देशभर पर मौलवियों के कथित कारनामें सामने आते रहे हैं। इसी तरह राजस्थान में दो मौलवियों की काली करतूतें चर्चा का विषय बनी हुई है। पहली घटना कोटा की है, जहां एक मौलवी ने मजहबी शिक्षा देने के दौरान एक छह वर्षीय मासूम से दुष्कर्म किया। कोर्ट ने मौलवी को दोषी माना और आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। निर्णय सुनाने के दौरान जज स्वयं भावुक हो उठे। दूसरी घटना पश्चिमी राजस्थान के बाड़मेर जिले की है, जहां एक अधेड़ मौलवी ने 19 वर्षीय छात्रा को प्रेमजाल में फंसाकर निकाह कर लिया। दोनों ही मामलों में बालिकाएं मौलवी के पास मजहबी शिक्षा ग्रहण करने जाती थी। मौलवी पहले से ही विवाहित थे। यह दो घटनाएं कथित मजहबी शिक्षा देने वाले मौलवियों के पैशाचिक प्रवृत्ति को दर्शाती है।
छह साल की मासूम से दुष्कर्म के आरोपी मौलवी को आजीवन कारावास
कोटा में छह वर्षीय मासूम के साथ मौलवी ने दुष्कर्म किया। विशिष्ट लोक अभियोजक ललित शर्मा ने बताया की पीड़ित नाबालिग के परिजनों ने 14 नवंबर को दीगोद थाने में शिकायत दी थी। जिसमें बताया था कि दुष्कर्मी मौलवी अब्दुल रहीम (43) कोटा के रामपुरा का रहने वाला है। अब्दुल रहीम चार महीने पहले ही पीड़िता के गांव में आया था। गांव में मदरसे में अकेला रहता था। वह बच्चों को उर्दू की तालीम देता था। उनकी छह साल की बेटी भी उर्दू पढ़ने मौलवी के पास जाती थी। 13 नवंबर को दोपहर तीन बजे ,बेटी उर्दू पढ़ने मौलवी के पास गई थी। चार बजे रोती हुई घर लौटी। सारी बात बताई। शिकायत पर पुलिस ने कार्रवाई करते हुए 14 नवंबर को आरोपी मौलवी को गिरफ्तार किया। अब्दुल चार बच्चों का पिता है। उसके एक बेटी व तीन बेटे हैं। जांच के बाद 6 जनवरी-22 को कोर्ट में चालान पेश किया। कोर्ट में फरवरी माह में मौलवी के खिलाफ आरोप तय किए। कोर्ट में 13 गवाहों के बयान कराए गए थे।
कोटा पॉक्सो कोर्ट क्रम संख्या- 3 में मासूम बालिका से दुष्कर्म करने के सात माह पुराने मामले की सुनवाई चार माह छह दिन में पूरी हुई। न्यायालय ने अब्दुल रहीम को अंतिम सांस तक कारावास की सजा सुनाई। एक लाख जुर्माना भी लगाया है। विशिष्ट न्यायाधीश दीपक दुबे ने निर्णय में लिखा- “आरोपी ने धार्मिक शिक्षक जैसे पवित्र पद पर रहते हुए छह साल की मासूम पीड़िता को हवस का शिकार बनाकर धर्मगुरुओं के प्रति आम जनमानस की पवित्र भावनाओं को गंभीर आहत किया है। साथ ही मासूम के मन मस्तिष्क पर कुकृत्य से ऐसी राक्षसी छाप छोड़ी है, जिसे संभवत: उक्त मासूम आजीवन नहीं भुला सकेगी।”
इसके साथ ही जज ने आदेश में एक भावात्मक कविता भी लिखकर एक सकरात्मक संदेश देने का प्रयास किया है-
“ओ मेरी नन्ही मासूम परी रानी, तुम खुश हो जाओ,
तुम्हें रुलाने वाले दुष्ट राक्षस को,
हमने जिंदगी की आखरी सांस तक के लिए सलाखों के पीछे भेज दिया है,
अब तुम इस धरती पर निडर होकर ,
अपने सपनों के खुले आसमान में पंख लगाकर उड़ सकती हो,
तुम सदा हंसती रहो, चहकती रहो,
बस, यही प्रयास है हमारा।”
