मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल स्थित जामा मस्जिद को लेकर बड़ा दावा किया गया है। संस्कृति बचाओ मंच का दावा है कि मंदिर को तोड़कर करके वहां जामा मस्जिद बनाई गई थी। पहले वहां पर भगवान शिव का मंदिर था। वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर की तरह अगर इसका भी सर्वे किया जाए तो सच सामने आ जाएगा। संस्कृति बचाओ मंच ने गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा को ज्ञापन सौंप कर इस पर जांच कराने की मांग की है।
संस्कृति बचाओ मंच के संयोजक चंद्रशेखर तिवारी ने पाञ्चजन्य से बात करते हुए दावा किया कि भोपाल के चौक क्षेत्र स्थित जामा मस्जिद की जगह पहले शिव मंदिर था, जो सभा मंडल कहलाता था। उस मंदिर को तोड़ करके वहां मस्जिद बनाई गई थी। उन्होंने कहा कि अगर उसका सर्वे कराया जाए तो सच्चाई सामने आ जाएगी। उन्होंने कहा कि आज संस्कृति बचाओ मंच ने गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा को ज्ञापन सौंप कर मांग की है कि जामा मस्जिद परिसर का पुरातत्व सर्वेक्षण कराया जाए। तिवारी ने दावा किया कि अगर सर्वे कराया गया तो निश्चित तौर पर मंदिर के सबूत मिल सकते हैं। उन्होंने बताया कि जामा मस्जिद परिसर के सर्वे कराने की मांग को लेकर आज हम कोर्ट में याचिका दायर करेंगे।
‘किताब में लिखा है पहले था मंदिर’
संस्कृति बचाओ मंच के संयोजक चंद्रशेखर तिवारी ने एक किताब के बारे में बताया। उनका दावा है कि उस किताब में वहां मदिर होने का उल्लेख है। तिवारी ने कहा कि किताब में लिखा है कि जामा मस्जिद चौक क्षेत्र में है जो सुंदर लाल रंग के पत्थरों से बनी है। उसका निर्माण कुदसिया बेगम ने 1832 में शुरू कराया था, जो 1857 में बनकर तैयार हुई थी। इसके निर्माण में पांच लाख रुपए लागत आई थी। इसकी वास्तुकला दिल्ली की जामा मस्जिद के समान ही है। अंदर बड़ा आंगन है। तीन दिशाओं से प्रवेश द्वार और चारों कोनों पर हुजरे बने हुए हैं। परिसर का प्रार्थना स्थल अर्द्ध स्तंभ व स्वतंत्र स्तंभों पर आधारित है। प्रार्थना स्थल के दोनों ओर पांच मंजिली विशाल गंगनचुंबी मीनारें भी हैं। तिवारी का दावा है कि किताब में इस बात का भी जिक्र है कि यहां पहले शिव मंदिर था, जिसे तोड़कर मस्जिद बनाई गई है।
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