पीएम मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट है, कह कर उत्तराखंड के दो आईएफएस अधिकारियों ने जो भ्र्ष्टाचार का खेल खेला उससे पीएमओ नाराज हुआ है और उत्तराखंड सरकार ने इन दोनों आईएफएस को सस्पेंड भी कर दिया साथ ही कॉर्बेट पार्क के निदेशक को मुख्यालय से सम्बद्ध कर दिया है।
कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में कालागढ़ के पाखरो रेंज में भी पर्यटक गतिविधियों को शुरू करवाया जाएगा ऐसी योजना पर वहां विकास कार्य शुरू करवा दिए गए, यहां जंगल सफारी के लिए 163 पेड़ काटे जाने थे और वन विश्राम गृह की मरम्मत कर उसे पर्यटको के रहने के लायक बनाया जाना था। किंतु यहां एनटीसीए की अनुमति से ज्यादा पेड़ काट दिए गए और वन विश्राम गृह के साथ मे कंक्रीट की एक बड़ी इमारत खड़ी कर दी गयी। जिसपर राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए)ने एतराज किया और यहाँ आये जांच दल ने इस पर कठोर कारवाई की संस्तुति की।
दरअसल देश मे जितने भी टाइगर रिज़र्व है वहां किसी भी विकास कार्य या पर्यटन गतिविधियों के चलाने के लिए एनटीसीए की अनुमति और उनकी गाइडलाइंस का पालन करना आवश्यक होता है।
इस मामले में एक और विषय सामने आया कि बिना अनुमति के पेड़ काटने के साथ साथ इस सारे प्रोजेक्ट की कोई वित्तीय स्वीकृति भी नही ली गयी। एनटीसीए की जब रिपोर्ट में ये मामले संज्ञान में आये तो कॉर्बेट प्रशासन और पाखरो रेंज के अफसरों को ये लगने लगा कि वो फंस गए है तो उन्होंने अपने आप को बचाने के लिए ये भ्रामक प्रचार करना शुरू कर दिया कि “ये पीएम मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट है”। जबकि ऐसा कहीं भी दर्ज नही था जब इसकी जानकारी,मीडिया के जरिये पीएमओ तक पहुंची तो वहां के अधिकारियों ने उत्तराखंड सरकार से नाराजगी जाहिर की और इस पर रिपोर्ट देने को कहा।
पीएमओ के सख्त तेवर देख उत्तराखंड सरकार ने सबसे पहले वन महकम्मे के मुखिया राजीव भरतरी को पद से हटाया, उसके बाद मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक जे एस सुहाग और डीएफओ पाखरो किशन चंद का भी स्थानान्तरण कर दिया और इस पर विभागीय जांच बिठा दी गयी।
उधर सरकार ने मुख्य आरोपी डीएफओ किशन चंद के खिलाफ पुलिस की विजलेंस की जांच भी शुरू करवा दी। जिसमे उन्हें आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का आरोपी पाया गया है। अपने को फंसता देख, आईएफएस किशन चंद ने सरकार को अर्जी देकर वीआरएस लेने की बात कही। सरकार ने अर्जी खारिज कर दी। दो दिन बाद वन सचिव आर के सुधांशु के आदेश पर उन्हें और जे एस सुहाग को सस्पेंड कर दिया गया।
साथ ही कॉर्बेट के निदेश राहुल को भी वन मुख्यालय से सम्बद्ध कर दिया गया।
ये भी सवाल उठ रहा है कि पहले से ही भ्र्ष्टाचार के आरोपो में घिरे किशन चंद को पाखरो जैसे अति संवेदनशील वन क्षेत्र में क्यों तैनात किया गया ? इसी वजह से वन विभाग के मुखिया रहे राजीव भरतरी भी संदेह के घेरे में आगये। उन्हें पहले से ही हटाया जा चुका था।
वन विभाग के चीफ रह चुके राजीव भरतरी अपने स्थानांतरण के खिलाफ नैनीताल हाई कोर्ट पहुंचे वहां से भी उन्हें कोई राहत नही मिली।
उधर कालागढ़ से पाखरो रेंज मे पर्यटक गतिविधियां भी इस प्रकरण की वजह से शुरू नही हो पायी है और इसके पीछे बड़ी वजह एनटीसीए है जोकि इस प्रकरण पर दोषियों के खिलाफ और सख्त कारवाई चाहता है। एनटीसीए की क्लीन चिट के बाद ही यहां पर्यटको का जाना संभव हो पायेगा।
वन मंत्री सुबोध उनियाल का बयान
कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के पाखरो रेंज में भ्रष्टाचार हुआ है ये मामला संज्ञान में आने पर जांच हुई और उसके बाद जिम्मेदार आईएफएस अफसरों के खिलाफ कारवाई की गई है दो सस्पेंड हुए है एक को अटैच किया गया है अभी और भी इस प्रकरण पर कारवाई की जा रही है। पीएमओ भी इस मामले में नाराजगी जाहिर कर चुका है।
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