अब खादी सिर्फ कपड़ों तक ही सीमित नहीं रहेगी. खादी के कपड़ों के जरिए जूते, बैग, फैंसी पर्स आदि भी तैयार किए जाएंगे. खादी के कपड़ों को आकर्षक लुक दिया जाएगा. योगी सरकार देश के मशहूर फ़ैशन डिजाइनरों और इससे संबंधित संस्थाओं की मदद लेगी.
इसके लिए सूत की गुणवत्ता बेहतर करने के लिए खादी उत्पादन केंद्रों की तकनीक को आधुनिक बनाया जाएगा. बड़े पैमाने पर सोलर चरखों का भी वितरण किया जाएगा. जिन लोगों को ये चरखे दिए जाएंगे उनको इसे चलाने का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा. कुल मिलाकर अगले पांच साल में विभाग ने 5 हजार सोलर चरखों के वितरण का ल्क्ष्य रखा है. इससे धागों की गुणवत्ता तो सुधरेगी ही उत्पादन भी बढ़ जाएगा.
खादी के 14 सरकारी केंद्रों पर पुराने लूम की जगह नए सोलर लूम लगाए जाएंगे. सरकार ने अगले पांच साल के लिए कार्य योजना भी तैयार की है. पिछले दिनों अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास सेक्टर के प्रस्तुतिकरण के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस कार्ययोजना को देखा और जरूरी निर्देश भी दिए.
कार्ययोजना के मुताबिक़ पंडित दीनदयाल खादी विपणन विकास सहायता योजना (एमडीए) के अंतर्गत अगले पांच वर्षों में 25 हजार कत्तीनों एवं बुनकरों को लाभान्वित किया जाएगा. अनुमान है कि सरकार के इन प्रयासों से खादी की मांग बढ़ेगी. मांग बढ़ाने के लिए खादी को फैशन के अनुरूप बनाने, रेंज बढ़ाने के साथ सरकार मार्केटिंग पर भी जोर देगी. इस क्रम में खादी एवं ग्रामोद्योग के उत्पादों को ई-कॉमर्स प्लेटफार्म से जोड़ा जाएगा.
अपर मुख्य सचिव खादी एवं ग्रामोद्योग, नवनीत सहगल ने बताया कि खादी एवं ग्रामोद्योग संभावनाओं का क्षेत्र है. इकोफ्रेंडली होने के साथ न्यूनतम संरचना,कम पूंजी और कम जोखिम में इससे जुड़े उद्योग को लगाया जा सकता है. पूंजी के अनुपात में स्थानीय स्तर पर यह सर्वाधिक रोजगार देने वाला क्षेत्र है. सूत बनाने का काम अधिकांश महिलाएं करती हैं. लिहाजा उनको स्वावलंबी बनाकर यह मिशन शक्ति में भी मददगार है
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