देश में कथित धार्मिक शिक्षा देने की आड़ में नाम पर मौलवी का यह कृत्य घोर निंदनीय है। मदरसों में चल रही कथित गतिविधियों की एक बानगी भर है। मदरसों में कई घटनाएं ऐसी होती है, जो सामने नहीं आ पाती है।
एक बच्चे के पिता मौलवी ने 19 वर्षीय छात्रा से किया निकाह-
मदरसों में पढ़ने वाली कम उम्र के मासूम विद्यार्थी मौलवियों के निशाने पर रहते हैं। अक्सर देखने में आता है कि शादीशुदा मौलवी अपने परिवार को छोड़कर कहीं दूरस्थ मदरसों में जाकर उर्दू पढ़ाने लगते हैं। मजहबी शिक्षा दिलाने वाले मां-बाप यह भूल जाते हैं, मौलवी की कुदृष्टि उनके नौनिहालों पर है। ऐसी कई घटनाएं पहले भी सामने आई है, जिनमें मौलवी दुष्कर्म और हत्या जैसे गंभीर मामलों में फसे है।
राजस्थान के पाली जिले में एक मदरसे में पढ़ाने वाला अधेड़ मौलवी 19 वर्षीय बालिका से इश्क लड़ा बैठा। बाद में दोनों ने गुपचुप शादी कर ली। घटना के सामने आने के बाद बालिका के परिजनों ने आपत्ति की तो मौलवी सुरक्षा की गुहार लगाने जिला पुलिस अधीक्षक के पास पहुंचा। मौलवी पहले से ही शादीशुदा है और उसका एक बच्चा भी है। हालांकि मौलवी ने पहले से शादीशुदा होने से इंकार किया है।
दरअसल बाड़मेर जिले के देरासर गांव का रहने वाला मौलवी गनी खां उर्फ अब्दुल गनी (44) पुत्र जुमशेर खान पाली जिले के बस्सी स्थित एक मदरसे में पढ़ाता था। करीब एक साल से वह बस्सी में सतार खान के घर पर रहता था। सतार की 19 साल की बेटी सबीना को भी गनी खान पढ़ाता था। इस दौरान मौलवी ने सबीना को प्रेम में फसा लिया। करीब एक माह पहले दोनों ने कोर्ट में जाकर शादी (निकाह) कर ली। एक माह तक इस बात की जानकारी किसी को नहीं मिली। गनी सतार के घर पर ही रहा। ईद पर मौलवी गनी खान अपने घर बाड़मेर के देरासर पहुंचा। पीछे-पीछे सबीना भी बाड़मेर आ गई। इसके बाद सबीना के परिजनों को मौलवी की करतूत का पता चला। परिवार वालों के विरोध के बाद इस मामले का खुलासा हुआ है। विवाद बढ़ा तो मौलवी गनी खान बाड़मेर पुलिस अधीक्षक कार्यालय पहुंचा और कोर्ट में शादी के कागजात पेश करते हुए एसपी से सुरक्षा की गुहार लगाई। मौलवी गनी खान के मुताबिक मदरसें में पढने का दौरान सबीना ने ही शादी का प्रस्ताव रखा था और कई बार शादी करने का दबाव बनाया। इसके बाद मैंने शादी की। अब हम दोनों को अपने परिजनों से जान का खतरा है।
इस मामले में सबीना का कहती हैं कि हमारे बीच में प्यार तीन माह से चल रहा था। मेरे परिवार वाले मुझे वापस ले जाना चाहते हैं, लेकिन मैं मौलवी के साथ रहना चाहती हूं। मैंने ही मौलवी से शादी के लिए कहा था।
सबीना बानों के पिता बताते हैं- मौलवी मदरसे में पढ़ाता था। हम बेटे के बाराबर रखते थे। इमाम समझकर बच्ची को पढ़ने भेजा था। एक दिन बच्चों को भगा ले गया। हमें मौलवी पर शंका नहीं थी। इसलिए बच्ची की आसपास के शहरों में तलाश करते रहे। ढूंढ़ते बाड़मेर पहुंचे तो घटना का पता चला। मौलवी पहले से ही शादीशुदा होकर एक बच्चे का पिता है।
मौलवी की करतूत के बाद से क्षेत्र के मुस्लिम पंच पटेल सक्रिय है। मौलवी गनी खान और सबीना को समझाने का प्रयास चल रहे हैं। वे किसी तरह मान जाए।
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