झारखंड में विवादित बयानों का दौर जारी है। एक तरफ तो झारखंड के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री हफीजुल हसन अंसारी बहुसंख्यक हिंदुओं को धमकाने की बात करते हैं, वहीं दूसरी ओर राज्य के श्रम कल्याण मंत्री सत्यानंद भोक्ता कहते हैं, ”देश में अगर बिजली या महंगाई का मुद्दा नहीं होगा तो राजनीति कहां से होगी?”
इधर कुछ दिनों से संवैधानिक पदों पर रहते हुए कुछ मुस्लिम नेता या नौकरशाह ऐसे बयान देने लगे हैं, जिन्हें मजहबी उन्माद के दायरे में रखा जा सकता है। ऐसे लोग हर जगह हैं। उदाहरण के लिए झारखंड सरकार में अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री का दायित्व संभाल रहे हफीजुल हसन अंसारी को ले सकते हैं। दो दिन पहले हसन ने एक इफ्तार पार्टी के दौरान दिल्ली के जहांगीरपुरी में अतिक्रमण पर हुई कार्रवाई के संबंध में प्रतिक्रिया देते करते हुए कहा, ”अगर हमारे 20% घर बंद होंगे तो आपके 80% घरों का भी वही हाल होगा।” हफीजुल हसन यह कहना चाहते हैं कि भारत में मुस्लिमों की आबादी 20% है और हिंदुओं की आबादी 80% है। अगर मुस्लिमों पर कोई आंच आएगी तो हिंदुओं के घर भी नहीं बचेंगे।
बता दें कि गढ़वा स्थित बालिका मध्य विद्यालय के मैदान में इफ्तार पार्टी का आयोजन किया गया था। यह कार्यक्रम हिंदू—मुस्लिम समन्वय समिति द्वारा आयोजित हुआ था। इसमें झारखंड के पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री मिथिलेश कुमार ठाकुर भी थे। इफ्तार पार्टी के बाद कुछ पत्रकारों ने हफीजुल हसन से कुछ सवाल किए तो उन्होंने इस तरह का बयान दिया। उन्होंने इस बात का भी ध्यान नहीं रखा कि इफ्तार पार्टी के आयोजन में हिंदू भी शामिल थे।
हसन के इस धमकी भरे बयान की निंदा भाजपा समेत कई राजनीतिक दलों के नेताओं ने की है। पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के अनुसार संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति को यह शोभा नहीं देता कि वह किसी तरह की भड़काऊ बयानबाजी करे। इस तरह के बयान से मजहबी उन्माद पैदा होता है और आपसी भाईचारा खराब होता है। उन्होंने यह भी कहा कि जिस तरह से सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने का प्रयास झारखंड सरकार के एक मंत्री द्वारा किया गया है इसके लिए उन पर धारा 153 ए लगाकर जेल भेज देना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मांग की कि वे हफीजुल हसन को मंत्री पद से बर्खास्त करें। इस बयान के बाद 29 अप्रैल को हफीजुल हसन अंसारी के खिलाफ जमशेदपुर के साकची थाने में भाजपा नेता देवेंद्र सिंह ने मामला दर्ज कराया है।
दूसरी ओर झारखंड के श्रम मंत्री सत्यानंद भोक्ता से राज्य में बिजली कटौती को लेकर जब पत्रकारों ने सवाल किया तो उन्होंने यह कहा कि अगर बिजली और महंगाई नहीं होगी तो लोग आंदोलन कैसे करेंगे और राजनीति कैसे होगी?
इन बड़बोले नेताओं के कारण झारखंड सरकार की बड़ी बेइज्जती हो रही है। उम्मीद है कि राज्य सरकार ऐसे नेताओं की लगाम कसेगी।
दस वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। राजनीति, सामाजिक और सम-सामायिक मुद्दों पर पैनी नजर। कर्मभूमि झारखंड।
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