मंगलुरु के निकट एक मस्जिद के नवीनीकरण के दौरान उसके नीचे हिंदू मंदिर की संरचना मिलने पर पुरातत्व जांच की मांग जोर पकड़ रही है। जिला प्रशासन पुराने अभिलेखों की जांच में जुटा
मंगलुरु के निकट गुरुपुर होबली में एक मस्जिद के नवीनीकरण के दौरान मिली हिन्दू मंदिर जैसी संरचना के कारण कर्नाटक पुन: चर्चा के केन्द्र में है। मस्जिद तथा मजार के नीचे अथवा दरगाह परिसर से मंदिरों के अवशेषों का निकलना कोई आश्चर्यजनक तथा नवीन घटना नहीं है। अखण्ड भारत की भौगोलिक परिसीमा में ऐसी अनगिनत घटनाएं यदा-कदा उजागर होती रहती हैं।
मजहबी भावना से ग्रस्त तबके का एक हाथ भारत के सिर एवं गर्दन (कश्मीर) पर है, तो दूसरा टांगों (दक्षिणी भाग) को काटने-छांटने के उपक्रम में सतत लगा हुआ है। मंगलुरु के पास गुरुपुर होबली में मस्जिद के नवीनीकरण के दौरान मिली हिन्दू मंदिर जैसी संरचना की घटना को विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) के कार्यकर्ताओं ने उजागर किया है। केएसआर स्टेशन (बेंगलुरु) के प्लेटफार्म पर बनी मस्जिद की घटना का संज्ञान भी विहिप कार्यकर्ताओं ने ही लिया था।
काफिरों की लूट-खसोट, मारकाट, बलात्कार, बेदखली तथा मंदिरों को तोड़ इबादतगाह बनाकर पैर पसारना इस्लाम की सर्वग्रासी विशेषता है। मंदिरों की संरचनाओं पर बनी मस्जिद तथा दरगाह इस बात का प्रमाण हैं कि सारे प्रमाणों पर लीपापोती करते हुए भी उन्हें जीवित रखना विशेष संदेशसूचक है। परंतु, इधर हिन्दुओं में विकसित हुई प्रतिरोधी संस्कृति के कारण अनेकानेक घटनाओं पर शनै:-शनै: पाबंदी लगने लगी है। यद्यपि आतंक बनाये रखने की दृष्टि से हिन्दू-हितैषियों की हत्याएं जारी हैं।
पुरातत्व जांच की मांग
स्रोतों से प्राप्त जानकारी के अनुसार मंगलुरु के निकट गुरुपारा होबली में मस्जिद के भीतर मंदिर जैसी संरचना पाए जाने के उपरांत विश्व हिन्दू परिषद ने मस्जिद का लाइसेंस रद्द करने और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) से इसकी जांच कराने की मांग की है।
हिन्दू मंदिर जैसी संरचना की घटना को विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) के कार्यकर्ताओं ने उजागर किया है। केएसआर स्टेशन (बेंगलुरु) के प्लेटफार्म पर बनी मस्जिद की घटना का संज्ञान भी विहिप कार्यकर्ताओं ने ही लिया था।
विहिप के संभागीय सचिव (मंगलुरु संभाग) शरण पम्पवेल ने दक्षिण कन्नड़ जिले के जिलाधीश को लिखे पत्र में स्पष्ट किया है कि ‘मंगलुरु में टंका उलीपाडी गांव, गंजीमथा पंचायत के सर्वेक्षण संख्या 1/10 में असैयद अब्दुल्लाह मदनी जुमा मस्जिद के नवीनीकरण के समय मस्जिद को ध्वस्त करने पर एक प्राचीन मंदिर पाया गया था।’ पम्पवेल ने दक्षिण कन्नड़ के जिलाधीश को लिखे पत्र में स्पष्ट किया है कि ‘इमारत के भीतर और बाहर प्राचीन मंदिर को देखा जा सकता है। अत: गंजीमथा ग्राम पंचायत द्वारा जारी मस्जिद नवीनीकरण परमिट को रद्द किया जाए। पुरातत्व विभाग को इसकी जांच कर मंदिर की प्रतिष्ठा के आदेश दिए जाएं।’ जबकि मलाली पेटे-मंगलुरु की जुम्मा मस्जिद के अध्यक्ष मोहम्मद मामू का कहना है कि ‘मस्जिद लगभग 900 वर्ष पुरानी है।’ मीडिया रिपोर्टोें के अनुसार, उन्होंने कहा है कि ‘हमारे पास सारे रिकॉर्ड उपलब्ध हैं।’
