गत दिनों भोपाल में डॉ. देवेंद्र दीपक रचित सुप्रसिद्ध काव्य-नाटक ‘सुषेण पर्व’ का मंचन किया गया। त्रेतायुग के प्रसिद्ध वैद्य सुषेण पर आधारित इस काव्य-नाटक में चिकित्सक की व्यावसायिक नैतिक शुचिता के दर्शन होते हैं।
वैद्य के अंतस में वनस्पतियों, वनदेवी से लेकर रोगी तक कृतज्ञता का भाव रखने तथा लोभ, लालच, आत्मप्रशंसा से दूर रहने की सीख, वैद्य सुषेण के चरित्र के माध्यम से दी गई है। रामकथा के महत्वपूर्ण, किन्तु अलक्षित पात्र सुषेण के जीवन के अनेक अनबूझे और अनकहे पहलू इस नाटक में समाहित हैं।
रावण के ‘राजवैद्य’ सुषेण का राम द्वारा ‘वैद्यराज’ के रूप में अंलकृत होना इस नाटक के कथा-पट का महत्वपूर्ण पक्ष है।
अर्घ्य कला समिति भोपाल के कलाकारों द्वारा मंचित इस नाटक का निर्देशन वैशाली गुप्ता ने किया। कलाकारों ने अपने प्रतिभापूर्ण अभिनय से चरित्रों को जीवंत कर दिया।
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