पहाड़ों के होटल, रेस्तरां और टूर ट्रैवल्स कारोबार पर धीरे-धीरे मुस्लिम समुदाय काबिज होने लगा है। मुस्लिम कारोबारी महंगी लीज पर होटल, रेस्तरां ले रहे हैं। बीते कुछ समय से मुस्लिम युवाओं ने मोबाइल के बाजार पर अपना कब्जा कर लिया है।
उत्तराखंड में पहाड़ों के पर्यटक स्थलों पर एकाएक मुस्लिम कारोबारियों ने पैर जमाने शुरू कर दिए हैं। मिली जानकारी के अनुसार दिल्ली, रामपुर, लखनऊ के मुस्लिम कारोबारी महंगी लीज पर होटल और रेस्तरां ले रहे हैं और फिर यहां से अपना धंधा चला रहे हैं। नैनीतालं रानीखेत, कॉर्बेट, मसूरी, धनोल्टी, चार धाम यात्रा मार्ग क्षेत्र में बड़ी संख्या में ऐसे होटल, रिसोर्ट, रेस्तरां मिल जाएंगे, जिनके मालिक हिन्दू हैं, लेकिन उन्हें किराये पर चला मुस्लिम रहे हैं। दिलचस्प बात ये है कि यहां पहले स्टाफ में पहाड़ के युवा होते थे। वहीं, अब उनकी जगह मुस्लिम युवकों ने ले ली है और यदि आप उनसे नाम पूछेंगे तो वो अपना असली नाम नहीं बताएंगे, बल्कि राजू, विक्की, भोला, अमन, जैसे नाम बताएंगे। इन युवकों के हाथों में कलावा बंधा हुआ मिलेगा।
जानकारी के अनुसार मुस्लिम युवकों ने टूर ट्रैवल कारोबार पर भी अपना कब्जा जमा लिया है। टूरिस्ट बसें, टैक्सी कैब, जीप आदि के मालिक नहीं तो ड्राइवर यही मिलेंगे। यहां तक कि पहाड़ों में पर्यटकों के लिए आयोजित साहसिक स्पोर्ट्स में भी इनका दबदबा होने लगा है। जिम कॉर्बेट पार्क, नैनीताल, हरिद्वार, ऋषिकेश के टूर ट्रैवल ऑपरेटर कारोबार भी मुस्लिम समुदाय द्वारा कब्जा लिया गया है।
हाल ही में एक और सर्वे रिपोर्ट सामने आई कि पर्यटन स्थलों की तरफ जाने वाले राष्ट्रीय राज मार्गो पर हिन्दू नाम के रेस्तरां और ढाबे भी मुस्लिम चला रहे हैं। पहाड़ों के मार्ग में सड़क किनारे अवैध रूप से फड़ लगाकर मैगी पॉइंट, जलजीरा, नारियल पानी, फल बेचने वाले कौन लोग हैं? सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक ये मुस्लिम समुदाय से हैं और इनकी बोली यूपी के मुसलमानों से अलग है, तो क्या रोहिंग्या हैं?
पहाड़ों में मंदिरों के किनारे भी ये काबिज होकर खोके डाल ले रहे हैं और अपना छुटपुट कारोबार करते हुए, वहीं घर बसा ले रहे हैं। आज़ादी के बाद नैनीताल में गिने चुने मुस्लिम परिवार थे और अब जुमे और खासतौर पर ईद की नमाज के वक्त हज़ारों की संख्या में मुस्लिम दिखाई देते हैं, आखिर ये कैसे और कब यहां आकर बस गए? ये सवाल भी अब उठने लगे हैं। चिंता करने वाली बात ये है कि पहाड़ों में जमीन सस्ती है और ये लोग स्थानीय लोगों के साथ घुलमिल कर अपने आशियाने बना ले रहे हैं। बहरहाल उत्तराखंड में हिन्दू तीर्थ स्थलों में गैर हिदुओं के प्रवेश पर पाबंदी की मांग मुखर होने लगी है। यदि ऐसा हो भी गया तो भी इन पर्यटन स्थलों से उनको कैसा हटाया जाएगा? होटल, रिसोर्ट, रेस्तरां स्वामी, महंगे किराये की लालच में यहां सामाजिक समस्या खुद ही पैदा कर रहे हैं। जिसे उन्हें खुद ही सुलझाना होगा।
मोबाइल बाजार पर कब्जा
उत्तराखंड में किसी भी शहर, कस्बे या गांव में कोई भी मोबाइल की नई दुकान या रिपेयरिंग की दुकान हो उसमें मुस्लिम युवकों की हिस्सेदारी जरूर होगी। हिंदुओं से महंगे किराये पर मुस्लिम बीच बाजार में आकर मोबाइल की दुकान से आखिर कितना कमा ले रहे होंगे? इस पर भी बहस हो रही है।
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