गत सप्ताह हमने पाठकों को पाकिस्तान के सर्वोच्च न्यायालय के उस फैसले के बारे में बताया था जिसके तहत डिप्टी स्पीकर द्वारा दिए गए फैसले को रद्द करते हुए संसद की कार्यवाही में अविश्वास प्रस्ताव पर तुरंत मतदान कराने के आदेश दिए गए थे। संसद की अगली कार्यवाही 9 अप्रैल को होनी थी जिसमें न्यायालय के अनुसार मात्र अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान का ही एजेंडा रखा जाना था। न्यायालय ने यह भी कहा था कि मतदान कराने के बाद प्रधानमंत्री का चयन भी इसी सत्र में कराया जाए। उससे पहले संसद की कार्यवाही को खत्म नहीं किया जाना था। पर सर्वोच्च न्यायालय को यह भान न था कि इमरान खान को आदेश सुनने की आदत ही नहीं है। वह तो ऐसा बिगड़ैल बच्चा है, जिसे उस चीज को पाए बिना चैन नहीं मिलता जिसकी उसने जिद ठान ली हो। इस बार उसकी जिद सत्ता पर बने रहने की थी।
सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार संसद का सत्र 9 अप्रैल को सुबह 10:00 बजे शुरू हुआ। इसके तुरंत बाद शाह महमूद कुरैशी को भाषण देने के लिए कह दिया गया जो 1 घंटे से ज्यादा देर तक चलता रहा। जब इसका विरोध करते हुए सदस्यों ने शोर मचाया तो स्पीकर ने इसी बहाने सत्र को 2 घंटे के लिए स्थगित कर दिया। दो घंटे बाद भाषणों का दौर फिर चल निकला। रमजान का महीना होने के चलते कहीं नमाज के लिए तो कहीं सदस्यों के विरोध करने की आवाजों के बीच संसद को बार-बार स्थगित किया गया और शाम होते-होते यह अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं रह गया कि इमरान सरकार का इरादा अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान कराना था ही नहीं।
शाम ढलते ही मरियम नवाज शरीफ ने ट्वीट करना शुरू किया कि प्रधानमंत्री की नीयत ठीक नहीं है और उन्हें सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की अवमानना के लिए गिरफ्तार किया जाना चाहिए। यह भी कि वे अपनी हरकतों से एक संवैधानिक संकट को जन्म दे रहे हैं। शाम के लगभग 9:00 बजे ट्रिपल वन बिग्रेड हरकत में आई। रात लगभग दस बजे संसद के नजदीक स्थित सर्वोच्च न्यायालय को खोल दिया गया। इस बीच यह भी खबर आई कि चुनाव आयोग को भी उसी समय खोल दिया गया है। इसके कुछ देर बाद पता लगा कि किसी वकील ने इस्लामाबाद उच्च न्यायालय में यह याचिका दायर की है कि प्रधानमंत्री सेना प्रमुख को बर्खास्त करने जा रहे हैं और उन्हें ऐसा करने से रोका जाए ताकि देश में अस्थिरता न पैदा हो। इस खबर के साथ ही चारों तरफ सनसनी फैल गई और ऐसा लगने लगा कि मार्शल लॉ लगने के आसार हैं।
पहुंचे बाजवा, बदला परिदृश्य
पर यहां से घटनाक्रम बहुत तेजी से आगे बढ़ने लगा। सैन्य नेतृत्व चौकन्ना हो चुका था। शाम साढ़े नौ बजे इमरान खान ने अपने निवास स्थान पर मंत्रिमंडल की आपात बैठक बुलाई। इसी बीच वहीं पर एक हेलिकॉप्टर उतरा जिससे दो लोग बाहर आए। तुरंत ही इमरान खान के साथ मौजूद तमाम मंत्री अपनी-अपनी गाड़ियों से निकल भागे। हेलिकॉप्टर से उतरने वालों में एक जनरल बाजवा थे, दूसरा था एक युवा मेजर। बताया जाता है कि इमरान खान के साथ हुई यह मुलाकात बहुत तल्ख रही। यहां तक कहा गया कि इमरान खान को एक थप्पड़ भी रसीद किया गया जिसके बाद युवा मेजर ने अपना काम कर दिया।
अविश्वास प्रस्ताव से गिरने वाली पहली सरकार
