भारत और आस्ट्रेलिया ने 2 अप्रैल को एक ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किए। भारत-आस्ट्रेलिया आर्थिक सहयोग एवं व्यापार समझौता (Ind-Aus ECTA) से न केवल चीन पर भारत और आस्ट्रेलिया की निर्भरता कम हो जाएगी, बल्कि दोनों देश दुनिया में चीन के विकल्प के तौर पर भी उभर सकते हैं। इस समझौते से दोनों देशों के ढेरों उत्पादों पर उत्पाद शुल्क शून्य हो जाएगा। अगले चार महीनों में यह समझौता लागू हो जाएगा। इस समझौते के बाद यूरोपीय संघ के देशों पर भी भारत के साथ व्यापारिक समझौते का दबाव पड़ने लगा है। आस्ट्रेलिया के साथ भारत का समझौता ऐसे समय पर हुआ है, जब चीन ने आस्ट्रेलिया को सबक सिखने के लिए उसके उत्पादों पर दोगुनी से ज्य़ादा की ड्यूटी लगा दी है। इसे देखते हुए भारत ने आस्ट्रेलिया को अपना बाजार देकर उससे कई बड़ी शर्तें मनवा ली हैं। 10 साल के अंतराल के बाद भारत का आस्ट्रेलिया जैसे विकसित अर्थव्यवस्था वाले देश के साथ ईसीटीए करार हुआ है। जापान और दक्षिण कोरिया के बाद आस्ट्रेलिया ऐसा तीसरा देश है जिसने भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौता किया है।
भारत का निर्यात बढ़ेगा
भारत-आस्ट्रेलिया के बीच साझा व्यापार सालाना 7.5 बिलियन डॉलर का ही है। लेकिन इस समझौते के बाद जल्द ही यह 100 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है। इस समझौते से वस्त्र, रत्न, आभूषण, चमड़ा, दवा, इंजीनियरिंग, आटोमोबाइल क्षेत्र में भारत का निर्यात बढ़ेगा। साथ ही, भारतीय छात्रों के लिए आस्ट्रेलिया में जाना भी आसान होगा और उन्हें काम के लिए वीजा भी मिलेगा। यानी भारतीय छात्र आस्ट्रेलिया में काम करके अपनी पढ़ाई का खर्च निकाल सकेंगे। समझौते से स्टील कंपनियों को भी लाभ होगा, क्योंकि भारतीय स्टील कंपनियां मुख्य रूप से आस्ट्रेलिया से कोकिंग कोल का आयात करती हैं। भारत में बहुत कम मात्रा में इसका उत्पादन होता है और इसकी गुणवत्ता भी अच्छी नहीं होती। भारत में आस्ट्रेलिया से होने वाले कुल आयात में कोयले की हिस्सेदारी 70 प्रतिशत है। इसीटीए के बाद कोयले पर 2.5 प्रतिशत कम ड्यूटी लगेगी। इससे भारतीय स्टील कंपनियां अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अधिक प्रतिस्पर्धी बनेंगी और विदेशी मुद्रा की भी बचत होगी।
दूसरी ओर, फार्मा उत्पादों के लिए आस्ट्रेलिया चीनी कंपनियों पर ही निर्भर था। लेकिन इस करार के बाद आस्ट्रेलिया ने भारतीय कंपनियों के लिए अपना बाजार खोल दिया है। भारतीय कंपनियां बिना किसी परेशानी के आस्ट्रेलियाई बाजार में अपने फार्मा उत्पाद बेच सकेंगी। आस्ट्रेलिया का दवा बाजार 12 बिलियन डॉलर का है, लेकिन भारतीय कंपनियां मात्र 34 करोड़ डॉलर की दवा व अन्य उपकरणों का ही निर्यात करती हैं। इस समझौते के बाद भारत की दवा निर्माता कंपनियों को इस एक लाख करोड़ रुपये के बाजार में सीधा प्रवेश मिल जाएगा। फार्मा के अलावा भारतीय कंपनियां वस्त्र, प्लास्टिक, खिलौने, चमड़े के उत्पाद भी आस्ट्रेलियाई बाजार में बेच सकेंगी। अभी तक चीन ही आस्ट्रेलिया के बाजार में इन उत्पादों को बेच रहा था। चीन ने आस्ट्रेलिया से कोयला, शराब और जौ के आयात पर रोक लगा दी थी, जो अब भारत आएगा। सस्ते कोयले से जहां स्टील और बिजली कंपनियों को लाभ होगा, वहीं आस्ट्रेलिया की शराब कंपनियां यहां की घरेलू कंपनियों को कड़ी चुनौती देंगी।
