झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार मुस्लिम तुष्टीकरण के लिए कुछ भी करने को तैयार है। जिस राज्य में शिक्षकों को समय पर वेतन नहीं मिल रहा है, वहां आदेश हुआ है कि राज्य के सभी सरकारी विद्यालयों को हरे रंग में रंग दो। लोगों का मानना है कि यह सब कुछ मुस्लिम तुष्टीकरण के लिए किया जा रहा है।
झारखंड सरकार मुस्लिम तुष्टीकरण में आकंठ डूबी हुई है। कुछ समय पहले ही राज्य सरकार ने स्थानीय भाषा के नाम पर सभी 24 जिलों में उर्दू को थोपा था, जबकि उर्दू किसी भी राज्य की स्थानीय भाषा नहीं है। एक रिपोर्ट के अनुसार पता चला है कि अब एक नया आदेश जारी किया गया है कि राज्य के सभी सरकारी और अनुदान प्राप्त विद्यालयों को हरे रंग में और उनके दरवाजों को सफेद रंग में रंग दो।
लोग इसे मुस्लिम तुष्टीकरण का ही एक और कदम मान रहे हैं। समाजसेवी दीपनारायण कहते हैं कि जिन शिक्षण संस्थानों में बच्चों को देशभक्ति और आपसी प्रेम का पाठ पढ़ाया जाना चाहिए, उनका मजहबी कट्टरता के लिए उपयोग हो रहा है। यह बहुत ही दुखदायी बात है।
बता दें कि स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता मंत्री जगन्नाथ महतो के निर्देश पर विद्यालयों के रंग बदले जा रहे हैं। फिलहाल विद्यालय भवनों के रंग गुलाबी हैं। लेकिन अब नए सत्र से विद्यालयों के भवनों को हरा और उनके दरवाजों और खिड़कियों को सफेद किया जाएगा। बता दें कि राज्य के सभी सरकारी विद्यालयों को प्रतिवर्ष अनुदान राशि दी जाती है। इस राशि का उपयोग आवश्यकता अनुसार भवन की मरम्मत, रंग—रोगन एवं सफाई के लिए किया जाता है। यह राशि विद्यार्थियों की संख्या के हिसाब से दी जाती है। जिस विद्यालय में नामांकित बच्चों की संख्या 30 होती है, उसे 10,000 रु और 31 से 100 बच्चों वाले स्कूल को 25,000 रु, 101 से 250 तक के बच्चों वाले स्कूल को 50,000 रु, 251 से 1000 छात्रों वाले स्कूल को 75,000 रु और 1,000 से अधिक छात्रों वाले विद्यालय को 1,00,000 रु का अनुदान दिया जाता है।
ऐसा नहीं है कि पहले कभी विद्यालय के भवनों का रंग नहीं बदला गया। 2002 से 2003 के बीच में विद्यालय के भवनों का रंग पीला से बदलकर गुलाबी कर दिया गया था। अब इसी गुलाबी को हरा किया जा रहा है। भाजपा ने इसका विरोध किया है। भाजपा विधायक भानु प्रताप शाही ने कहा कि पहले तो पूरे राज्य में उर्दू को थोपा गया, अब राज्य के सभी विद्यालयों को हरा रंग करने का आदेश दिया गया है। सवाल यह उठता है कि क्या राज्य सरकार विद्यालयों को मदरसा बनाने की तैयारी तो नहीं कर रही है? भाजपा इसे बर्दाश्त नहीं करेगी। रंगों की राजनीति समझ से परे है।
झारखंड के सरकारी स्कूल हरे रंग के होंगे ..
भाजपा जब भी आएगी तो सबको भगवा कर दिया जाएगा ..
पूर्व मुख्यमंत्री और मंत्री के आवास भी @HemantSorenJMM @BJP4Jharkhand
— Bhanu Pratap Shahi (@ShahiPratap) May 18, 2022
प्रो. संजय सिंह का कहना है कि एक तरफ सरकार कॉपी जांचने वाले शिक्षकों का आर्थिक शोषण कर रही है, दूसरी ओर रंग के नाम पर फिजूलखर्ची कर रही है। बता दें कि अभी हाल ही में 12वीं की उत्तर पुस्तिका की जांच हो रही थी। इसमें हर वर्ष प्रत्येक शिक्षक को उत्तर पुस्तिका जांचने के लिए प्रतिदिन 30 से 40 कॉपियां दी जाती थीं और प्रत्येक कॉपी को जांचने के लिए 20 रु दिए जाते थे। लेकिन इस बार प्रत्येक शिक्षक को 70 कॉपी जांचने को कहा गया और मात्र 10 रु प्रति कॉपी भुगतान करने की बात है। इसे लेकर राज्य के कई जगहों पर शिक्षकों ने मूल्यांकन कार्य का विरोध किया है।
एक बार फिर से रंग की बात करते हैं। इसे लोगों ठीक नहीं मान रहे हैं। लोगों का कहना है कि इसी तरह के मुद्दों की वजह से झारखंड में मजहबी कट्टरपंथियों का दुस्साहस बढ़ता जा रहा है। उल्लेखनीय है कि हाल के दिनों मेें झारखंड में जिहादी घटनाएं खूब बढ़ी हैं। ‘मॉब लिचिंग’ की घटनाएं हुई हैं, जिनमें मुसलमानों की भीड़ ने पीट—पीटकर हिंदुओं की हत्या की है। कहीं भी छोटी—सी बात पर मुस्लिमों की भीड़ जमा होकर हंगामा करने लगती है। रामनवमी जुलूस के दौरान भी राज्य के कई जगहों पर तनाव और दंगे हुए।
यहां तक कि जल, जंगल और जमीन पर भी जिहादी तत्व कब्जा कर रहे हैं। एक एजेंसी से जुड़े विश्वस्त सूत्रों ने बताया कि लातेहार, गुमला, खूंटी आदि कई जिलों में बड़ी संख्या में बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठियों और रोहिंग्या मुसलमानों को बसाया जा रहा है। इन लोगों के नाम मतदाता सूची में फटाफट दर्ज कराए जा रहे हैं, आधार कार्ड बनवाए जा रहे हैं। यदि कोई अधिकरी इनका विरोध करता है, तो जिहादी तत्वों के आका उसका स्थानान्तरण करवा देते हैं। इतने से भी बात नहीं बनती है तो ऐसे अधिकारियों पर हमले भी कराए जाते हैं।
अब देखना यह है कि झारखंड में शुरू हुई रंगों और तुष्टीकरण की राजनीति कितने रंग दिखाती है?
दस वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। राजनीति, सामाजिक और सम-सामायिक मुद्दों पर पैनी नजर। कर्मभूमि झारखंड।
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