देहरादून में पाञ्चजन्य के ‘देहरादून संवाद’ कार्यक्रम में राज्य की समस्याओं पर प्रबुद्धजनों ने अपने-अपने विचार रखे। उत्तराखंड में बढ़ती मुस्लिम आबादी, खास तौर पर रोहिंग्या और बांग्लादेशी लोगों की घुसपैठ पर चिंता प्रकट की गई।
बीजापुर सभागार में आयोजित ‘देहरादून संवाद’ कार्यक्रम में ‘खुले मंच’ के सत्र में समाजसेवी अनूप नौटियाल ने पिछले विधानसभा चुनाव की वोटरलिस्ट के आधार पर आंकड़े प्रस्तुत करते हुए जानकारी दी कि किन-किन विधानसभा सीटों पर पिछले 5 से 10 सालों में नए मतदाताओं की संख्या 30 से लेकर 40 प्रतिशत तक बढ़ गयी है और उनमें ज्यादातर मुस्लिम वोटर हैं। उन्होंने चेताया कि आने वाले स्थानीय निकाय चुनाव के दौरान उत्तराखंड में नए मतदाता और हो जाएंगे और यह जनसंख्या असंतुलन को और बढ़ाएंगे।
स्किल डेवलपमेंट के प्रशिक्षण से रुकेगा पलायन
पलायन विषय पर बोलते हुए रतन सिंह असवाल ने कहा कि केवल सड़कें बनाने से पहाड़ का पलायन नहीं रुकने वाला। स्थानीय लोगों में स्किल डेवलपमेंट के लिए प्रशिक्षण की जरूरत है, ताकि युवा यहीं रह कर अपना काम करें। उन्होंने कहा कि हम पहाड़ छोड़ रहे हैं और बिजनौर, नजीबाबाद, सहारनपुर के मुस्लिम वहां जाकर बस रहे हैं और हमारी देवभूमि की संस्कृति को प्रभावित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऋषिकेश से लेकर चमोली तक सड़क किनारे मुसलमान बस गए हैं।
उत्तराखंड की सबसे बड़ी समस्या
पत्रकार अनुपम त्रिवेदी ने कहा कि जनसंख्या असंतुलन एक बड़ी समस्या उत्तराखंड के लिए बन गई है। सरकार ने सत्यापन अभियान को शुरू तो किया है, लेकिन उसका आधार क्या है? यह जानकारी नहीं है और उसकी गंभीरता कितनी है? ये भी सवाल है। श्री त्रिवेदी ने ये भी कहा कि हिन्दू समुदाय ने बहुत से अपने पुश्तैनी काम छोड़ दिये हैं, जिसे ये लोग अपना रहे हैं और इसी वजह से इनकी यहां बसावट होती जा रही है।
चार धाम में गैर हिन्दुओं के प्रवेश पर लगे रोक
आकाशवाणी के समाचार प्रमुख राघवेश पांडेय ने कहा कि पिछले 10 सालों में उत्तराखंड के मैदानी जिलों का सामाजिक स्वरूप बदल गया है और यह समस्या अब पहाड़ों के जिलों में भी बढ़ती जा रही है। समाजसेवी डॉ. कुलदीप दत्ता ने कहा कि हिन्दू तीर्थस्थानों, हरिद्वार, ऋषिकेश, चारधामों में गैर हिन्दू लोगों के प्रवेश पर जब अंग्रेज प्रतिबंध लगा सकते थे तो हिन्दू सरकार क्यों नहीं लगा सकती? विश्व संवाद केंद्र के हिमांशु अग्रवाल ने कहा कि असम के बाद उत्तराखंड में मुस्लिम आबादी का बढ़ना सीमांत राज्य में आंतरिक सुरक्षा की दृष्टि से चिंता जनक है। पत्रकार ब्लॉगर अखिलेश डिमरी ने जनसंख्या असंतुलन के लिए सरकार की नीतियों को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि उत्तराखंड बने 21 साल हो गए, हम पहाड़ों में स्कूल अस्पताल नहीं खोल पाए और जो खुले थे वो खंडहर हो गए। इस वजह से मूल पहाड़ी लोग पहाड़ छोड़ गए और अब वहां मुस्लिम बस रहे हैं। लेखिका वीनू ढींगरा ने कहा कि उत्तराखंड में महिलाओं के लिए सरकार ने कभी गंभीरता नहीं दिखाई। उन्होंने कहा कि पहाड़ों में पर्यावरण संतुलन की भी जरूरत है।