ईसीटीए पर हस्ताक्षर करने के लिए वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल के साथ जो प्रतिनिधिमंडल आस्ट्रेलिया गया था, उसमें टाटा स्टील के सीईओ टी.वी. नरेंद्रन भी शामिल थे। करार के बाद उन्होंने कहा कि आस्ट्रेलिया और भारत मिलकर दुनिया के सामने चीन का विकल्प बनकर उभर सकते हैं। यह समझौता उसी दिशा में एक कदम है। इससे दोनों देशों के बीच व्यापार भी बढ़ेगा। केवल टाटा स्टील आस्ट्रेलिया से सालाना 2 बिलियन डॉलर का कोयला आयात करती है। इसी से अनुमान लगाया जा सकता है कि भारतीय कंपनियों को इस समझौते से कितनी राहत मिलेगी।
वहीं, चमड़ा निर्यात परिषद (उत्तरी क्षेत्र) के अध्यक्ष पूरण डाबर का कहना है कि आस्ट्रेलिया के साथ मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) तो बहुत अच्छा हुआ है। लेकिन हमारी प्राथमिकता अमेरिका होनी चाहिए, क्योंकि 44 प्रतिशत उपभोक्ताओं के साथ यह दुनिया का चौथा सबसे बड़ा बाजार है। हालांकि दुनिया की कुल आबादी में अमेरिका की हिस्सेदारी मात्र 3 प्रतिशत ही है। यदि कुछ जीरो ड्यूटी भारतीय उत्पाद अमेरिकी सूची में आ जाएं तो बहुत बड़ी बात होगी। सरकार को इस ओर कोशिश करनी चाहिए। चमड़ा उत्पादों के निर्यात से रोजगार बढ़ाने के लिए यह जरूरी है।
दुनिया भर के उत्पाद भारत में बनेंगे
अभी तक चीन को दुनिया की फैक्टरी माना जाता था, जो कुछ भी बना सकता है। लेकिन कोरोना के बाद से परिस्थितियां बदल रही हैं। दुनिया की कंपनियां अब चीन से निकल कर दक्षिण एशियाई देशों में आ रही हैं। दरअसल, भारत सरकार ने 15 उत्पादों पर प्रोडक्ट लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) लागू किया था। इसके तहत सरकार इन उत्पादों को तैयार करने वाली कंपनियों को कई तरह की छूट और प्रोत्साहन देती है। लिहाजा, कंपनियां उत्पादन बढ़ा रही हैं। फिलहाल मोबाइल उत्पादन के क्षेत्र में इसका असर दिख रहा है। आने वाले कुछ वर्षों में इलेक्ट्रॉनिक्स और अन्य वस्तुओं के उत्पादन और निर्यात में भी अच्छी वृद्धि दिखने लगेगी। आॅस्ट्रेलिया के साथ ईसीटीए से जहां भारतीय कंपनियों को कच्चा माल मिलेगा, वहीं तैयार उत्पादों को बेचने के लिए बड़ा बाजार भी मिलेगा।
आइसलैंड-भारत व्यापार मंच के अध्यक्ष प्रसून दीवान के मुताबिक, यह एक ऐतिहासिक समझौता है, जो यूरोप और अमेरिका में भी भारत के लिए दरवाजे खोलेगा। खासकर आभूषण क्षेत्र के कारोबारी आस्ट्रेलिया से कच्चा माल मंगाएंगे और उससे उत्पाद बनाकर वहां के बाजार में बेचेंगे। ये उत्पाद आस्ट्रेलिया से उसके पड़ोसी देशों से लेकर अमेरिका व यूरोप तक भी जा सकते हैं। महत्वपूर्ण बात यह है कि आस्ट्रेलिया के साथ ड्यूटी फ्री होने पर भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आएगा। भारत में सस्ते श्रम को देखते हुए आस्ट्रेलियाई कंपनियां भारत में फैक्टरियां लगाएंगी। इससे देश में रोजगार के साथ नई-नई तकनीक भी आएगी। यानी भारत दुनिया का बड़ा उत्पादक देश बन सकता है। प्रसून दीवान के अनुसार, आस्ट्रेलिया के बाजार पर अभी तक चीन और ताइवान जैसे देशों का कब्जा था, लेकिन अब भारतीय कंपनियों और निर्यातकों की पैठ वहां के बाजार में हो जाएगी।
भारत 2007 से ही यूरोपीय संघ के साथ जीरो ड्यूटी के लिए समझौता करने की कोशिश कर रहा है, लेकिन अभी तक इसमें सफलता नहीं मिली है। नरेंद्र मोदी सरकार बीते कुछ समय से निर्यात बढ़ाने की कोशिश कर रही है। इसके लिए प्रधानमंत्री मोदी ने ‘लोकल गो ग्लोबल’ का नारा भी दिया है। इन्हीं प्रयासों के कारण देश ने बीते वित्त वर्ष 2021-22 में 420 बिलियन डॉलर का निर्यात कर इतिहास रचा। यानी देश से हर दिन 7600 करोड़ रुपये से अधिक का निर्यात हो रहा है। महत्वपूर्ण बात यह है कि सरकार ने 400 बिलियन डॉलर के निर्यात का लक्ष्य समय से पहले ही हासिल कर लिया।
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