अफगानिस्तान में तालिबान राज के बाद से भारत में आतंक फैलाने के लिए आतंकी संगठन साजिश में लगे हुए हैं। इसी कड़ी में लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों को तालिबानी आतंकियों द्वारा अफगानिस्तान में प्रशिक्षण देने का काम तेजी से शुरू किया गया है। हाल ही में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की आतंकवाद पर एक रिपोर्ट जारी हुई है, जिसमें बताया गया है कि अफगानिस्तान के सिर्फ नंगरहार जिले में आठ आतंकी प्रशिक्षण कैंप चलाये जा रहे हैं, जिसमें से तीन कैंप पूरी तरह से तालिबान के आतंकियों की देख-रेख में चलाए जा रहे हैं। यूएनएससी की तरफ से गठित समिति की यह 13वीं रिपोर्ट है। यह भी बता दें कि यूएनएससी की उक्त समिति की पहले की रिपोर्ट में कहा गया है कि जैश व लश्कर काफी पहले से तालिबान को वित्तीय व प्रशिक्षण की मदद दे रहे थे और अब जब तालिबान ने अफगानिस्तान में सरकार बना ली है तो वह इन संगठनों को उसी तरह से मदद कर रहा है।
इन इलाकों में चलाए जा रहे आतंकी शिविर
रिपोर्ट के मुताबिक लश्कर के अबी कुनार जिले में तीन कैंप चल रहे हैं। नंगरहार जिले में हस्क मीना में लश्कर आतंकियों को प्रशिक्षण देने के लिए चलाये जा रहे केंद्र में तालिबान के दल को जनवरी, 2022 में देखा गया है। जबकि लश्कर का मुख्य सरगना मवलावी असदुल्लाह को तालिबान के उप गृह मंत्री नूर जलील के साथ अक्टूबर, 2021 में मिलते हुए देखा गया है। रिपोर्ट में जैश के बारे में बताया गया है कि देवबंदी समूह से संबंधित होने के वजह से यह तालिबान के ज्यादा करीब है। भारत, अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस जैसे देशों के अलावा संयुक्त राष्ट्र की तरफ से भी इसका मुखिया मौलाना मसूद अजहर आतंकी घोषित है।
टीटीपी के हजारों आतंकी सक्रिय
टीटीपी के 4000 से 5,000 आतंकी अफगानिस्तान-पाकिस्तान के दक्षिणी-पूर्वी सीमा पर हैं, जो इस पूरे क्षेत्र के लिए सबसे बड़ा खतरा बने हुए हैं। ये आतंकी अफगानिस्तान में अभी विदेशी आतंकियों का सबसे बड़ा दल है। टीटीपी पाकिस्तान के भीतर व पाकिस्तान की सीमा पर पिछले कई वर्षों से हमला करता रहा है। बता दें कि अफगानिस्तान में सत्ता में आने के बाद सबसे ज्यादा टीटीपी को ही फायदा हुआ है। टीटीपी पाकिस्तान सैनिकों के लिए लगातार चुनौती बना हुआ है।
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