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71 साल बाद केदारनाथ के लिए तेल कलश यात्रा दोबारा शुरू, भैरव मंदिर में हुआ स्वागत

2 मई को सैकड़ों श्रद्धालुओं की उपस्थिति में यह कलश यात्रा गुप्तकाशी स्थित विश्वनाथ के मंदिर में पहुंचेगी, जहां से बाबा केदारनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली के साथ-साथ यह कलश भी केदारनाथ धाम पहुंचेगा।

by उत्तराखंड ब्यूरो
May 1, 2022, 04:17 pm IST
in भारत, उत्तराखंड, धर्म-संस्कृति
तेल कलश यात्रा

तेल कलश यात्रा

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विपिन सेमवाल/दिनेश मानसेरा

पंच पंडा रुद्रपुर की अगुवाई में रुद्रपुर के भैरवनाथ मंदिर में भगवान केदारनाथ धाम के लिए जाने वाले तेल घड़ा कलश यात्रा को लेकर श्रद्धालुओं में खासा उत्साह रहा। हक हकूकधारी सांकरी गांव से तेल कलश को सिर में सम्मान पूर्वक रखकर पैदल यात्रा निकालकर रुद्रपुर भैरवनाथ मंदिर पहुंचाया गया। वर्ष 1952 के बाद यह पहला ऐतिहासिक पल रहा, जब भगवान केदारनाथ की अखंड ज्योति को जलाने के लिए सांकरी गांव से तेल कलश यात्रा रुद्रपुर पहुंची।

2 मई को सैकड़ों श्रद्धालुओं की उपस्थिति में यह कलश यात्रा गुप्तकाशी स्थित विश्वनाथ के मंदिर में पहुंचेगी, जहां से बाबा केदारनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली के साथ-साथ यह कलश भी केदारनाथ धाम पहुंचेगा। इसी तेल से बाबा केदारनाथ जी की अखंड ज्योति जलाई जाएगी। स्थानीय लोगों की मानें तो यह परिपाटी वर्ष 1952 तक जारी रही। तत्कालीन विषम भौगोलिक परिस्थितियों के चलते इस तेल कलश यात्रा को विराम दिया गया। बाबा केदार के भक्तों ने जब पौराणिक अभिलेख खंगाले, तो उन्हें ज्ञात हुआ कि पूर्व में बदरीनाथ धाम की भांति केदारनाथ के लिए भी तेल कलश यात्रा निकलती थी, लेकिन विपरीत और प्रतिकूल परिस्थितियों के बाद इस प्रथा का चलन पूर्णता बंद हो गया था।

बताया जाता है कि राऊ लेंक, खोनू और सांकरी गांव के ग्रामीणों द्वारा अपने घर में उत्पादित सरसों का तेल निकालकर एकत्रित किया जाता था, जिसे एक बड़े कलश में रखकर उसे बाबा केदार की चल विग्रह उत्सव डोली की अगुवाई में केदारधाम पहुंचाया जाता था। वेद पाठी ओंकार शुक्ला ने कहा कि क्षेत्रीय लोगों के लिए खुशी की बात है कि पुरानी परंपराओं को पुनर्जीवित करने के लिए लोगों में खासा उत्साह देखने को मिल रहा है। उन्होंने बताया कि बुजुर्गों के अनुसार केदारनाथ धाम तक पूर्व में भी इस तरह की तेल कलश यात्रा निकाली जाती थी, जो प्रतिकूल परिस्थितियों के बाद बंद कर दी गई थी। अब पुनः श्रद्धालुओं के जागरूक होने से यह परिपाटी दोबारा चलन में आ गई है। उन्होंने बताया कि आने वाले समय में तेल घड़ा कलश यात्रा को भव्यता प्रदान की जाएगी।

कलश की परंपरागत पूजा-अर्चना करके भैरवनाथ मंदिर में रात्रि भर जागरण होगा और 2 मई को सैकड़ों भक्तों की जयकारों के बीच इस कलश को भगवान विश्वनाथ मंदिर पहुंचाया जाएगा, जहां से बाबा केदार की उत्सव डोली के साथ यह कलश यात्रा केदारधाम तक पहुंचेगी। इस दौरान अनित शुक्ला, अरविंद, गणेश, रेखा देवी, सहित सैकड़ों भक्त मौजूद रहे।

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