झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की मुश्किलें थमने का नाम ही नहीं ले रही हैं। अब एक बार फिर से पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने हेमंत सोरेन, उनके परिजन और करीबियों पर अनेक आरोप लगाये हैं।उनके आरोपों के अनुसार हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना मुर्मू सोरेन ने झारखंड के विभिन्न जिलों में सैकड़ों एकड़ जनजातीय समाज की भूमि को गैरकानूनी तरीके से खरीदा है।
बता दें कि कल्पना मूल रूप से उड़ीसा की रहने वाली हैं। नियमानुसार झारखंड के बाहर का कोई जनजाति व्यक्ति भी झारखंड के किसी जनजाति की जमीन नहीं खरीद सकता।
श्री दास ने इसी नियम का हवाला देते हुए आरोप लगाया है कि कल्पना सोरेन ने नियमों को ताक पर रखकर झारखंड में जमीन की खरीददारी की है। उनका यह भी कहना है कि कल्पना ने जमीन के कागजातों में अपने पिता अंपा मांझी का नाम दर्शाया है। यह तो और गंभीर बात है। यहां यह भी बता दें कि छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम यानी सीएनटी एक्ट के तहत किसी अन्य राज्य के आरक्षित श्रेणी का व्यक्ति होने के बाद भी झारखंड में आरक्षण का लाभ नहीं ले सकता है। इसके साथ ही सीएनटी एक्ट के नियमों के अनुसार किसी जनजातीय की भूमि खरीदने से पहले उसे विक्रेता के ही थाना क्षेत्र का होना भी आवश्यक है, लेकिन कल्पना मुर्मू सोरेन ने इन दोनों शर्तों का उल्लंघन किया है। शायद उन्हें लगता है कि वे राज्य के सबसे बड़े राजनितिक परिवार की बहू हैं इसीलिए उन पर कोई नियम लागू नहीं होता है।
श्री दास ने इस मामले में कल्पना मुर्मू सोरेन पर मनी लॉन्ड्रिंग का एक और आरोप लगाते हुए कहा है कि उनके द्वारा खरीदी गई 13 कट्ठा 14 छटाक जमीन का सरकारी मूल्य 34 लाख 93 हजार रुपए दिखाया गया है, लेकिन विक्रय की राशि मात्र 4 लाख 16 हजार रुपए ही बताई गई है। ठीक उसी प्रकार 17 कट्ठा 8 छटाक जमीन का सरकारी मूल्य 44 लाख रुपए है, जबकि विक्रेता को मात्र 9 लाख 41 हजार 250 रुपए का भुगतान किया गया है। उन्होंने यह भी बताया है कि वर्तमान में बाजार मूल्य के हिसाब से इस जमीन की कीमत करोड़ों रुपए में होगी उसे छुपाने की नीयत से भूमि का क्रय मूल्य कम दिखाया गया है। श्री दास को आशंका है कि इसमें मनी लॉन्ड्रिंग का भी ‘खेल’ खेला गया है।
आपको बता दें कि इन दोनों जमीन के पूर्व मालिक बिरसा उरांव और राजू उरांव ने भी शिकायत की थी। इसके बाद तत्कालीन अनुसूचित जनजाति मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष सह विधायक रामकुमार पाहन द्वारा शिकायत भी की गई थी। उस वक्त की भाजपा सरकार के कार्यकाल में उपरोक्त मामले को संज्ञान में लेते हुए प्रमंडलीय आयुक्त दक्षिणी छोटानागपुर प्रमंडल रांची के कार्यालय के आदेश के अनुसार एक जांच दल का गठन किया गया था। इस जांच में गंभीर अनियमितताएं उजागर हुई थीं। इसके बाद रांची के उपायुक्त को सीएनटी एक्ट के प्रावधानों के तहत कार्रवाई करने का आदेश दे दिया गया था। इसका नतीजा यह निकला कि 2 जुलाई, 2019 को रांची के अपर समाहर्ता न्यायालय द्वारा संबंधित पक्षों को नोटिस जारी की गई थी।
उपरोक्त मामलों में रघुवर दास का कहना है कि दिसंबर, 2019 के चुनाव के बाद झारखंड में झामुमो—कांग्रेस की गठबंधन सरकार के आने की वजह से इस मामले को अपने पक्ष में करवा लिया गया है। अब उस भूमि पर सोहराई भवन के नाम से करोड़ों का भवन तैयार हो चुका है और मामला ठंडे बस्ते में जा चुका है।
दस वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। राजनीति, सामाजिक और सम-सामायिक मुद्दों पर पैनी नजर। कर्मभूमि झारखंड।
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