। इसके बावजूद कोई सुधार नहीं हुआ है।
दस वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। राजनीति, सामाजिक और सम-सामायिक मुद्दों पर पैनी नजर। कर्मभूमि झारखंड।
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