विश्व वैदिक संघ की महामंत्री किरण सिंह की ओर से मंगलवार को सिविल जज सीनियर डिविजन रवि कुमार दिवाकर के न्यायालय में तीन बिंदुओं को लेकर याचिका दाखिल की गई।
वाराणसी में ज्ञानवापी परिसर में शिवलिंग की पूजा, मुसलमानों को अंदर जाने से प्रतिबंधित करने को लेकर न्यायालय में नई याचिका दाखिल की गई। बुधवार को इस याचिका पर सुनवाई होगी। विश्व वैदिक संघ की महामंत्री किरण सिंह की ओर से मंगलवार को सिविल जज सीनियर डिविजन रवि कुमार दिवाकर के न्यायालय में तीन बिंदुओं को लेकर याचिका दाखिल की गई। इसमें ज्ञानवापी परिसर में शिवलिंग के तत्काल पूजन की व्यवस्था करने की मांग की गई है। मुस्लिमों का प्रवेश वर्जित कर परिसर हिन्दुओं को देने की भी मांग है।
विश्व वैदिक सनातन संघ के अध्यक्ष जितेंद्र सिंह बिसेन ने बताया कि भगवान आदि विश्वेश्वर के पूजन-अर्चन, भोग को लेकर पहले बिंदु में तत्काल सुनवाई को कहा गया था। न्यायालय ने पहले बिंदु की सुनवाई के लिये कल की तारीख रखी है। याचिका में हम लोगों की ओर से पूरे ज्ञानवापी परिसर में मुस्लिमों के आने –जाने पर प्रतिबंध लगाने की बात कही गई है। वहां जब आदि विश्वेश्वर मिल चुके हैं तो परिसर हिंदुओं को दिया जाए। अभी इन दो मुद्दों का न्यायालय ने संज्ञान नहीं लिया है। कल की सुनवाई के बाद ही प्रक्रिया आगे बढ़ेगी।
26 मई को होगी अगली सुनवाई
आज ज्ञानवापी परिसर विवाद को लेकर जिला जज के न्यायालय में 15 मिनट सुनवाई चली। दोनों पक्षों की ओर से न्यायालय में तथ्य रखे गए। न्यायालय ने कहा कि 26 मई को अगली सुनवाई होगी। अधिवक्ता विष्णु जैन ने बताया कि आज की सुनवाई में यह तय होना था कि राखी सिंह समेत पांच अन्य बनाम स्टेट ऑफ यूपी का वाद सुनवाई योग्य है या नहीं। विशेष उपासना स्थल अधिनियम 1991 लागू होता है या नहीं। इसकी अगली तारीख 26 मई तय हुई है। इस बीच में जिसे आपत्ति दाखिल करना हो वो आपत्ति दाखिल कर सकता है। हिंदू पक्ष की ओर से अधिवक्ता आयुक्त द्वारा न्यायालय में प्रस्तुत विस्तृत रिपोर्ट उपलब्ध कराने पर भी सहमति बन गई है।
श्रृंगार गौरी की रोजाना पूजा, वजू खाने में मिले शिवलिंग की पूजा, नंदी के उत्तर में मौजूद दीवार को हटा दिया जाये, परिसर में मिले शिवलिंग के आस पास पुनः सर्वे की अनुमति दी जाये। इन सभी मुद्दों पर सुनवाई होनी थी। अब अगली तारीख पर सुनवाई होगी। इस दौरान पुलिस कमिश्नर ए सतीश गणेश खुद मौजूद रहे। पुलिस की टीम के साथ परिसर में पीएसी भी तैनात की गई थी। न्यायालय में केवल वादी और प्रतिवादी के साथ याचिकाकर्ताओं को ही जाने की अनुमति थी।
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