कल शाम पाकिस्तान की इमरान सरकार में मानव अधिकार मंत्री रही शिरीन मजारी को अचानक गिरफ्तार कर लिया गया। बताया गया कि ऐसा जाली दस्तावेजों के आधार पर पांच हजार एकड़ जमीन का मजारी के नाम किए जाने के कारण किया गया। इस बात को एक और घटना से जोड़ कर देखें। कल ही प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ अपने बेटे और पंजाब के मुख्यमंत्री हमजा शरीफ के साथ अपने विरुद्ध चल रहे एक मनी लॉन्ड्रिंग के एक केस की सुनवाई के लिए अदालत पहुंचे तो उनकी कार को एक आम पुलिस वाले ने अदालत के बाहर रोक लिया। इस केस को सुनने के लिए आ रहे जज की कार को रोक लिया गया, सरकारी वकील को रोक लिया गया। मजे की बात यह है, इनमें से किसी भी केस में यह कोई नहीं जानता है कि आखिर यह सब किसके आदेश पर हो रहा है। हमजा शरीफ ने शिरीन मजारी को तुरंत रिहा करने के आदेश दिए। केंद्र सरकार और राज्य सरकार दोनों ने ही इस फैसले से अनिभिज्ञता दिखाई।
इस पृष्ठभूमि में प्रश्न उठता है, आखिर पाकिस्तान जैसे देश में जहां सरकार को यह नही मालूम की प्रशासनिक फैसले कौन ले रहा है। एक देश जिसके पास परमाणु बम है, वहां के फैसले कौन ले रहा है, यह न केंद्र सरकार को मालूम है और न ही राज्य सरकार को। संभवत: यह समय है जब दुनिया को इस विषय में गौर करना चाहिए कि इस बात के लिए कौन जिम्मेदारी लेगा अगर ऐसे देश के हथियार गायब होने लगे और इसकी जिम्मेदारी लेने के लिए कोई है ही नहीं।
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