दिल्ली स्थित कुतुबमीनार को लेकर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के पूर्व क्षेत्रीय निदेशक धर्मवीर शर्मा ने बड़ा दावा किया है। उन्होंने कहा है कि यह कुतुबमीनार नहीं, बल्कि सूर्य स्तंभ है। इससे नक्षत्रों की गणना की जाती थी। 27 नक्षत्रों की गणना के लिए इस स्तंभ में दूरबीन वाले 27 स्थान भी हैं। उन्होंने अपनी बात को साबित करने के लिए कई तर्क भी दिए हैं।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के पूर्व क्षेत्रीय निदेशक धर्मवीर शर्मा ने पाञ्चजन्य से बातचीत में दावा किया है कि यह कुतुबमीनार नहीं, बल्कि एक सूर्य स्तंभ है। इसका निर्माण वराहमिहिर की अध्यक्षता में परमार वंश के राजा विक्रमादित्य ने करवाया था। इस वेधशाला के जरिए सूर्य, तारों और नक्षत्रों का अध्ययन किया जाता था। इस मीनार के तीसरी मंजिल पर देवनागरी में सूर्य स्तंभ के बारे में जिक्र भी है। यह वेधशाला विष्णु पद पहाड़ी पर थी। उन्होंने कहा कि हमारी स्मारकों को इस्लाम के शासकों ने नष्ट कर दिया है। धर्मवीर शर्मा ने कहा कि वहां पर जो अरबी में अभिलेख लगे हैं, उनको वहां से पत्थरों को हटाकर लगाया गया है। ये कहीं नहीं लिखा कि कुतुबमीनार को कुतुबुद्दीन ऐबक ने बनवाया, लेकिन उसने ये लिखा है कि 27 मंदिरों को खंडित करके उनके मलबे से जामा मस्जिद बनवाया।
धर्मवीर शर्मा ने कहा कि 21 जून को दोपहर 12 बजे कुतुबमीनार की छाया जमीन पर नहीं पड़ती है, वो इसलिए क्योंकि कुतुबमीनार 25 इंच दक्षिण की तरह झुकी हुई है और कर्क रेखा से 5 डिग्री उत्तर में स्थित है। उत्तरायण से दक्षिणायन में सूर्य ठीक 12 बजे आता है। उन्होंने बताया कि स्तंभ में 27 मोखे (जिनमें सिर्फ आंख लगाकर बाहर देखा जा सकता है) इन्हें आप दूरबीन वाले स्थान भी कह सकते हैं। यह केवल नक्षत्रों के अध्ययन करने के लिए था और बीच में सूर्य स्तंभ था। उन्होंने यह भी कहा कि कुतुबमीनार के मुख्य गेट से अगर आप 25 इंच अपनी पीठ झुकाकर ऊपर देखेंगे तो आपको ध्रुव तारा नजर आएगा। उन्होंने दावा किया कि पुरातात्विक साक्ष्यों के आधार पर यह निश्चित तौर पर कहा जा सकता है यह सूर्य स्तंभ है।
वामपंथी, लेफ्टिस्ट और कांग्रेसियों ने दूषित किया इतिहास
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के पूर्व क्षेत्रीय निदेशक धर्मवीर शर्मा ने कहा कि वामपंथी, लेफ्टिस्ट और कांग्रेसियों ने हमारे इतिहास को दूषित किया है, भारतीय इतिहास को नष्ट कर दिया गया है। जो उन्होंने लिखा है, उसके रिव्यू करने की जरूरत है। बता दें कि धर्मवीर शर्मा देश के विख्यात पुरातत्वविदों में हैं, जो एएसआई के दिल्ली मंडल में तीन बार अधीक्षण पुरातत्वविद रह चुके हैं। पद पर रहते हुए उन्होंने कई बार कुतुबमीनार में कई बार संरक्षण कार्य भी कराया है।
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