जदयू नेता नीतीश कुमार भाजपा के कारण ही पिछले 17 साल से बिहार के मुख्यमंत्री हैं। इसके बावजूद वे भाजपा के किसी भी मुद्दे को सिरे नहीं चढ़ने दे रहे हैं। भाजपा चाहती है कि बिहार में सीएए लागू हो, लेकिन नीतीश कुमार स्वयं या फिर अपने किसी नेता के द्वारा इसका विरोध करते हैं। इस कारण दोनों दलों के बीच एक बार फिर से तनातनी देखी जा रही है।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भाजपा के समर्थन से सरकार चला रहे हैं, लेकिन भाजपा का कोई मुद्दा आते ही वे उसे तुरंत नकार देते हैं। समान नागरिक संहिता, संशोधित नागरिकता कानून यानी सीएए जैसे मुद्दों पर नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जदयू के नेता कोई चर्चा ही नहीं होने देते हैं। यदि भाजपा का कोई नेता इन मुद्दों पर कुछ बोलता है, तो जदयू के अनेक नेता एक साथ उस पर टूट पड़ते हैं। इसके अनेक उदाहरण आपको मिल जाएंगे। आपको ध्यान होगा कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह इन दिनों पश्चिम बंगाल के दौरे पर हैं। उन्होंने सिलिगुड़ी में कहा कि जैसे ही कोरोना की लहर कम होगी वैसे ही सीएए पर काम शुरू हो जाएगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह केंद्र सरकार की प्राथमिकता में है और इसे अवश्य लागू किया जाएगा। उनके इस बयान के बाद बिहार भाजपा के वरिष्ठ नेता और गन्ना मंत्री प्रमोद कुमार ने कहा कि गृहमंत्री अमित शाह ने बिल्कुल सही कहा है और यह मामला देशहित से जुड़ा हुआ है। यह हमारे एजेंडे में भी है। जब गृहमंत्री ने कह दिया तो इसे देश में लागू होना ही चाहिए। हमारा एक ही उद्देश्य है एक भारत, श्रेष्ठ भारत। बिहार में भी इसे लागू होना चाहिए।
उनके इस बयान के तुरंत बाद जदयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने कहा कि बिहार में सीएए को लागू करने का सवाल ही नहीं उठता है, यह हमारे एजेंडे में ही नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि इसके पहले भी बिहार में जब यह मामला उठा था उसी समय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस पर आपत्ति व्यक्त करते हुए विरोध कर दिया था।
ऐसे ही पिछले दिनों बिहार भाजपा ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को देखते हुए उत्तर प्रदेश आदि राज्यों में जिस तरह से मस्जिदों और मंदिरों से लाउडस्पीकर हटाए जा रहे हैं, उसी तरह से बिहार के मंदिरों और मस्जिदों से भी लाउडस्पीकर हटाए जाने चाहिए। इस पर नीतीश कुमार ने कहा कि यह सब फालतू बात है। उन्होंने यह भी नहीं सोचा कि लाउडस्पीकर हटाने का निर्णय भाजपा का नहीं, सर्वोच्च न्यायालय का है। यानी नीतीश कुमार अपने वोट बैंक के लिए सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय को लागू कराना भी फालतू मान रहे हैं।
ऐसे ही नीतीश कुमार और उनकी पार्टी का मानना है कि बिहार में एक भी घुसपैठिया नहीं रहता है, जबकि बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठियों से किशनगंज, पूर्णिया, कटिहार, अररिया जैसे जिलों का जनसांख्यिक संतुलन पूरी तरह बिगड़ चुका है।
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