भ्रष्टाचार की वजह से कर्ज में डूबा पंजाब
राष्ट्रीय सिख संगत के गुरदीप सिंह सहोता ने कहा कि पंजाब की राजनीति अब स्थानीय राजनीतिज्ञ नहीं कंट्रोल कर रहे, बल्कि बाहर मुल्कों में बैठे पूंजीपति कर रहे हैं। सामाजिक परिवर्तन यह भी है कि बाहर मुल्कों से पैसा आ रहा है और यहां का युवा उसका उपयोग गलत कामों में करने लगा है। नशा खोरी पंजाब की सबसे बड़ी सामाजिक समस्या है। उन्होंने कहा कि आर्थिक रूप से सबसे सम्पन्न राज्य क्यों चार लाख करोड़ के कर्जे में डूब गया? इसके पीछे कांग्रेस अकालियों का पंजाब में किया भ्रष्टाचार है। यही वजह है कि वहां आम आदमी पार्टी ने पैर जमा लिए। उत्तराखंड पर सिख समस्या पर बोलते हुए सहोता ने कहा कि अल्पसंख्यक योजनाओं में यहां की सरकार की संस्थाओं में सिखों का प्रतिनिधित्व नहीं होता, इसलिए वो अपने आप को उपेक्षित महसूस करते हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े कुलदीप ने कहा कि हिन्दू समाज के पिछड़े तबके को हम ऐसे कामों से जोड़े, जिन्हें हम अगड़े समाज के लोग अपनाने में अब संकोच करते हैं। इससे रोजगार बढ़ेगा और सामाजिक समरसता भी बढ़ेगी। विसके से जुड़ी रीता गोयल ने इस बात के लिए सावधान किया कि मुस्लिम लड़के महिलाएं नाम बदलकर आपके घरों में काम कर रहे हैं उन पर नजर रखी जाए। साथ ही उन्होंने ये सवाल भी उठाया कि सत्यापन का आधार क्या है?
जनसंख्या असंतुलन राज्य का सबसे ज्वलंत मुद्दा
कार्यक्रम के समापन पर बोलते हुए पाञ्चजन्य के संपादक हितेश शंकर ने कहा कि यह संवाद बेहद शानदार रहा। उत्तराखंड के कई मुद्दे सामने आए। खास तौर पर जनसंख्या असंतुलन के विषय राज्य का सबसे ज्वलंत मुद्दा बन रहा है। उन्होंने कहा कि अब हमें एक वर्ग विशेष जैसे शब्दों से परहेज करके खुलकर ये बात कहने का साहस होना चाहिए मुस्लिम ऐसा कर रहे है या ईसाई ऐसा कर रहे हैं और यह साहस पाञ्चजन्य दिखाता रहा है। उन्होंने कहा कि पाञ्चजन्य हमेशा सामाजिक परिवर्तन के विषयों को अपने यहां देता रहा है और आगे भी देता रहेगा। उन्होंने आश्वस्त किया कि इस तरह के संवाद जारी रहेंगे। हम देहरादून में एक ‘पाञ्चजन्य हिस्ट्री क्लब’ की परिकल्पना को साकार करना चाहते हैं, ताकि हम उत्तराखंड के स्थानीय नायकों को अपने माध्यम से उभार सकें।
इस अवसर पर विश्व संवाद केंद्र के राज कुमार टोंक, एसआर जोशी, परितोष सेठ, पूरन कापड़ी, रमेश नौटियाल आदि उपस्थित रहे।
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