मंत्रिमंडल बैठक से लौट रहे स्पीकर और डिप्टी स्पीकर ने संसद पहुंचते हुए पत्रकारों से कहा कि वे इस्तीफा देने जा रहे हैं। लेकिन इस्तीफा दिया सिर्फ स्पीकर ने। इसके बाद कार्यवाही चलाने के लिए मौजूद पैनल से एजाज साजिद को कार्यवाही को आगे बढ़ाने के लिए बुला लिया गया और तुरंत अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान की कार्यवाही शुरू हो गई। बहुमत सिद्ध करने के लिए आवश्यक 172 मतों की आवश्यकता थी लेकिन विपक्ष के पास 174 मत आ गए और इमरान सरकार पाकिस्तान के इतिहास में अविश्वास प्रस्ताव के जरिए गिरने वाली पहली सरकार बन गई।
इंग्लैंड में इस समय नवाज शरीफ को वह तमाम प्रोटोकॉल दिए जा रहे हैं
जो उनके जैसे वरिष्ठ राजनीतिक व्यक्तित्व को दिए जाते हैं। नवाज शरीफ
और उनके पूर्ववित्त मंत्री इशाक दार के रद्द हो चुके पासपोर्ट को दोबारा
जारी किया जाचुका ताकि उनकी वापसी का मार्ग प्रशस्त हो सके
पता चला कि किसी मुंबइया या मसाला फिल्म के अंत की तरह पाकिस्तान सेना के सर्वोच्च नेतृत्व को यह भनक लग गई कि इमरान सेनाध्यक्ष बाजवा को बर्खास्त करने जा रहे हैं। यह भी पता चला कि उसी समय पेशावर से एक हेलिकॉप्टर किसी को लेकर चल रहा है। तुरंत ही उस हेलिकॉप्टर को रुकवाया गया और एक दूसरे हेलिकॉप्टर से बाजवा और मेजर इमरान खान के पास पहुंचे। इमरान खान हेलिकॉप्टर की प्रतीक्षा तो कर रहे थे लेकिन हेलिकॉप्टर में मौजूद इस यात्री की प्रतीक्षा उन्हें बिल्कुल न थी। पासा पलट चुका था, इमरान बाजी हार चुके थे।
शहबाज की शपथ, नवाज को प्रोटोकॉल
शहबाज शरीफ ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली और उसके लगभग तुरंत बाद भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें ट्विटर पर शुभकामना संदेश लिखा। ताजा खबरों के मुताबिक इंग्लैंड में इस समय नवाज शरीफ को वह तमाम प्रोटोकॉल दिए जा रहे हैं जो उनके जैसे वरिष्ठ राजनीतिक व्यक्तित्व को दिए जाते हैं। नवाज शरीफ और उनके पूर्व वित्त मंत्री इशाक दार के रद्द हो चुके पासपोर्ट को दोबारा जारी किया जा चुका है ताकि उनकी वापसी का मार्ग प्रशस्त हो सके। कहा जाता है कि वे ईद के बाद वापस आ सकते हैं। वापसी में नवाज शरीफ सऊदी अरब के राज परिवार से मिलेंगे और हज करने के बाद वापस पाकिस्तान आएंगे।
खुलने लगा इमरान का भ्रष्टाचार
इस बीच इमरान खान शासन में किए गए तमाम भ्रष्टाचार के मामले खुलने लगे हैं। तोशाखाना मामला इनमें से एक है जिसमें एक राष्ट्राध्यक्ष से मिले दो हीरे के हारों का मामला है जिसे इमरान खान के परिवार ने उनके एक मंत्री की मदद से लाहौर के एक जौहरी को 18 करोड़ रु. में बेचा लेकिन सरकारी खजाने में उसके एवज में मात्र आठ लाख जमा कराए। सऊदी अरब के राजकुमार मोहम्मद बिन सलमान के द्वारा भेंट की गई विशेष रूप से बनाई गई घड़ी का भी मामला है जिसे दुबई में बेचा गया और इसकी खबर मोहम्मद बिन सलमान को भी लग गई और उन्होंने इस पर अपनी निराशा जताई थी।
इस समय पाकिस्तान बेहद मुश्किल आर्थिक-राजनीतिक और सामाजिक संकटों से जूझ रहा है। इनका अंत अभी जल्दी नहीं होने वाला। आने वाले महीनों में यह रुचि का विषय होगा कि पाकिस्तान किस प्रकार इन संकटों का सामना कर सकेगा।
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