केंद्र सरकार ने कहा है कि ट्विटर किसी यूजर का अकाउंट सस्पेंड करने का फैसला तभी कर सकता है जब यूजर के पोस्ट के अधिकांश कंटेंट गैरकानूनी हों। केंद्र सरकार ने ये बात वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े की अपने ट्विटर अकाउंट को सस्पेंड करने के खिलाफ दायर याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट में दाखिल हलफनामे में कही है।
केंद्र सरकार ने हलफनामे में कहा है कि सोशल मीडिया प्लेटफार्म से ये उम्मीद की जाती है कि वो किसी यूजर के अकाउंट के खिलाफ कार्रवाई करने से पहले उसे नोटिस जारी करे। अगर ट्विटर ऐसा नहीं करता है तो ये इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी रूल्स का उल्लंघन होगा। केंद्र सरकार का ये रुख पहले के दाखिल हलफनामे से उलट है।
जनवरी 2020 में केंद्र सरकार ने अपने हलफनामे में कहा था कि प्रथम दृष्टया ये मामला संजय हेगड़े और ट्विटर के बीच का है। केंद्र सरकार ने कहा था कि हेगड़े यह बताने में विफल रहे कि केंद्र सरकार ने अपने किसी संवैधानिक शक्ति का उपयोग नहीं किया।
संजय हेगड़े ने दिसंबर 2019 में याचिका दायर की थी। 6 जनवरी 2020 को कोर्ट ने आईटी मंत्रालय और ट्विटर को नोटिस जारी किया था। संजय हेगड़े ने हाईकोर्ट से मांग की है कि सोशल मीडिया में सेंसरशिप लागू करने का दिशा-निर्देश संविधान की धारा 19 के मुताबिक किया जाए। याचिका में कहा गया है कि ट्विटर ने संजय हेगड़े का अकाउंट 26 अक्टूबर 2019 को सस्पेंड कर दिया था। ट्विटर ने अगस्त 2019 में संजय हेगड़े द्वारा लैंडमेजर नामक इमेज शेयर करने को वैमनस्य फैलाने वाला पाया था। उसके बाद ट्विटर ने टर्म्स ऑफ यूज का उल्लंघन का मामला बताते हुए संजय हेगड़े का ट्विटर अकाउंट सस्पेंड कर दिया था।
हेगड़े का ट्विटर अकाउंट 27 अक्टूबर 2019 को फिर चालू कर दिया गया। जब उनके 26 अक्टूबर 2019 के उस ट्वीट को सीपीआईएमएल नेत्री कविता कृष्णन ने रीट्वीट किया तो ट्विटर ने संजय हेगड़े के अकाउंट को दोबारा सस्पेंड कर दिया। 5 नवंबर 2019 को ट्विटर ने बताया कि संजय हेगड़े का अकाउंट स्थायी रूप से सस्पेंड कर दिया गया है। उसके बाद 7 नवंबर 2019 को हेगड़े ने ट्विटर को लीगल नोटिस भेजा। 12 नवंबर 2019 को ट्विटर ने दोबारा बताया कि उनका अकाउंट चालू नहीं किया जाएगा।
अपने अकाउंट को स्थायी रूप से बंद करने के ट्विटर के जवाब के बाद हेगड़े ने दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया। उन्होंने अपने ट्विटर अकाउंट को बंद करने को संविधान की धारा 19 का उल्लंघन बताया। उन्होंने कहा कि ट्विटर की यह कार्रवाई अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन है।
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