इस संबंध में विहिप के स्थानीय कार्यकर्ताओं का कहना है कि ‘इस देश में बांग्लादेशी-रोहिंग्या घुसपैठिये अत्यंत सहजता से घुसपैठ कर पूरे देश में फैल ही नहीं जाते, अपितु अपने नाम से ‘मेरा आधार-मेरी पहचान’ जैसे सारे सरकारी दस्तावेज बना कर स्वयं को भारतीय गणतंत्र का स्वतंत्र नागरिक प्रमाणित कर लेते हैं। वहीं, भू-माफिया अपने शक्ति-प्रदर्शन के आधार पर सारे दस्तावेज यथानुकूल बना लेते हैं। कौन नहीं जानता कि इस्लाम ने भारत में प्रवेश करने के बाद यहां की जनता को कैसे रौंद डाला और तलवार की धार पर कन्वर्जन किया? कन्वर्जन के मामले केवल हिन्दू जनमानस के संबंध में ही नहीं हैं अपितु मंदिरों के कन्वर्जन से भी बहुत आगे जाते हैं।
इधर, जिहाद के अनेक रूपों में जमीन जिहाद के मामले प्रकाश में आ ही रहे हैं। यह शाश्वत एवं प्रमाणित सत्य है कि हमारे मंदिर तथा मंदिर भूमियों को भी कन्वर्ट किया गया है। ऐसी स्थिति में, ऐसे दस्तावेजी प्रमाणों का कूड़ा-करकट भारतीय मंदिरों की उपस्थिति और अस्तित्व को नकार नहीं सकता। हम भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की सहायता से इस रहस्य को जानने-समझने का प्रयास करेंगे। हमारा किसी भी मजहब से विरोध नहीं है, परंतु हमारी धरोहर को बचाना हमारा परम कर्तव्य है। हिन्दुस्थान सबके प्रति सदैव संवेदनशील रहा है। अब समय है कि सभी (हिन्दुओं से इतर) हमारे तथा हमारी भावनाओं के प्रति संवेदनशील बनें।
संवेदनशीलता के संबंध में प्रकट किया गया यह विचार विहिप तथा हिन्दू जन-मन की सदाशयता को सहज ही दर्शाता है। स्पष्ट है कि विहिप जैसे हिन्दूचेता संगठन सौहार्द की भावना बनाए रखते हुए भारत में स्थिरता लाने हेतु प्रयासरत हैं। वहीं, विहिप कार्यकर्ता द्वारा अभिलेखों के संबंध में कही गयी बात से हिन्दुओं में दस्तावेजी प्रमाणों के संबंध में आयी जागरूकता का दर्शन होता है। अब लोग जानने-समझने लगे हैं कि ऐसे दस्तावेज बनाना अतिसहज कार्य है।
प्राप्त रिपोर्ट के आधार पर संबंधित मामले में उपायुक्त के.वी. राजेंद्र ने कहा है कि ‘जिला प्रशासन पुराने भू-अभिलेख और स्वामित्व विवरण संबंधी प्रविष्टियों की जांच कर रहा है। हम बंदोबस्ती विभाग तथा वक्फ बोर्ड से भी रिपोर्ट लेंगे। हम दावे की सत्यता की जांच करेंगे और यथाशीघ्र उचित निर्णय लेंगे।’
हिंदू देवस्थानों का गढ़ है इलाका
गुरुपुर और इसके निकटवर्ती क्षेत्र में कई प्राचीन हिन्दू देवस्थान हैं। उनमें श्री नीलकांतेश्वर मंदिर, श्री अग्निदुर्ग गोपालकृष्ण महाकाल भैरव मंदिर, श्री क्षेत्र राजराजेश्वरी मंदिर – पोलाली, सदाशिव मंदिर, सोमनाथ मंदिर, वेंकटरमण मंदिर, अन्नपूर्णेश्वरी मंदिर, नरसिम्हा मंदिर, सत्यदेवता मंदिर इत्यादि की प्रसिद्धि आज भी उस क्षेत्र को जीवंत बनाए हुए है।
उपलब्ध जानकारियों के अनुसार उल्लेखनीय है कि प्राय: हजार वर्ष पूर्व उत्तर भारत से नाथ पंथी संत गुरुपुर होबली में आकर बस गए थे। इनमें से कुछ मंदिरों के विकास में नाथ पंथियों का योगदान है। स्पष्ट है कि इस क्षेत्र में हिन्दुओं की जड़ें अत्यंत गहरी हैं। ऐसे में, जीर्णोद्धार की जाने वाली मस्जिद का प्राय: ‘900 वर्ष पुराना’ होना संदेहास्पद ही प्रतीत होता है। जिहाद के अनेक रूपों में अतिक्रमण भी एक विशेष रूप है। अत: मामले की संदिग्धता से ऐसा प्रतीत होता है कि यह अतिक्रमण का मामला भी हो सकता है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि ‘मस्जिद से झांकते हुए मंदिर’ पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की क्या राय होगी।
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