भारत ज्ञान विज्ञान का ऐसा केंद्र है, जहां सदियों तक अन्य राष्ट्रों के विद्यार्थी अध्ययन के लिए आते रहे। अनेक समुदाय और दर्शनों की शिक्षा भारत में मिलती थी। भारत की ज्ञान परम्परा ही भारत के विश्व गुरु होने का आधार है। शुक्रवार को भोपाल में एकात्म पर्व को संबोधित करते हुए केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने उक्त बातें कहीं।
राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि आदि शंकराचार्य महान दार्शनिक थे। उन्होंने एकता के सूत्र में सभी को बांधने का कार्य किया। वे गुरु की तलाश में हजारों किलोमीटर चलकर मध्यप्रदेश भी आए। शंकराचार्य के अद्वैतवाद को किसी प्रदेश या देश में सीमित नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि आदि शंकराचार्य जिस राज्य (केरल) से यात्रा पर चले थे, उस राज्य का राज्यपाल होने का मुझे सौभाग्य मिला है। आगे उन्होंने कहा कि शंकराचार्य का मनाना था कि सभी मानवता का पाठ पढ़ें। प्रत्येक व्यक्ति साधारण न होकर दिव्य है। दिव्यता का प्रकटिकरण हर क्षेत्र में होना चाहिए।
राज्यपाल ने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने भी बाद में यही दर्शन दिया। शंकराचार्य का मानना था कि एकता हमारी आवश्यकता है। जब से मानवता ने सभ्यता के मार्ग पर चलना प्रारंभ किया है, तब से एकता जरूरी है। दुनिया में कोई अकेला नहीं रह सकता। अपने संबोधन के दौरान उन्होंने विभिन्न वेदों की पंक्तियों और श्लोकों के उदाहरण भी दिए। इस क्रम में उन्होंने कहा कि नैसर्गिक या प्रकृति के कानून में विविधिता को स्वीकार किया गया है। भारत में हजारों वर्ष से इसे स्वीकार किया गया जो दुनिया के कई देशों में सौ-डेढ़ सौ साल से स्वीकार किया जा रहा है।
राज्यपाल आरिफ मोहम्मद ने कहा कि हम सनातन सिद्धांतों पर गर्व करते हैं। हम अपने ऋषियों की बात दुनिया को बता नहीं सके। शंकराचार्य ने देश के विभिन्न स्थानों पर मठ स्थापित किए। उन्होंने वेदों से एक-एक महा वाक्य इन मठों को प्रदान किया। राज्यपाल खान ने कहा कि हर मनुष्य मोक्ष का अधिकारी है, क्योंकि उसमें आत्मा समाहित है। आगे उनका कहना था कि मध्यप्रदेश में आचार्य शंकर प्रकटोत्सव में आकर उन्हें अति प्रसन्नता हुई है। ओंकारेश्वर में आदि शंकराचार्य की प्रतिमा और संस्थान की स्थापना के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बधाई के पात्र हैं।
प्रारंभ में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और अन्य अतिथियों ने आचार्य शंकर सांस्कृतिक एकता न्यास द्वारा कुशाभाऊ ठाकरे सभागार में आचार्य शंकर प्रकटोत्सव “एकात्म पर्व” का शुभारंभ किया। मुख्यमंत्री चौहान ने कार्यक्रम के विशेष अतिथि केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान का स्वागत किया। अद्वैत वेदांत के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले स्वामी प्रणवानन्द सरस्वती, स्वामी वेदतत्वानन्द और अम्बिका दत्त शर्मा को सम्मानित किया गया। अनेक संत और आध्यात्मिक क्षेत्र के ख्यात लोग कार्यक्रम में उपस्थित थे।
आचार्य शंकर की तस्वीर पर माल्यार्पण से कार्यक्रम प्रारंभ हुआ। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एवं आर्ष विद्यामंदिर राजकोट के संस्थापक स्वामी परमात्मानंद जी का भी मुख्य उद्बोधन हुआ। प्रमुख सचिव संस्कृति और पर्यटन एवं न्यासी सचिव शिव शेखर शुक्ला ने बताया कि जगदगुरू आदि शंकराचार्य के अद्वैत वेदांत के व्यापक प्रचार-प्रसार के लिए इस पर्व का आयोजन किया गया है। इसमें देश के विभिन्न क्षेत्रों से छात्र-छात्राएं, युवा, कलाकार, पत्रकार, साहित्यकार, रंगकर्मी और शिक्षाविद आदि ने भी हिस्सेदारी की है। इस दौरान शुक्ला ने ओंकारेश्वर प्रकल्प की प्रगति की भी जानकारी दी।
(सौजन्य सिंडिकेट फीड)
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