पिछले दिनों जम्मू के सुंजवां मुठभेड़ में ढेर किए गए जैश—ए—मोहम्मद के दोनों आतंकी सांबा जिले से सब्जी लदे ट्रक में लाए गए थे। अब पड़ताल में यह निकलकर सामने आ रहा है कि ये अफगानी थे। हालांकि इस बात की पुष्टि होनी अभी बाकी हैं।खबरों के अनुसार इन आतंकियों को पहले जम्मू में सुंजवां के जलालाबाद किराए के कमान में ठहराया गया और फिर यहां से टारगेट बताकर दो मोबाइल फोन और हथियार उपलब्ध करवाए गए। अभी तक जो सुबूत मिले हैं, उनके आधार पर पुलिस ने इस साजिश में शामिल त्राल पुलवामा के दो भाइयों समेत चार को चिह्नित किया है। दो गिरफ्तार कर लिए गए हैं, जबकि कुछ फरार हैं।
टेलीग्राम के जरिए आए संपर्क में
सुंजवां मुठभेड़ को लेकर अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक मुकेश सिंह ने बताया कि त्राल के रहने वाले दो भाई शफीक अहमद और आसिफ अहमद नरवाल में अखरोट प्रसंस्करण कारखाने में काम करते हैं। यह इलाका सुंजवां से सटा हुआ है। दोनों भाई टेलीग्राम के जरिए जैश-ए-मोहम्मद के सरगना के संपर्क में आए। इसी तरह दमहाल हांजीपोरा के निवासी इकबाल और कोकरनाग निवासी बिलाल अहमद वागे भी जैश सरगना वीर के संपर्क में थे। यह सभी मोबाइल एप पर बनाए गए पागल जमात नाम के ग्रुप से जुड़े थे। जैश सरगना ने बिलाल वागे और शफीक को बताया कि उन्हें बड़े हमले के लिए जैश के फिदायीन जम्मू पहुंचाने हैं। इसके बाद आतंकी आकाओं के इशारों पर बिलाल वागे ने सब्जियों से लदे ट्रक में आतंकियों को सांबा से चढ़ाया और सुंजवां में जलालाबाद तक पहुंचा दिया। फिदायीन 20 अप्रैल को जलालाबाद पहुंच गए थे, जिसके बाद उन्हें मोबाइल फोन व अन्य सामान दिया गया।
उल्लेखनीय है कि एनआईए प्रमुख व केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के महानिदेशक कुलदीप सिंह ने भी सुंजवां इलाके का दौरा किया और हालात को परखा। इस दौरान सीआरपीएफ 38 बटालियन के कमांडेंट धीरेंद्र वर्मा ने घटनाक्रम तथा उसके बाद उठाए गए कदमों की जानकारी दी। बता दें कि सुंजवां में हुई मुठभेड़ में सीआईएसएफ के एक अधिकारी का बलिदान हो गया था जबकि 10 अन्य जवान घायल हुए हैं।
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