जहांगीरपुरी हिंसा मामले में दिल्ली पुलिस ने पश्चिम बंगाल पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए हैं। खबरों के अनुसार दिल्ली पुलिस के अधिकारियों ने हिंसा में शामिल लोगों को गिरफ्तार करने में देरी के लिए बंगाल पुलिस के अधिकारियों को दोषी ठहराया है और कहा है कि राज्य में छिपे छह मुख्य आरोपी इसी वजह से गिरफ्तारी से बचने में कामयाब रहे हैं।
गौरतलब है कि हनुमान जन्मोत्सव पर जहांगीरपुरी में शोभा यात्रा निकाली जा रही थी। इस दौरान जिहादियों ने यात्रा को निशाना बनाया और जमकर उत्पात काटा था। बाद में जब दिल्ली पुलिस ने कार्रवाई शुरू की तो इसके तार पश्चिम बंगाल से जुड़ते मिले। इसके बाद दिल्ली पुलिस के अधिकारियों की एक टीम अपराधियों को पकड़ने पश्चिम बंगाल के अलग—अलग हिस्सों में गई, जहां से कुछ अपराधियों को गिरफ्तार भी किया गया। लेकिन इस दौरान बंगाल पुलिस से पर्याप्त सहयोग नहीं दिया।
खबरों के अनुसार दिल्ली पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि जब भी किसी अपराधी की हमें लोकेशन की जानकारी मिलती है, तो उसे पकड़ने के लिए स्थानीय पुलिस को सहयोग के लिए सूचित ही करना पड़ता है। क्योंकि बाहर की पुलिस को उस इलाके के बारे में बहुत ज्यादा पता नहीं होता है। बिना सहयोग लिए किसी भी आपरेशन को अंजाम देना बड़ा खतरा भी खड़ा कर सकता है। ऐसे में स्थानीय पुलिस को सूचित ही करना पड़ता है। लेकिन इस पूरे फेर और मंजूरी में इतना समय बीत चुका होता है कि अधिकतर अपराधी चकमा देकर फरार हो जाते हैं।
बहरहाल, हिंसा के सिलसिले में अब तक कुल 32 आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है, जिनमें हिंसा का मुख्य आरोपी अंसार शेख और सोनू शेख भी शामिल है। साथ ही दिल्ली पुलिस ने बंगाल के विभिन्न इलाकों में छापेमारी करके मुख्य आरोपी फरीद को भी गिरफ्तार किया है। पुलिस का कहना है कि जो अपराधी नहीं पकड़े गए हैं, उन्हें डिजिटल रूप से ट्रैक किया जा रहा है और जल्द ही पकड़ लिया जाएगा।
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